खान अशु चन्द दिनों पहले जो भोपाल अमन के दुश्मनों की बदनजर का शिकार था, उसी शहर से नफरतो को मुह तोड़ जवाब देने की कवायद शुरू हो गई है। ह...
खान अशु
चन्द दिनों पहले जो भोपाल अमन के दुश्मनों की बदनजर का शिकार था, उसी शहर से नफरतो को मुह तोड़ जवाब देने की कवायद शुरू हो गई है। हम एक थे, एक हैं और हमेशा एक रहेंगे की अवधारणा को चरितार्थ करने वाली एक तहरीर इस इतवार को लिखी जाने वाली है। बीड़ा उठाया है एक सामाजिक संगठन 'इन्सानी बिरदरी' ने।
कोशिश गंगा-जमनी तहजीब को बचाने को बचाने की है, गवाह बनाया जा रहा है हर कौम, धर्म, समाज, जाति, वर्ग, समुदाय के लोगों को। राजधानी का इकबाल मैदान इसका साक्षी बनने वाला है। छोटे लेकिन बड़ी तवारीख रखने वाले इस खिरनी वाले मैदान में हमारे देश हिन्दुस्तान के नक्शे पर बनने वाली मानव श्रखला से नफरत के खिलाफ आवाज उठने वाली है, जो भोपाल से होकर देश के हर उस कोने तक जाने की उम्मीद है, जहाँ नफरत पालने और फैलाने वाले सान्स ले रहे हैं। इकबाल मैदान इस मायने में भी अपनी खास पहचान रखता है कि इसमें देश के शहीदों से लेकर साहित्यकारों तक के कदम पड़े हैं।
सामाजिक, साहित्यिक, धार्मिक कार्यक्रमों का यह गढ़ रहा है। पिछले माह की एक तहरीर 'सबके साथ अफतार' ने 'द वाशिन्गटन पोस्ट' में जगह बनाई है। उम्मीद की जा सकती है कि 'इन्सानी बिरदरी' की यह पहल शहर ही नहीं बल्कि देश-दुनिया में अमन की सदाए, भाईचारे की हवाएँ और अपनेपन की बयार फैलाएगी। इन्सानियत और अमन के पैरोकारों को इस महति आयोजन में शरीक होने की दावत है....!
यह भी बनेगी तहरीर
आमतौर पर शादी-ब्याह, त्यौहार और दुनिया में नई आमद पर नजर आने वाली समाज से तिरस्कृत बिरादरी किन्नर भी 'इन्सानी बिरदरी' के प्रोग्राम में शिरकत करने वाले हैं। सम्भवत: ये पहला मौका होगा, जब यह समुदाय किसी गैर फायदे के कार्यक्रम में शरीक होने वाली है। कारण पूछने पर किन्नर समाज का जवाब है, समाज से सब हैं, समाज शान्ति से है। मान्यता है कि हमारी दुआ में असर होता है, इसलिए हम इस शहर, सूबे और देश में अमन-शान्ति की दुआएं करेंगे।