मुसलमानों के हनुमान जी शीबा नकवी फेसबुक पर मेरा भी लिखा हुआ पढ़ती हैं, मैं और मेरी पत्नी वीणा हिमाचल से दिल्ली आये हुए हैं, दो दिन पहले शीबा ...
मुसलमानों के हनुमान जी
शीबा नकवी फेसबुक पर मेरा भी लिखा हुआ पढ़ती हैं,
मैं और मेरी पत्नी वीणा हिमाचल से दिल्ली आये हुए हैं,
दो दिन पहले शीबा हम लोगों से मिलने आयीं थीं,
शीबा मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों को पढ़ाती हैं,
शीबा बेहद मीठा बोलने वाली शांत सी महिला हैं,
उन्होंने एक बहुत मजेदार किस्सा सुनाया,
उन्होंने बताया कि एक बार उनकी कालोनी में लाऊडस्पीकर से आवाज़ आयी,
एक बच्चा गुम हो गया था उसकी सूचना दी जा रही थी,
रात का समय था, शीबा ने अपने बच्चों से कहा आओ हम सब दुआ करें कि मौला उस बच्चे को अपने माँ बाप से मिला दे,
शीबा की बेटी ने कहा मम्मी आपने सुना नहीं वो बच्चा हिन्दू है मौला उसकी मदद कैसे करेंगे ?
शीबा ने अचरज से अपने बच्चों से पूछा कि क्यों मौला उसकी मदद क्यों नहीं करेंगे ?
शीबा की बेटी ने कहा उसकी मदद तो हनुमान करेंगे,
शीबा ने कहा कोई बात नहीं मौला भी हिन्दू बच्चे की मदद कर सकते हैं,
शीबा की बेटी ने पूछा क्या हनुमान हमारी मदद करेंगे ?
शीबा ने कहा हाँ कर सकते हैं,
सुनाते समय शीबा की आँखों में एक रोशनी थी,
और मैं नास्तिक होते हुए भी नमी भरी आँखों से यह किस्सा सुन रहा था,
शीबा चली गयीं, लेकिन मेरे दिल में मुसलमानों की छवि सुधार गयीं,
आज मैं और मेरी पत्नी वीणा गांधी समाधी के सामने रहने वाली एक समाजसेवी बहन से मिलने गए थे,
उन्होंने एक मजेदार किस्सा बताया,
पिछले हफ्ते दोस्तों का एक दल ऋषिकेश घूमने गया था,
गंगा के किनारे नंगे पांव घूमते समय रवि नाम के युवक के पांव में गंगा के किनारे फेकी गयी बियर की बोतल का कांच का टुकड़ा घुस गया,
पाँव में से खून बहने लगा,
साथ में आये हुए दोस्तों ने मदद करने की कोशिश करी, लेकिन कोई साधन मौजूद नहीं था इसलिए खून का बहना नहीं रोक पा रहे थे,
तभी लम्बे कुरते और ऊंचे पजामे और लम्बी दाढ़ी वाले एक मुस्लिम सज्जन वहाँ आ गए,
वह मुस्लिम सज्जन अपने गले में पड़े हुए चारखाने वाले स्कार्फ को उतार कर गंगा जल में गीला कर के रवि के पांव में लपेट कर खून रोकने की कोशिश करने लगे,
लेकिन खून बहता ही जा रहा था,
वह मुस्लिम सज्जन लगातार कोशिश करते रहे,
उस मुसलमान व्यक्ति ने रवि का खून रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि आप हनुमान चालीसा पढ़ते रहिये आपको आराम आएगा,
रवि ने पूछा आप हनुमान चालीसा पढने के लिए क्यों कह रहे हैं ? अल्लाह का नाम ना लूं ?
उन मुस्लिम सज्जन ने रवि से कहा, आपका विश्वास ऊपर वाले के जिस नाम में है आपको वही नाम आराम पहुंचाएगा,
हम पुकारने वाले बंदे अलग अलग हैं लेकिन सुनने वाला तो एक ही है,
रवि भाजपा का कार्यकर्ता है,
ऋषिकेश से वापिस आते समय कार में रवि के दोस्त उससे मज़ाक कर रहे थे कि बेटा तू तो मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की बोलता था अब बता ?
अब रवि एक बदले हुए इंसान के रूप में ऋषिकेश से वापिस लौटा है,
इसी के साथ मुझे दो दिन पहले की बिहार की वो घटना याद आयी जिसमें हमारे दोस्त अतहरुद्दीन के परिवार को धमका कर बजरंग दल के गुंडों ने जय श्री राम के नारे लगवाए और हिन्दू धर्म को बदनाम किया,
आप अपने कामों से अपने धर्म को अच्छा नाम भी दिलवा सकते हैं और उसे बदनाम भी कर सकते हैं,
फैसला आप को करना है कि आप अपने धर्म को गुंडागर्दी के द्वारा नष्ट करेंगे,
या उदारता के व्यवहार द्वारा अपने धर्म के लिए इज्ज़त और प्यार कमायेंगे ?
Himanshu kumar
शीबा नकवी फेसबुक पर मेरा भी लिखा हुआ पढ़ती हैं,
मैं और मेरी पत्नी वीणा हिमाचल से दिल्ली आये हुए हैं,
दो दिन पहले शीबा हम लोगों से मिलने आयीं थीं,
शीबा मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों को पढ़ाती हैं,
शीबा बेहद मीठा बोलने वाली शांत सी महिला हैं,
उन्होंने एक बहुत मजेदार किस्सा सुनाया,
उन्होंने बताया कि एक बार उनकी कालोनी में लाऊडस्पीकर से आवाज़ आयी,
एक बच्चा गुम हो गया था उसकी सूचना दी जा रही थी,
रात का समय था, शीबा ने अपने बच्चों से कहा आओ हम सब दुआ करें कि मौला उस बच्चे को अपने माँ बाप से मिला दे,
शीबा की बेटी ने कहा मम्मी आपने सुना नहीं वो बच्चा हिन्दू है मौला उसकी मदद कैसे करेंगे ?
शीबा ने अचरज से अपने बच्चों से पूछा कि क्यों मौला उसकी मदद क्यों नहीं करेंगे ?
शीबा की बेटी ने कहा उसकी मदद तो हनुमान करेंगे,
शीबा ने कहा कोई बात नहीं मौला भी हिन्दू बच्चे की मदद कर सकते हैं,
शीबा की बेटी ने पूछा क्या हनुमान हमारी मदद करेंगे ?
शीबा ने कहा हाँ कर सकते हैं,
सुनाते समय शीबा की आँखों में एक रोशनी थी,
और मैं नास्तिक होते हुए भी नमी भरी आँखों से यह किस्सा सुन रहा था,
शीबा चली गयीं, लेकिन मेरे दिल में मुसलमानों की छवि सुधार गयीं,
आज मैं और मेरी पत्नी वीणा गांधी समाधी के सामने रहने वाली एक समाजसेवी बहन से मिलने गए थे,
उन्होंने एक मजेदार किस्सा बताया,
पिछले हफ्ते दोस्तों का एक दल ऋषिकेश घूमने गया था,
गंगा के किनारे नंगे पांव घूमते समय रवि नाम के युवक के पांव में गंगा के किनारे फेकी गयी बियर की बोतल का कांच का टुकड़ा घुस गया,
पाँव में से खून बहने लगा,
साथ में आये हुए दोस्तों ने मदद करने की कोशिश करी, लेकिन कोई साधन मौजूद नहीं था इसलिए खून का बहना नहीं रोक पा रहे थे,
तभी लम्बे कुरते और ऊंचे पजामे और लम्बी दाढ़ी वाले एक मुस्लिम सज्जन वहाँ आ गए,
वह मुस्लिम सज्जन अपने गले में पड़े हुए चारखाने वाले स्कार्फ को उतार कर गंगा जल में गीला कर के रवि के पांव में लपेट कर खून रोकने की कोशिश करने लगे,
लेकिन खून बहता ही जा रहा था,
वह मुस्लिम सज्जन लगातार कोशिश करते रहे,
उस मुसलमान व्यक्ति ने रवि का खून रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि आप हनुमान चालीसा पढ़ते रहिये आपको आराम आएगा,
रवि ने पूछा आप हनुमान चालीसा पढने के लिए क्यों कह रहे हैं ? अल्लाह का नाम ना लूं ?
उन मुस्लिम सज्जन ने रवि से कहा, आपका विश्वास ऊपर वाले के जिस नाम में है आपको वही नाम आराम पहुंचाएगा,
हम पुकारने वाले बंदे अलग अलग हैं लेकिन सुनने वाला तो एक ही है,
रवि भाजपा का कार्यकर्ता है,
ऋषिकेश से वापिस आते समय कार में रवि के दोस्त उससे मज़ाक कर रहे थे कि बेटा तू तो मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की बोलता था अब बता ?
अब रवि एक बदले हुए इंसान के रूप में ऋषिकेश से वापिस लौटा है,
इसी के साथ मुझे दो दिन पहले की बिहार की वो घटना याद आयी जिसमें हमारे दोस्त अतहरुद्दीन के परिवार को धमका कर बजरंग दल के गुंडों ने जय श्री राम के नारे लगवाए और हिन्दू धर्म को बदनाम किया,
आप अपने कामों से अपने धर्म को अच्छा नाम भी दिलवा सकते हैं और उसे बदनाम भी कर सकते हैं,
फैसला आप को करना है कि आप अपने धर्म को गुंडागर्दी के द्वारा नष्ट करेंगे,
या उदारता के व्यवहार द्वारा अपने धर्म के लिए इज्ज़त और प्यार कमायेंगे ?
Himanshu kumar