क्या आप किसी शहर में अकेले रहने की कल्पना कर सकते हैं? शायद इस बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। भला पूरी तरह वीरान पड़े शहर में कोई कैसे रह पा...
क्या आप किसी शहर में अकेले रहने की कल्पना कर सकते हैं? शायद इस बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। भला पूरी तरह वीरान पड़े शहर में कोई कैसे रह पाएगा। लेकिन नहीं। दुनिया में कुछ शहर ऐसे भी हैं, जहां की पॉपुलेशन सिर्फ 1 है। वहां अकेला व्यक्ति रह रहा है। हम आपको बता रहे हैं 7 ऐसे ही शहरों के बारे में। जानिए कि क्यों वह शहर वीरान हो गया और आखिर किस कारण अकेले व्यक्ति ने वहां रहने का निर्णय लिया।
सबसे पहले जापान का तोमिओका…
तोमिओका, जापान
2010 तक इस जापानी शहर की आबादी करीब 15 हजार थी। फिर 2011 में सुनामी आई और फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट से रिसाव होने लगा। इसके चलते रेडिएशन फैला, जिसकी जद में तोमिओका भी था। रेडिएशन के डर से सारे लोग यहां से भाग गए। सिर्फ 58 साल के नाओतो मत्सुमुरा रह गए। उन्होंने जाने से इंकार कर दिया, क्योंकि वे अपने शहर में छूट गए जानवरों के लिए खाने का इंतजाम करना चाहते थे।
मोनावी, नेब्रास्का (अमेरिका)
एक नेटिव अमेरिकन लैंग्वेज में मोनावी का मतलब फ्लॉवर होता है। 1902 में यहां बनने वाली शुरुआती बिल्डिंग एक पोस्ट ऑफिस की थी। पोस्ट ऑफिस 1967 में बंद हो गया था। लोग बेहतर जॉब और स्थायित्व की तलाश में यह जगह छोड़कर जाते रहे। यहां एक कपल रह गया था। लेकिन 2004 में पति की मौत हो जाने के बाद पत्नी ही यहां की एकमात्र निवासी बची। वह यहां की मेयर भी है।
विला इपेक्युएन, अर्जेंटीना
अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स प्रांत में यह शहर 1920 के दौर में बसा था। यह राजधानी ब्यनस आयर्स जाने वालों के लिए रेस्ट का ठिकाना हुआ करता था। यह एक टूरिस्ट अट्रैक्शन भी था। फिर 1985 में आई भीषण बाढ़ में यह पूरी तरह तबाह हो गया। सारे लोग शहर छोड़कर चले गए और यह वीरान हो गया। इसके बाद 2009 में पाब्लो नोवाक नामक एक शख्स यहां रहने के लिए लौटा। उसका जन्म 1930 में इसी शहर में हुआ था। वह यहां अपने घर को फिर से आबाद करने लौटा था। उसकी स्टोरी पर 2013 में पाब्लोज विला नामक डॉक्युमेंट्री भी बनाई गई थी।
बोनांजा, कोलोराडो (अमेरिका)
यहां चांदी की खदानें पाई गई थीं। उनके चलते 1880 में यह शहर आबाद हुआ था। उस दौर में यहां डेढ़ हजार लोग रहते थे। फिर धीरे-धीरे चांदी का उत्खनन कम होता गया और लोग शहर छोड़कर जाते रहे। सन् 2010 में यहां महज 16 लोग थे। फिर बुजुर्गों की मौत और युवाओं के चले जाने के कारण समय-समय पर इसकी आबादी 1 होती रही। कभी-कभार कुछ लोग यहां वापस आ जाते हैं, जिससे अाबादी भी बढ़ जाती है।
ब्यूफोर्ड, व्योमिंग (अमेरिका)
2013 में सरकार ने यह शहर एक वियतनामी को बेच दिया था, जिसके बाद इसका नाम बदलकर फिलडेली टाउन ब्यूफोर्ड कर दिया गया था। 1886 में इस शहर को रेलवे लाइन बिछाने वाने मजदूरों के आराम स्थल के रूप में बसाया गया था। उस समय यहां 2000 के करीब लोग रहते थे। फिर धीरे-धीरे लोग शहर छोड़कर जाने लगे। फिलहाल इस शहर का ओनर खुद यहां नहीं रहता। यहां के एकमात्र निवासी हैं डॉन सैमंस। वे 1980 में यहां आकर बसे थे। 1995 में उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई और 2007 में उनका बेटा दूसरे शहर चला गया। इस तरह डॉन इस शहर में अकेले रह गए।
कास, न्यूजीलैंड
1910 में इस शहर की स्थापना के समय लगभग 800 लोग रहते थे। फिलहाल यहां 5 घर बचे हैं, लेकिन रहने वाला सिर्फ एक व्यक्ति है। कास के एकमात्र निवासी का नाम है बैरी ड्रमांड। वे किवी-रेलवे के कर्मचारी हैं। उनके जिम्मे में रेलवे के कास सेक्शन की देखरेख की जिम्मेदारी है, जो वे पिछले 30 साल से निभा रहे हैं। बैरी कहते हैं कि वे कास कभी नहीं छोड़ेंगे। अगल बगल के कस्बों के लोग जब वहां से गुजरते हैं, तो उनकी तरफ हाथ देखकर हाथ हिला लेते हैं।
लॉस्ट स्प्रिंग्स, व्योमिंग (अमेरिका)
इस कस्बे का बोर्ड कहता है कि यहां की आबादी 1 है। लेकिन यह सन् 2000 की बात है। समय-समय पर इसकी आबादी बदलती रहती है। कभी यहां चार तो कभी पांच लोग रहते हैं। यहां की मेयर लेडा प्राइस यहां लगातार रहने वाली एकमात्र व्यक्ति हैं। उनका कहना है कि अभी यहां चार लोग रह रहे हैं। इस माइनिंग टाउन में एक जमाने में 200 लोग रहा करते थे। नक्शे में इस जगह पर एक झरना दिखाया गया था, लेकिन वास्तव में यहां कोई झरना नहीं है। इसलिए इसका नाम लॉस्ट स्प्रिंग्स है