भूमध्यसागर के किनारे मिस्र और जोर्डन के बीच इजराईल स्थित है। लगभग 3हजार साल पहले यह भूभाग यहूदियो की जन्मस्थली और पवित्र भूमि के रूप मे ...
भूमध्यसागर के किनारे मिस्र और जोर्डन के बीच इजराईल स्थित है। लगभग 3हजार साल पहले यह भूभाग यहूदियो की जन्मस्थली और पवित्र भूमि के रूप मे पहचाना जाता था। यहूदी धर्म के संस्थापक पैगम्बर अब्राहम ने अपने धर्म का पहला प्रवचन इसी भूमि पर दिया था। यहूदी धर्म के दूसरे बड़े पैगम्बर हजरत मूसा ने यहूदियो को मिस्र से आजाद किया और यहां ले आये। सिनाई पर्वत पर उन्होने 10 आदेश दिये और यहूदी राज्य की स्थापना की, इसके बाद लगभग एक हजार साल तक यहूदी ही इस भूमि के स्वामी और निवासी बनकर यहां राज करते रहे।
पर समय ने करवट ली। ईसाई और इस्लाम के उदय के साथ यहूदियो का दुर्भाग्य सामने आ खड़ा हुआ। यहूदियो पर भीषण हमले हुऐ। उन्हे मारकाट कर इजराईल से भागने पर मजबूर कर दिया गया ठीक वैसे ही जैसे कश्मीर घाटी से हिंदूओ को भगाया गया था। यरूशलम पर पहले ईसाईयो और बाद में मुस्लिमो का नियंत्रण हो गया। 19 वी सदी मे इस भूमि पर तुर्की का नियंत्रण हो गया।
प्रथम विश्वयुद्ध मे तुर्की की पराजय के बाद यह क्षेत्र इंग्लैंड के नियंत्रण मे आ गया। अनुकूल स्थिति देखकर दुनिया के कौने-कौने से यहूदी फिलिस्तीन आने लगे। अंग्रेजो ने यहूदियो को यहां बसाने में पूरा सहयोग दिया परंतु फिलिस्तीनियो ने यहूदियो के यहां आने का विरोध किया और इसी के साथ अरब-इजराईल संघर्ष की शुरूआत हो गयी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिटलर ने भी यहूदियो का जमकर कत्लेआम किया, हर तरफ से दबे-कुचले, लुटे-पिटे यहूदियो ने तब यूरोप छोड़कर अधिक से अधिक संख्या में फिलिस्तीन मे बसना और अपने लिये एक अलग देश की मांग प्रारंभ कर दी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन काफी कमजोर हो गया था उसे फिलिस्तीन पर नियंत्रण बनाये रखना कठिन लग रहा था। इंग्लैंड ने विवाद को सुलझाने के लिये मामला संयुक्त राष्ट्र संघ को सौंप दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने फिलिस्तीन को दो भागो में बांट दिया। यहूदियो वाले भाग को 'इजराईल' और मुस्लिम बहुल भाग को 'फिलिस्तीन' कहा गया। विश्व की सभी बड़ी शक्तियों ने इस नये राष्ट्र इजराईल को मान्यता दी और इस प्रकार 14मई 1948को हिंदू अवधारणा की तरह एक #मृत_राष्ट्र_का_पुनर्जन्म_हो_गया।
परंतु अरब राष्ट्रो ने इजराईल को मान्यता नही दी और इसके साथ ही अरब-इजराईल के मध्य खूनी संघर्ष प्रारंभ हो गया। अरबो ने इजराईल पर अनेक आक्रमण किये किंतु यहूदियो ने अपने साहस और बुद्धि के बल पर हर बार अरबो को करारी शिकस्त दी।
ये जंग आज भी जारी है।
'यरूशलम' नगर को लेकर भी यहूदी, ईसाई और मुस्लिमो की धार्मिक भावनाऐ जुड़ी है क्योकि यहां तीनो ही धर्मो के पवित्र स्थल है और इन स्थलो पर नियंत्रण को लेकर संघर्ष और विवाद चलता रहता जैसे अयोध्या, मथुरा और काशी मे चल रहा है।
अरब-इजराईल संघर्ष मे भारत की नीति हमेशा अरब समर्थक रही। भारतीय सेकुलर नेताओ ने सदा इजराईल को ही दोषी माना चाहे गलती फिलिस्तीन और अरब राष्ट्रो की रही हो, कारण वही... वोटबैंक की राजनीति। भारत की इस नीति से क्रोधित होकर एक सांसद MLसोंधी ने संसद मे बयान दे डाला था कि-"भारत चौदहवें अरब देश की तरह व्यवहार कर रहा है।"
जबकि इजराईल ने भारत-पाक और भारत-चीन युद्ध मे हमेशा भारतीय पक्ष का समर्थन किया, जबकि अरब राष्ट्रो ने पाकिस्तान का पक्ष लिया या तटस्थ रहे ।साउदी अरब ने तो पाकिस्तान को परमाणु बम बनाने के लिये आर्थिक सहयता के रूप मे भीख दी। भारत की यह अरब समर्थक नीति #गुटनिरपेक्ष_आंदोलन और भारत की 'प्राचीनतम सनातन संस्कृति' के भी विरुद्ध है क्योकि अरब राष्ट्र इजराईल के अस्तित्व को ही मिटाकर यहूदियो को दोबारा दर दर की ठोकरे खाने को विवश कर देना चाहते है। जबकि भारतीय संस्कृति "जियो और जीने दो" मे विश्वास रखती है।
पर बात जब 'वोटबैंक' और 'तुष्टिकरणवाद' की हो तो प्राचीन भारतीय मूल्य कोई मायने नही रखते, यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी से पहले कोई भी भारतीय प्रधानमंत्री इजराईल की यात्रा पर नही गया, जबकि इजराईल के साथ अतीत मे जो घट चुका है वह सब भारत वर्तमान मे झेल रहा है। कश्मीर, केरल, बंगाल, असम और देश के अनेक भागो से हिंदूओ को ठीक वैसे ही खदेड़ा जा चुका है या खदेड़ने की प्रक्रिया जारी है जैसे सदियो पूर्व फिलिस्तीन से यहूदियो को खदेड़ा गया था।
ISIS और अनेक आंतकी संगठन भारत को एक सॉफ्ट टारगेट मानते है और पूरे भारत मे इराक-सीरिया जैसे हालात बना देना चाहते है, जबकि यही देश और संगठन इजराईल और यहूदियो की ओर आंख उठाने की भी हिम्मत नही कर पाते क्योकि वे जानते है कि यदि उन्होने इजराईल को छेड़ा तो वो क्या कर सकता है।
हमे इजराईल से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। यदि #भारत_इजराईल और #हिंदू_यहूदियो से इतिहास का सबक नही सीखे तो वो दिन दूर नही जब #भारत_सीरिया और #हिंदू_यजीदी बनकर अपनी ही जन्मभूमि पर जीवन और रहम की भीख मांगते नजर आयेगें।
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