इसाले सवाब की मजलिस को खिताब करने पहुंचे थे जौनपुर शहर में जौनपुर। आॅल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता फर्खे मिल्लत मौलाना डॉ यासूब ...
इसाले सवाब की मजलिस को खिताब करने पहुंचे थे जौनपुर शहर में
जौनपुर। आॅल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता फर्खे मिल्लत मौलाना डॉ यासूब अब्बास ने कहा कि इस्लाम का आतंकवाद से कोई ताल्लुक नहीं है। आतंक के जरिए सिर्फ इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस्लाम अमन का मजहब है। कोई इसे लाख बदनाम करने की कोशिश करे लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो पाएगा। वह रविवार को अलम नौचंदी व जुलूस—ए—अमारी के बानी सैयद जुल्फेकार हुसैन की पत्नी के लिए हुई इसाले सवाब की मजलिस को खेताब करने के लिए बाजार भुआ स्थित इमामबाड़ा दालान पहुंचे थे।
मजलिस के दौरान उन्होंने कहा कि किसी को इस्लाम के बारे में कुछ बोलने से पहले मोहम्मद साहब व उनकी औलाद अहलेबैत के किरदार को देखना चाहिए। अस्ल इस्लाम की तालीम उन्होंने ही दुनिया को दी है। अहलेबैत ने न सिर्फ दुनिया तक अस्ल इस्लाम पहुंचाया बल्कि उन्हीं की वजह से आज दुनिया में इंसानियत कायम है। अहलेबैत ने बताया कि गिरते को सहारा देने का नाम इस्लाम है। अगर कोई गिरते को सहारा नहीं दे रहा तो वह इस्लाम को मानने वाला नहीं हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम के पैरोकारों ने कभी हुकूमत तरजीह नहीं दी। जिन लोगों ने हुकूमत की उनका इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है। आज इस्लाम को आतंक के जरिए बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। बहुत से लोग इसमें शिददत के साथ लगे हुए हैं। कहा कि हम जब तक कर्बला से रौशनी लेते रहेंगे। इस्लाम को बदनाम करने की हर किसी की कोशिशें चकनाचूर होती रहेंगी। इस दौरान उन्होंने कर्बला में इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों पर हुए जुल्म की दास्तां बयान की। साथ इमाम हुसैन की चार साल की बच्ची जनाबे सकीना पर हुए मसाएब को पढ़ा तो मोमनीन कराम की आंखें तर हो गईं। इससे पहले मजलिस की शुरुआत सोजख्वानी से नजर हसन एडवोकेट और उनके साथियों ने किया। पेशख्वानी काजिम जैदी अमेठी, अमन सुल्तानपुरी, रविश जौनपुर, तनवीर जौनपुरी और ऐहतेशाम जौनपुरी ने की। मजलिस के बाद अंजुमन जुल्फेकारिया ने नौहा मातम किया। इस दौरान भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष हैदर अब्बास चांद, अलमदार हुसैन, दिलदार हुसैन समेत तमाम लोग मौजूद रहे। मजलिस में आए मोमनीन का भाजपा के वरिष्ठ नेता व एडवोकेट शहंशाह हुसैन रिजवी ने शुक्रिया अदा किया।