Uttar pradesh

भगवान के लिए चैनलों पर बैठकर कश्मीर को उन्माद फैलाने का ख़ुराक मत बनाइये

रवीश कुमार जब से आसमान में मंडराने वाले गिद्धों की संख्या कम हुई है, उसकी जगह आदमी मंडराने लगा है। आदमी गिद्ध बन गया है। मीडिया और सोशल...


रवीश कुमार
जब से आसमान में मंडराने वाले गिद्धों की संख्या कम हुई है, उसकी जगह आदमी मंडराने लगा है। आदमी गिद्ध बन गया है। मीडिया और सोशल मीडिया के आसमान में भी गिद्ध मंडरा रहे हैं। इन्हीं में से कुछ आज शाम चैनलों के स्टुडियों मंडराएंगे। जब वे अमरनाथ यात्रियों की हत्या की बातें कर रहे होंगे तो उनकी ज़बान और लार ग़ौर से देखियेगा। आतंकवादियों ने किस पर हमला किया और ये गिद्ध किस पर हमला करेंगे, आपको फर्क दिख जायेगा। आप यक़ीन करें न करें, गिद्धों के इस समाज में लाशों का बंटवारा हो गया है। लाशों के बहाने चुप्पियों का बंटवारा हो गया है। काश, कोई लाश, फिर ज़िंदा हो जाए और किसी से पूछ बैठे कि गोली तुम्हें भी लगी है क्या? तुम तो बिन गोली खाए ही मर गए लगते हो। मारा मैं गया हूं और मर तुम रहे हो। तुम तो अभी तो ज़िदा हो। देखना चाहता हूं कि गिद्ध में बदलता जा रहा यह राजनीतिक समाज क्या जवाब देता है।

सोशल मीडिया पर जाकर देखिये। कैसे इस हमले के बहाने दोनों पक्ष अपनी पुरानी भड़ास मिटा रहे हैं। सब अपने-अपने शत्रु को खोज रहे हैं। पहली पंक्ति में निंदा है, उसके आगे परनिंदा ही परनिंदा है। किसी ने तथाकथित बुद्धिजीवियों को पकड़ लिया है तो किसी ने नॉट इन माइ नेम वालों को तो किसी ने भक्तों अब बोलो, कहां हो कुछ तो बोलो करना शुरू कर दिया है। सबको लगता है कि वही सही है। इसे WHATABOURTY कहते हैं। जैसे नॉट इन माइ नेम वालों की वजह से कश्मीर में आतंकवाद है या उनकी तख़्ती देखकर सरकार फैसले नहीं कर पा रही है। जो हिंसा की निंदा करता है वो सबके भीतर बैठी हिंसा के तत्वों की भी निंदा करता है। बजाए यह पूछने कि तुम तब बोले तो अब देखते हैं बोलोगे या नहीं, क्या सभी अपने भीतर नहीं झांक सकते कि वो क्या कर रहे हैं। क्या वे खुद अपनी चुप्पी में नहीं झांस सकते, क्या वे ऊना के बाद सड़कों पर निकले थे, रोहित के बाद सड़कों पर निकले थे? आपस में लड़कर वो आतंकवाद का मकसद पूरा नहीं कर रहे हैं? दोनों पक्ष इस हिसाब से हासिल क्या कर रहे हैं? हैवान बन रहे हैं या अपनी इंसानियत तराश रहे हैं?

किसने और किस आधार पर मान लिया गया कि नॉट इन माइ नेम की तख़्ती उठाने वाले अमरनाथ यात्रियों के लिए विचलित नहीं होंगे? आख़िर सरकार की जवाबदेही के सवाल का जवाब यही क्यों है? कैसे यात्रियों से भरी एक बस बिना किसी पंजीकरण या सूचना के समय की पाबंदी का उल्लंघन करते हुए निकल पड़ी? क्या बस वाले सुरक्षा व्यवस्था को देखकर ज़्यादा आश्वस्त हो गए थे? जो भी यात्रा में गया है वही कहता है कि इतनी सुरक्षा होती है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। इस बार तो आशंकाओं का अंबार लगा हुआ था। इसलिए जवाब देने की जवाबदेही सरकार की है, नॉट इन माइ नेम की तख़्ती उठाने वालों की नहीं है?

कोई लिख रहा है कि वामपंथी, लिबरल एक्सपोज़ हो रहे हैं। क्या सचमुच इस घटना की यही परिणति है? एक्सपोज़ हमारी चाक चौबंद व्यवस्था में हुई है या बुद्धीजिवियों का खेमा हुआ है? और यह किसने साबित कर दिया कि सारे बुद्धीजीवि एक जैसे सोचते हैं? क्या आप बुद्धीजीवि नहीं हैं? आपको बुद्धीजीवियों से इतनी नफ़रत क्यों हैं? उनकी बातों का जवाब न दे पाने की चिढ़ है या जवाब देने लायक कुछ न कर पाने की हताशा है? एक जनाब ने तो पोस्ट कर दिया कि सभी मुसलमानों को निंदा करनी होगी। जबकि उसी वक्त हज़ारों मुसलमान निंदा कर रहे थे। कौन पागल है जो इस हिंसा का समर्थन करेगा। मगर कोई शातिर तो है जो इस हिंसा के बहाने हम लोग बनाम वे लोग कर रहा है। इतनी जल्दी क्यों मची है निशानदेही करने की,पहले भरोसे को तो आज़मा लो दोस्तो।

क्या अब कोई भी घटना जवाबदेही से मुक्त मानी जाएगी? क्या ऐसा पहले भी होता था? ज़रूर कई लोगों ने कश्मीर को लेकर सरकार की नीतियों की आलोचना की है। बीजेपी के नेता यशवंत सिन्हा ने भी की है। तो क्या सरकार ने आलोचना के बाद अपनी नीति बदल दी है? जब अपनी ही नीति पर चली है तो फिर इसका जवाब सरकार देगी या आलोचक देंगे? नोटबंदी से आतंकवाद खत्म होने का एलान कर दिया गया था। क्या इस पर सवाल करना गुनाह है? पूछने की आज़ादी भले न कम से कम शोक का संस्कार तो बना रहे। हम सब चुप ही रहे। मौन ही रहें।

अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की सुरक्षा का भरोसा आज का नहीं है। कई हज़ार सुरक्षा बल रास्ते भर में तैनात होते हैं। उन्हीं का भरोसा है कि हर साल यात्री जाते हैं और भोले को जल चढ़ा कर आ जाते हैं। वो सिर्फ शिव से मिलने नहीं जाते हैं, आतंक के उस भय के ख़िलाफ़ भी यात्रा करते हैं, जो चाहता है कि उस रास्ते से जाने वालों के निशान मिट जाएं। उनका जाना यह भरोसा दिलाता है कि आज भी कुछ लोग आतंक के साये से नहीं डरते हैं। जान जोखिम में डालकर उन रास्तों पर चलने का साहस रखते हैं जहां गोलियों के आने की दिशा और वक्त का पता नहीं चलता है। अमरनाथ की यात्रा साधारण यात्रा नहीं है। यह शिव तक पहुंचने का सबसे दुर्गम रास्ता है। शिव तक पहुंचने में शिव होने की यात्रा है। मृत्यु के भय से ऊपर उठना ही शिव होना है। यात्रियों को पता है कि संसार का संहारक ही उनका संरक्षक है। इन यात्रियों का हम पर अहसान है कि वो जाकर हमें भरोसा दिलाते हैं कि सब तरफ आतंक होगा तब भी अमरनाथ होगा।

जो भक्ति या इबादत में होता है वो अपने सबसे पवित्र भाव में होता है। वो सिर्फ अपने लिए सर नहीं झुकाता बल्कि परिवार, समाज और दुनिया के लिए सर झुकाता है। ऐसे वक्त में हत्या कर आतंकवाद ने कश्मीर की हत्या कर दी है। कश्मीर की समस्या इस वक्त की घोर राजनीतिक नाकामी है। केंद्र और राज्य सरकार की नाकामी है। ज़रूर सरकार ने कई आतंकवादियो को मारने में बड़ी सफलता हासिल की है मगर समस्या वहीं की वहीं खड़ी है। सरकार से भी एक दिन या एक साल में समस्या के समाधान की उम्मीद भी बेमानी है। वहां से आती ख़बरें बता रही हैं कि आज़ादी के सपने में मज़हबी जुनून का घुन लग गया है। मज़हबी जुनून दुनिया भर में सनकी उन्मादी पैदा करने का आज़माया हुआ फार्मूला है। यह समाज को भीतर से बर्बाद कर देता है। जहां जहां इस्लाम के भीतर मज़हबी जुनून पैदा हुआ है वहां सिर्फ बर्बादी आई है।

अब इसी की नकल में दूसरे समुदायों में भी मज़हबी उन्माद पैदा किया जा रहा है। नतीजे बताते हैं कि इस जुनून का अंत राख के ढेर पर होता है। परिस्थितियों का लाभ उठाकर मज़हबी उन्माद अपनी जगह तो बना लेता है मगर जब जगह छोड़ता है तो सिर्फ सन्नाटा बचता है। यकीन न हो तो आतंक के क़ब्ज़े से आज़ाद हुए इराक़ के शहर मोसूल की तस्वीरें देख लीजिए। इंटरनेट पर मोसूल की तस्वीर देखकर लगता है कि किसी ने शहर के शरीर पर भभूत लपेट दिया है। शहर कम श्मशान ज़्यादा लगता है। आतंकवादी संगठन आईसीस तो ग़ायब हो जाएगा, मगर मोसूल में क्या बचा? क्या मज़हब बच गया? आतंकवाद किसी किताब से ज़मी पर नहीं उतरता है, वो चोला मज़हब का तो पहनता है मगर हथियार उनका उठाता है जो मज़हब की आड़ में दुनिया में जंग का खेल खेल रहे हैं। आईसीस और ओबामा कौन पैदा करता है, सत्ता के इस खेल को समझिये।

कश्मीर में कश्मीरियरत ख़त्म हो चुकी है। यह इलाका अब विवेक शून्य होता जा रहा है। कारण और परिस्थितियों को दोनों तरफ से थोड़ा बहुत समझता हूं मगर यह भी देख पा रहा हूं कि वहां सबसे बड़ी चुनौती ख़ुद को इंसान के रूप में बचाये रखने की है। मैं कश्मीर गया नहीं हूं। वहां की ख़बरों से भी कम वास्ता रखता हूं। इसकी वजह है कि वहां सब कुछ उलझ गया है। जो विशेषज्ञ हैं वो घुन खाये किताबों की तरह नज़र आते हैं। उनकी बातों से बात कम गंध ज़्यादा निकली है। गोलियों में मेरा यकीन रहा नहीं। मैं वहां के लोगों को नहीं जानता इसलिए उन पर फैसला नहीं सुनाऊंगा। वहां के सभी नेता हिंसा की निंदा कर रहे हैं, ज़ाहिर है समाज का एक तबका भी हिंसा की निंदा करता ही है। मगर उससे तो कश्मीर की तस्वीर बदलती नहीं है। ख़ून का गिरना बंद नहीं होता है। कश्मीर का घाव बजबजा रहा है। वहां के लोगों के ज़हन में जो घाव है, अब उसे कारण की समझ नहीं, दवा की ज़रूरत है। ये मरहम सिर्फ अहिंसा है।

कश्मीर के लोगों को इंडियन एक्सप्रेस में छपे अपूर्वानंद के लेख पर ग़ौर करना चाहिए। जब भीड़ ने डीएसपी अयूब पंडित को मारा था तब अपूर्वानंद ने असहयोग आंदोलन के समय चौरी चौरा में हुई हिंसा की याद दिलाते हुए लिखा था कि गांधी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया। कहा कि हिंसा से कुछ हासिल ही नहीं करना है। मेरा यकीन अहिंसा में है तो अहिंसा से हासिल करूंगा। अपूर्वानंद ने लिखा कि कश्मीर को अब रूक जाना चाहिए। सब कुछ स्थगित कर देना चाहिए। अब वहां के लोग भीड़ में बदलने लगे हैं, अपने विवेक की हत्या करने लगे हैं। बेहतर है कि वे ख़ुद को स्थगित कर दें। उन्हें तय करना होगा कि क्या हासिल करना चाहते हैं और इससे हासिल के बाद भी क्या बचने वाला है। इस लड़ाई में पागलपन के अलावा कुछ नहीं है।

अमरनाथ के यात्रियों की हत्या उस इलाके में बची हुई हिन्दुस्तानियत की भी हत्या की कोशिश है। वो यात्रा हिन्दुओं की है मगर मुसलमानों के बिना पूरी ही नहीं होती है। उनकी रोज़ी पर भी हमला हुआ है। आतंकवाद हमारी परीक्षा ले रहा है। वो एक ख़्वाब देख रहा है कि आखिर कब तक हम हर हमले के बाद ख़ुद को एकजुट रखेंगे। एक न एक दिन आपस में हिसाब किताब शुरू होगा, जो आजकल कब बोले और अब बोले को लेकर शुरू हो गया है। इसका अंजाम दिख रहा है मगर उम्मीद भी है कि लोग समझेंगे। जल्दी ही सब कुछ साफ-साफ दिख जाएगा, जब राजनीति इन हत्याओं का भावुक इस्तमाल करेगी ताकि लोग सवाल ही न कर सकें कि आपके रहते यह सब हुआ कैसे। पाकिस्तान को जवाब चाहिए तो पाकिस्तान को दीजिए, कश्मीर के भीतर के आतंकवादी तत्वों को जवाब चाहिए तो उन्हें दीजिए।

भगवान के लिए चैनलों पर बैठकर कश्मीर को उन्माद फैलाने का ख़ुराक मत बनाइये। लिबरल और वामपंथी की असफलता नहीं है कश्मीर। कश्मीर किसकी असफलता है वो चैनलों में आने वाले वक्ताओं को मालूम है, मगर सबको पता है कि सच बोलना ख़तरे से ख़ाली नहीं। भीड़ बनो और भीड़ के साथ रहो। हम सब अंतर्विरोधों से घिरे हुए हैं। कोई इससे मुक्त नहीं है। बेहतर है रास्ते पर बात हो, मंज़िल न सही, इरादों पर बात हो। अपनों को क्यों बनाते हो, दुश्मन मेरे दोस्त, जो दुश्मन हैं, उन दुश्मनों पर बात हो। इधर उधर की बात मत कर, ये बता कि कारवां क्यों लुटा?
Name

Advice,65,Agra,269,Ajab Gajab,1894,Aligarh,108,Allahabad,246,Aman Pathan,569,Ambedkar nagar,1887,Amethi,519,Amroha,625,Article,305,Ayodhya,18,Badaun,11,Bahraich,617,Ballia,5,Balrampur,763,Barabanki,8,Barebanki,3,Bareilly,31,Basti,120,beauty tips,54,Bhadohi,1,Bhakti,3,Bihar,500,Bijanaur,6,Bijnor,258,BJP,57,Blog,6897,Bollywood,415,Business Idea,76,business news,217,Carrier,3,Chandigarh,2,chhattisgarh,9,Congress,43,Cricket,41,CRIME NEWS,149,Desh videsh,1068,Dharam karam,15,Earning Tips,3,education,5,Election,1536,English,7,Entertainment,1387,Etah,768,faizabad,276,Farrukhabad,120,fatehpur,1,Firozabad,20,Free Recharge,4,Gadgets,1786,Gaziabad,2,Ghazipur,10,gonda,4,Gorakhpur,6,gujarat,22,gujrat,119,Hardoi,92,Hariyana,316,Health Tips,314,Helth Tips,32,Himachal pradesh,9,Historical news,3,Hollywood,35,Home Design,34,Info,2,International,279,international news,112,Jaipur state news,2,jammu kashmir,55,Jaunpur,1441,jayapur,1,Jharkhand,55,Job,93,Kanpur,79,Karnatak,5,karnatka,17,Kasganj,319,khana khajana,42,Korba,1,Kushinagar,2,Lakhimpur khiri,151,Life Style,362,LIVE,17,lovestory,1,Lucknow,102,Madhya Pradesh,1057,Madhyapradesh,3,Maharashtra,223,Maharastra,4,Mathura,81,Media Event,19,Media Job,13,Media News,1337,Member Of Parliament,5,Mirzapur,55,Mirzapur-news,7,Mohd Zahid,1156,mumbai,4,Muradabad,15,Muzaffarnagar,2,Nadeem S Akhtar,689,Narendra modi,523,National,138,National News,282,New Delhi,9574,news,1,ONE CLICK 5 NEWS,15,Panjab,39,Patiyali news,2,Patna,2,Pilibhit,10,Political,24,poltical news,253,Poltics,642,Prayag,3,Prayagraj,3,punjab,48,Quiz,71,Raebareli,7634,Rajasthan,1524,rajsthan,29,Ramzan,35,Rashifal,1096,Ratlam,2,Raybareilly,9,Raybrely,4,s,2,Saharanpur,80,Samajwadi party,72,Sambhal,110,Shahjahanpur,141,Sharanpur,152,Shayari,41,Shivakant Awasthi,3,Shravasti,2,Sitapur,61,SP Mittal,423,Special news,68,sports,165,Sports news,25,Sravasti,2376,State News,21685,stateç,2,statenews,494,Sultanpur,295,Survey,11,technology news,41,Tecnology,81,Unnav,3,unnaw,2,Urdu,6,uttar pardesh,2865,uttar pradesh,20649,uttar spardesh,36,Uttarakhand,77,uttarpardesh,73,uttarpradesh,201,uttarpradeshUttar,9,Uttrakhand,28,video,5435,Vihar,1,Viral Post,2189,Viral Video,1221,Voting,9,Wasim akram tyagi,287,west bangal,5,West Bengal,101,Wishing,5,अंसारी समाज,1,इबादत,1,उत्तर प्रदेश,4,उथल पुथल,11,क़ुरआन,1,ज़कात,1,डॉक्टर,1,धर्म कर्म,364,धामपुर बिजनौर,1,धामपुर विधानसभा,1,नईम उल हसन,1,नमाज़,1,पत्रकार बाबू अंसारी,1,फ़ितरा,1,बाबू अंसारी,1,बिजनौर,2,बिजली घर स्योहारा,1,मूलचंद चौहान,1,यूपी चुनाव 2022,2,यूपी विधुत कर्मचारियों की हरताल,1,रमज़ान,1,राज्य समाचार,5,रायबरेली,3,रोज़ा,1,विधानसभा 20,1,सदका,1,सपा,1,स्योहारा,2,स्वास्थ,1,हेल्थ,1,
ltr
item
CARE OF MEDIA: भगवान के लिए चैनलों पर बैठकर कश्मीर को उन्माद फैलाने का ख़ुराक मत बनाइये
भगवान के लिए चैनलों पर बैठकर कश्मीर को उन्माद फैलाने का ख़ुराक मत बनाइये
https://1.bp.blogspot.com/-8W-kbnNqkkU/WWUGf37QnqI/AAAAAAAAECs/Zbh5KUoIHI4-fprW-qw6sXrYkhAHD1VegCLcBGAs/s320/images-52.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-8W-kbnNqkkU/WWUGf37QnqI/AAAAAAAAECs/Zbh5KUoIHI4-fprW-qw6sXrYkhAHD1VegCLcBGAs/s72-c/images-52.jpg
CARE OF MEDIA
https://www.careofmedia.com/2017/07/blog-post_227.html
https://www.careofmedia.com/
https://www.careofmedia.com/
https://www.careofmedia.com/2017/07/blog-post_227.html
true
3701702825773277879
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy