मुहम्मद जाहिद ज़हरखुरानों की योजना सलीम के सामने आ जाने पर विफल हो गयी तो अब अमरनाथ यात्रा की बस का यह ड्राइवर उनके आक्रमण के केन्द्र म...
मुहम्मद जाहिद
ज़हरखुरानों की योजना सलीम के सामने आ जाने पर विफल हो गयी तो अब अमरनाथ यात्रा की बस का यह ड्राइवर उनके आक्रमण के केन्द्र में है।
सवाल उठाए जा रहे हैं कि उसने बस का पंजीकरण क्युँ नहीं कराया , जिस रूट पर जाना खतरनाक था उस रूट से क्युँ आया , और जब यात्रा का समय 7 बजे तक ही था तो वह अँधेरे में बस क्युँ चलाया। उस पर आतंकवादियों से मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है।
मतलब नेकी कर और गाली खा
ऐसी ही प्रतिक्रिया से दिल फटता है और फिर सोच पैदा होती है कि सलीम ऐसा ना ही करता तो बेहतर था , फिर अचानक ख्याल आता है कि फिर इंसानियत मर जाती , सलीम को ऐसा करना ही चाहिए था।
मुर्खों ? बस ही नहीं बल्कि उसमें उपस्थित सारे तीर्थ यात्री ही अपंजीकृत थे , और यात्रियों को अपना पंजीकरण खुद तय बैंक की शाखा में जा कर कराना होता है जो कि 1 जून से 29 जून तक होता रहा पर उस बस के किसी यात्री ने अपना पंजीकरण नहीं कराया था।
और बस का पंजीकरण भी ड्राइवर नहीं बल्कि बस का मालिक ही कराता है , और यह पंजीकरण भी 1 जून से प्रारंभ होकर 20 जून तक होना था। और ओम ट्रेवेल का मालिक हर्ष देसाई उस बस में यात्रा कर रहा था तो ज़िम्मेदारी हर्ष देसाई की थी ना कि ड्राइवर की।
बस तय रूट से आयी या नहीं उससे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इतने बैरियर और चेकपोस्ट के बावजूद अपंजीकृत बस और यात्री बिना पंजीकरण के अमरनाथ तक पहुँच कैसे गये ? और वहाँ से वापस श्रीनगर तक कैसे आ गये ? किसी भी चेकिंग में गैरकानूनी रूप से चल रही यह बस पकड़ी क्युँ नहीं गयी ?
बस देखने से साफ है कि यह "आल इंडिया परमिट" की बस ना होकर केवल गुजरात स्टेट की परमिट वाली बस थी फिर भी अमरनाथ यात्रा करा कर श्रीनगर तक बिना किसी बैरियर और चेकपोस्ट की जांच कराए वापस चली आई। ऐसा तो देश के सामान्य प्रदेश में नहीं होता हाई एलर्ट वाले काश्मीर में कैसे हो गया ?
7 बजे अर्थात 1 घंटे 20 मिनट बाद 8:20 पर जब बस पर फायरिंग हुई तो क्या बस उसके पहले 7 बजे तक 57 भरे तिर्थ यात्रियों के साथ रास्ते में खड़ा कर देते ? जबकि यात्रियों ने बयान दिया कि रास्ते में बस खराब हो गयी थी इस कारण विलम्ब हुआ।
किसी के मानवता के लिए जान जोखिम में डाल कर किए प्रयास पर इतना घटिया आरोप मत लगाओ कि फिर कोई सलीम ऐसी स्थिति में ऐसा करने से पहले 100 बार सोचे।
सलीम यदि आतंकवादियों से मिला होता तो उसका पैर इक्सलेटर पर नहीं ब्रेक पर पड़ता।
अक्ल लगाओ यदि है तो , पर नहीं , तुम्हारे अंदर का ज़हर ऐसा करने नहीं देगा।