खान अशु भाजपा संकट मोचक के समर्थक अपना प्रेम, विश्वास, आस्था और समर्थन साबित करने एक जाजम पर बैठने वाले हैं... दिन 7 जुलाई, जगह पटवारी ...
खान अशु
भाजपा संकट मोचक के समर्थक अपना प्रेम, विश्वास, आस्था और समर्थन साबित करने एक जाजम पर बैठने वाले हैं... दिन 7 जुलाई, जगह पटवारी फार्म हाउस, दतिया... ताकीद, सबको अपने टिफिन साथ लाने की... संकट की इस घड़ी में होने वाली यह 'अलग तरह' की बैठक, 'नेताजी' के लिए क्या सहयोग करेगी,
कहा नहीं जा सकता, क्योंकि चुनाव आयोग, अदालत और विपक्ष की बढ़ती बन्दिश ने मुश्किलें इतनी बढ़ा दी हैं कि उप्पा-टप्पी में तो कुछ होने से रहा, लेकिन इस जमावट से एक मानसिक संबल की उम्मीद जरूर की जा सकती है। संबल अपने समर्थकों के साथ का, संबल उस जनता के विश्वास का, जिसके लिए चुनाव दर चुनाव लड़ने, जीतने और सेवा की कोशिश की जा रही है, संबल उस फैसले का, जो बड़ी अदालत के फैसले से पहले क्षेत्र की जनता से मिलने वाला है।
मुसीबतें, मुश्किलें, परेशानियाँ सार्वजनिक जीवन के सुखद पहलू का दूसरा रूप कहे जा सकते हैं। 'नेताजी' पहले शख्स नहीं हैं, जिनपर संकट आया है, पहले भी कई मामले हुए हैं, आगे भी होगे, लेकिन इस मामले पर सबकी निगाहें गडी होने की स्पष्ट वजह है नेताजी का कद। कमजोर हालात में करारी चोट के जरिए आगे की कई परेशानियों से निजात पाने के सबके अपने-अपने लक्ष्य हैं, नेताजी के विरोधियों के भी और उनकी अपनी पार्टी के लोगों के भी।
वकील हडताल ने बुधवार की पेशी के हालात बदल दिए, अब विपक्ष की वकील टीम नेताजी को अदालत में घेरने की तैयारी में है। नए-नए राज्यसभा पहुंचे वकील साहब से लेकर दिल्ली दरबार में मौजूद दिग्गज अभिभाषक तक मामले में इन्ट्रेस्ट लेते नजर आ रहे हैं। खेल कुछ इस तरह का होता नजर आ रहा है कि अपने रन बने न बने, सामने वाली टीम का स्कोर बढ़ने से रोक दिया जाए।
गाँव बसा नहीं, और....
बदलाव की सुगबुगाहट, अरमानों की उड़ान, लगते कयास और बनते-बिगड़ते हालात से होने वाले फायदे-नुकसान का आकलन... मप्र की सियासत के अलावा उन लोगों में भी इन हालात का समावेश है, जो राजनीति की भट्टी पर रोटियां सेकने के माहिर-फन हैं....!