रायपुर। वर्दी पहनते ही थाना पोस्ंिटग मिल गई। जुगाड़ अच्छा था तो क्राइम ब्रांच में चिपक लिये। थाने में आते ही कार-जीप चलाना भी आ गया। शिद...
रायपुर। वर्दी पहनते ही थाना पोस्ंिटग मिल गई। जुगाड़ अच्छा था तो क्राइम ब्रांच में चिपक लिये। थाने में आते ही कार-जीप चलाना भी आ गया। शिद्दत से महंगे स्मार्ट फोन में फेसबुक, वॉट्सअप भी चलाना आता है। बस, कसर बाकि है तो वह कम्प्यूटर सीखने की, ऐसा नहीं है कि विभाग ने सीपा प्रोजेक्ट के तहत थानों में कम्प्यूटर नहीं दिया या टे्रनिंग में कोई कमी रखी।
बावजूद इसके रायपुर पुलिस के थाने में पदस्त वर्दीवालों को अब भी कम्प्यूटर ऑन-ऑफ करते या फिर उसके की-बोर्ड पर अंगुलियां चलाना नहीं आता। इसका खुलासा पिछले दिनों अचानक कप्तान साहब ने अपने केबिन में बुलाकर लिया और एक बार फिर नए सिरे से टे्रनिंग देने की याद आ गई। इनसे पहले भी कई पुलिस कप्तान व महानिरीक्षकों ने यह भगीरथी प्रयास किया पर वे फेल हो गए।
सिपाही संवर्ग के अधिकांश स्टाफ को कम्प्यूटर का ककहरा नहीं आता। ऑन-ऑफ करने से लेकर की-बोर्ड का ज्ञान भी इन्हें नहीं है।
खासकर थाना स्टाफ में से कईयों को यह सीखना भी नहीं है और कोई इसे सीखकर फील्ड से टेबल वर्क करना भी नहीं चाहता। संभवतया इसलिए भी जमीनी स्टाफ वाले जीप, मोबाइल, बाइक चलाने में एक्सपर्ट है पर थाने का कम्प्यूटर कैसे ऑन-ऑफ करें यह नहीं पता।
डरते हैं सीखे तो फील्ड से टेबल में आ जाएंगे
केपिटल कॉप्स को फील्ड का जलवा चाहिए न कि टेबल वर्क। दफ्तर व थाना के बाबू बनने से ज्यादा चार्मिंग फील्ड में जलवा अफरोज होना है। कई इतर लाभ की वजह से जिन्हें आसानी से स्मार्ट व आई-फोन मोबाइल चलाना आता है वे भी साहब के सामने कम्प्यूटर के मामले में जीरो साबित होकर बच निकलते हैं। अपने अफसरों को बड़े ही शातिराना अंदाज में कम्प्यूटर परीक्षा में फेल होने वाले कई ऐसे भी हैं जो यह किस्सा मजे लेकर सुना रहे थे। अचानक साहब कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा ले रहे हैं इसका हल्ला हो गया था और इससे बचने के लिए सिपाही संवर्ग ने अफसरों को चालाकी से चलता कर गए। बताते हैं कि आईजी साहब ने जब बुला बुलाकर एक एक से कम्प्यूटर के सामने खड़ाकर सवाल दागना शुरु किये तो जानते-बुझते भी स्टाफ ने खुद को कम्प्यूटर फै्रंडली नहीं होना बताकर बच निकले।
सिपाहियों की नहले पर साहब का दहला
शहर के थानों में पदस्थ सिपाही और हवलदारों की इस होशियारी की खबर साहब को मिल गई है। मातहतों के नहले पर साहब ने भी दहला दे दिया है और अब थानेदारों और नगर पुलिस अधीक्षकों को भी कंप्यूटर आपरेट करने की ट्रेनिंग अनिवार्य कर दी गई है। कंप्यूटर के जरिये उन्हें साइबर क्राइम के मामलों में एक्सपर्ट बनाने की तैयारी जोर-शोर से शुरु होने वाली है। पुलिस अधिकारियों और जवानों की कंप्यूटर ट्रेनिंग के लिए पूरा सिस्टम बना दिया गया है। एडिशनल एसी स्तर के अफसरों को मॉनीटरिंग का जिम्मा सौंपा गया है। ट्रेनिंग प्रोग्राम को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही होने पर अफसर सीधे जिम्मेदार रहेंगे। पुलिस के जवानों और अफसरों के लिए कंप्यूटर की ट्रेनिंग उन्होंने अफसरों और थानेदारों की बैठक लेकर उनकी क्लास ली और हर हाल में 15 दिन के भीतर कंप्यूटर की ट्रेनिंग का पहला चरण पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कर दिया कि अब कंप्यूटर ट्रेनिंग के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही स्वीकार नहीं होगी। वे जिम्मेदार अफसरों पर खफा भी हुए कि उन्होंने अब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है। कंप्यूटर आपरेटिंग सिस्टम के बाद सोशल मीडिया और वाट्सएप की ट्रेनिंग दी जाएगी।