एसपी मित्तल 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की पुलिस एनकाउंटर में मौत को एक साल पूरा हो गया। हुर्रियत और जिहाद कॉन्...
एसपी मित्तल
8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की पुलिस एनकाउंटर में मौत को एक साल पूरा हो गया। हुर्रियत और जिहाद कॉन्सिल ने कश्मीर घाटी में एक सप्ताह के बंद का आह्वान किया है। इस आह्वान के मद्देनजर हमारे सुरक्षा बल घाटी में चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं।
सब जानते हैं कि जब अलगाववादी ऐसे बंद का आह्वान करते हैं तो सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले आसान हो जाते हैं। यही वजह रही कि 8 जुलाई को पहले दिन ही सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमला हो गया। दो जवानों की हालात बेहद गंभीर है। एक ओर हमारे जवान आतंकियों से मकाबला करने के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज आतंकी बुरहान वानी की तरफदारी कर रहे हैं।
सोज का कहना है कि मेरा बस चलता तो मैं बुरहान वानी को जिंदा रखता, क्योंकि वानी ही भारत और पाकिस्तान के संबंधों को सुधार सकता था। समझ में नहीं आता कि सैफुद्दीन सोज ने किसी मानसिकता से ऐसा बयान दिया है। बुरहान वानी अपने आतंकी साथियों के माध्यम से आए दिन घाटी में सुरक्षा बलों की हत्या कर रहा था। पाकिस्तान ने वानी को इसलिए घाटी में भेजा ताकि कश्मीर को भारत से अलग कराया जा सके। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब कांग्रेस के किसी नेता ने आतंकियों की तरफदारी की।
इससे पहले मणिशंकर अय्यर, गुलाम नबी आजाद, संदीप दीक्षित आदि भी आतंकियों के साथ खड़े नजर आए हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह तो हमेशा ही अपराधियों और आतंकियों के साथ होते हैं। हालांकि हर बार कांग्रेस पार्टी नेताओं के बयानों से स्वयं को अलग कर लेती है, लेकिन आज तक भी ऐसे नेताओं के खिलाफ पार्टी ने कोई कार्यवाही नहीं की है।
इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस का नेतृत्व जानबूझ कर ऐसे बयान दिलवाता है। सैफुद्दीन सोज कोई छोटे नेता नहीं बल्कि कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। सोज के इस बयान से हमारे सुरक्षा बलों का हौसला कम होता है। कांग्रेस को चाहिए कि वह अपने नेताओं की जुबान पर लगाम लगाए।