दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के लोनी इलाके में बुधवार को चलती ट्रेन में अज्ञात लोगो ने 48 वर्षीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या ...
दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के लोनी इलाके में बुधवार को चलती ट्रेन में अज्ञात लोगो ने 48 वर्षीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार सीट को लेकर झगड़ा हुआ। मामला दिल्ली से सहारनपुर जाने वाली जनता एक्सप्रेस का बताया जा रहा है।
मुनव्वर नामक व्यक्ति दिल्ली के गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल से अपने शामली स्थित आवास की तरफ लौट रहे थे। गुरु तेग बहादुर अस्पताल में उनके सम्बन्धी भर्ती थे। मुनव्वर के रिश्तेदारों ने अखबार को बताया कि उनको इस बात की जानकारी एक सेना के व्यक्ति से फोन पर मिली जो उस समय समान बोगी में सफर कर रहे थे।
उत्तरप्रदेश और हरयाणा की रेलगाड़ियों में भीड़ के चलते ऐसी वारदाते अब आम हो गयी है। ताज़ा मामला 2 जुलाई का है जिसमे मोनिका शेखर नामक महिला बिहार से दिल्ली की यात्रा कर रही थी तभी गोरखपुर और गोंडा के बीच लोगो के समूह ने उनके साथ मारपीट की। उन्होंने बताया कि कुछ व्यक्तियों ने जबरन उनकी सीट लेनी चाही और विरोध करने पर लोगो ने उनको और उनके पति को बुरी तरह पीटा।
हाल ही में देखा गया है कि अब यह मामले अति गंभीर और जानलेवा बनते जा रहे है। उनमे से कुछ आपको हम बताने का प्रयास कर रहे है।
22 जून 2017 , जुनैद खान और उनके भाइयो को सीट विवाद के चलते जान से मार दिया गया। हादसा बल्लभगढ़ रेलवे स्टेशन, हरयाणा के करीब का है।
5 जून 2017 , संदीप नाम के व्यक्ति को भीड़ ने उत्तर प्रदेश के चमरौला स्टेशन पर जान से मार दिया। उन्होंने भी सीट देने से था। यह मामला आनंद विहार - कानपूर एक्सप्रेस के जनरल बोगी का था। संदीप एक सैनिक के बेटे थे और मैनपुरी से नई दिल्ली जा रहे थे।
मार्च 2017, 54 वर्षीय कैलाश मित्तल को भिवानी रेलवे स्टेशन , हरयाणा में पीट पीट कर मार डाला। विवाद 3-4 लोगो द्वारा बोगी में प्रवेश करने के बाद बढ़ा। उन्होंने मित्तल साहब को सीट देने को कहा लेकिन मित्तल साहब ने मना कर दिया। इस बात से नाराज़ उन व्यक्तियों ने मित्तल साहब को मार डाला।
नवंबर 2016 , 29 वर्षीय अश्विनी कुमार शर्मा को दिल्ली शामली रुट पर गोली मार दी गयी। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार सीट पर विवाद हुआ जिसके बाद अश्विनी को गोली मार दी गयी। मौके पर ही अश्विनी कुमार की मृत्यु हो गयी .
मार्च 2016 , एक व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मामला फिर सीट का था। ट्रेन मेरठ कैंट पर रुकी थी। इसी मे पांच अन्य ज़ख़्मी भी हुए थे।
यह समस्या बहुत पुरानी है लेकिन जुनैद के मामले के बाद यह सब मेनस्ट्रीम मिडिया में आने लगा। प्रशासन पूरी तरह लोगो को धारदार हथियार और यहाँ तक की बंदूकों के साथ सफर करने से रोक नहीं पा रहा है। लम्बी दूरी की यात्रा हो और लोगो को खड़े होकर जाना पड़े , यह बात लोगो का धैर्य तोड़ देती है।
असल में सारी परेशानी प्रबंधन की कमी है। आबादी दिन ब दिन बढ़ रही है लोग गाँवों से शहरो की तरफ आरहे है उसी अनुपात में न रेल है संसाधन। एक यात्री ऋषि कुमार ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि " यदि आप जानवरो की भांति यात्रा कर रहे है तो क्या जानवर की तरह बर्ताव नहीं करेंगे "