मोहम्मद जाहिद सुना कि गाजीपुर जिले के जंगीपुर थाने के पहतिया गाँव में किसी केशव उपाध्याय नामक व्यक्ति ने बकरी के साथ शारीरिक संबंध स्थ...
मोहम्मद जाहिद
सुना कि गाजीपुर जिले के जंगीपुर थाने के पहतिया गाँव में किसी केशव उपाध्याय नामक व्यक्ति ने बकरी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया जिससे बकरी की मौत हो गयी।
जिस दुर्योधन चौहान की बकरी थी उसी की पत्नी ने "केशव उपाध्याय" को बकरी के साथ शारीरिक संबंध बनाते देखा और गाँव में शोर मचाया , बकरी तो मर गयी पर गाँव वालों ने पीट कर केशव को पुलिस के हवाले कर दिया।
पुलिस ने अप्राकृतिक दुष्कर्म की धारा 377 , 429 दर्ज कर "केशव उपाध्याय" को जेल भेज दिया।
दरअसल , बकरी से शारीरिक संबंध होना मेरे लिए आश्चर्य की बात नहीं क्युँकि "गऊ माता" से भी पूर्व में शारीरिक संबंध की खबरें आती ही रहीं हैं। पाश्चात्य देशों में अलग अलग नस्ल के कुत्तों को इसी कार्य के लिए ट्रेन्ड करके घरों में रखा भी जाता है। पाश्चात्य देशों में कुत्तों की दुकानों पर कुत्तों की ऐसी विभिन्न विशषताओं के कारण अधिक दर पर एक नस्ल के कुत्तों का अलग अलग मुल्य भी होता है।
तो अन्य जानवर भी मनुष्य की इस शारीरिक आवश्यकता की पुर्ति करते दिखाई और सुनाई देते ही रहते हैं।विश्व के तमाम विकसित देशों को पछाड़ना है तो भारत में भी इसे अपनाना ही होगा। आखिरकार हम विश्वगुरु भी तो हैं।
मेरा आश्चर्य केशव उपाध्याय पर अप्राकृतिक दुष्कर्म की "धारा 377 और 429" के लगाने पर है। संभवतः उच्चतम न्यायालय इस धारा पर संज्ञान लेगा और इसे निरस्त करेगा क्युँकि ऐसे ही अप्राकृतिक यौन संबंधों जिसमें "गे" और "लेस्बियन" के यौन संबंध आते हैं , उसने वैद्य घोषित कर दिया है। अर्थात पुरुष - पुरुष और महिला - महिला आपस में यौन संबंध बना सकते हैं।
तो फिर ऐसे ही किसी "केशव उपाध्याय" द्वारा किए गये अप्राकृतिक दुष्कर्म में क्या गलत है ? आप उसे अपराधी कैसे मान सकते हैं ?
हो सकता है कि पुरुष-पुरुष और महिला-महिला के यौन संबंधों की तरह यह भी आपसी सहमति के कारण हुआ हो , बकरी तो मर गयी , उसकी गवाही भी अब संभव नहीं, दोष बकरी का भी हो सकता है , ऐसा भी हो सकता है कि बकरी की यौन इच्छा केशव उपाध्याय को देख कर जाग गयी हो और उसने केशव को उत्तेजित किया हो।
आप अप्राकृतिक शारीरिक संबंधों को अलग अलग चश्मे से नहीं देख सकते , अप्राकृतिक का अर्थ ही है प्राकृति के विरुद्ध , प्रकृति के अनुसार केवल और केवल पुलिंग और स्त्रीलिंग के बीच ही संबंधों को स्थापित किया जा सकता है वह भी एक ही नस्ल के जीव हों या पेड़ पौधे।
प्राकृति के अनुसार पुरुष-पुरुष और महिला-महिला के साथ यौन संबंध भी गलत है , जिसे उच्चतम न्यायालय वैध घोषित कर चुका है , तो फिर केशव उपाध्याय द्वारा किये इस अप्राकृतिक दुष्कर्म को जुर्म क्युँ माना जाए ? धारा 377 और 429 क्युँ लगाई जाए ?
ये तो तार्किक रूप से गलत है उच्चतम कानून महोदय ? या तो अप्राकृतिक को संपुर्णता में वैध कीजिए या अवैध घोषित कीजिए। गुड़ खाए और गुलगुले से परहेज़ जैसा दोगलापन नहीं चलेगा।
अप्राकृतिक दुष्कर्म की धारा या तो हटाई जाए नहीं तो "गे" और "लेस्बियन" पर भी यही अप्राकृतिक दुष्कर्म की धारा 377 और 429 लगाई जाए।
और फिर केशव उपाध्याय की अपनी स्वतंत्रता और पसंद है कि नहीं ? अमीर लोग लाखों रूपये के कुत्तों के साथ ऐसा कर सकते हैं तो गरीब केशव को भी बकरी और गाय के साथ ऐसे अप्राकृतिक यौन संबंध का चरम सुख प्राप्त करने का अधिकार क्युँ नहीं मिलना चाहिए ?
और फिर बकरी का मनुष्य से माँ जैसा संबंध भी तो नहीं।
केशव उपाध्याय को ससम्मान रिहा किया जाए।