अमेठी वैसे तो प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ जी कानून व्यवस्था एवं पुलिस की कार्यप्रणाली को चुस्त दुरुस्त करने के उद्देश्य से ही प्रदेश क...
अमेठी वैसे तो प्रदेश के मुखिया योगी आदित्य नाथ जी कानून व्यवस्था एवं पुलिस की कार्यप्रणाली को चुस्त दुरुस्त करने के उद्देश्य से ही प्रदेश के तेजतर्रार व वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी सुलखानं सिंह को प्रदेश का पुलिस महानिदेशक का प्रभार सौपा था। प्रभार संभालने के बाद डी.जी.पी. साहब ने पुलिस को मित्र पुलिस की भूमिका में कार्य करते हुए प्रदेश की आम जनता को त्वरित न्याय और राहत पहुँचाने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं कि उनके अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी मित्र पुलिस की भूमिका में दिख सकें तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस है कि सुधरने का रास्ता ही भूल चुकी है । इससे लगता तो यही है कि मित्र पुलिस कागजो में ही रहकर सिमट जायेगी और सरकार का सपना अधूरा ही रह जायेगा। प्रदेश का आम जनमानस योगी जी रामराज्य में भी यह नहीं समझ पायेगी की आखिर पुलिस किसकी मित्र है ?
पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने कानून व्यवस्था को ठीक करने के लिए और जनता को त्वरिय न्याय दिलाने के लिए पूरे प्रदेश में क्रन्तिकारी कदम उठाते हुए 100 नंबर डायल पुलिस की व्यवस्था की थी जिसके कारण अपराधिक घटनाओ में कमी आई थी । अपराधिक लोग कुछ दिन के लिए दुबक से गए थे हालाँकि पूरी तरह नियंत्रित नहीं हुई थी |
समय बदला सरकार बदली पुलिस की कार्यप्रणाली भी बदल गई। 100 नंबर डायल जनता को न्याय और राहत देने के बजाय विभाग के कमाऊं पूत की भूमिका में नजर आती दिख रही है। सत्ता में आते ही योगी सरकार 100 नंबर को बदले परिवेश में एंटी रोमियो नाम रख दिया फिर क्या था पुलिस के हाथ कमाई का बड़ा धंधा लग गया |
रोमियो कम परेशान हुए जबकि आम जनमानस पुलिस की कार्यप्रणाली से त्रस्त हो गया। पूरे प्रदेश का यह हाल रहा लोग अपनी सगी बहन/बेटियों को भी लेकर कहीं आने-जाने में दिक्कत महसूस करने लगे या फिर यूँ कह लीजिये कि लोग बहन बेटियो के साथ कही आना जाना बंद कर दिए । मीडिया के माध्यम से जब योगी जी के संज्ञान में बात आई तो उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि किसी को अनावश्यक परेशान किया तो कार्यवाही होगी तब जाकर मामला कण्ट्रोल में आया।
यदि हम बात अमेठी की करें तो शायद पूरे प्रदेश में सबसे आगे निकल चुकी है। यहाँ तो आम आदमी की क्या मजाल उपजिला अधिकारी तक को एक चर्चित महिला एसओ ने बेवकूफ तक कह डाला जिसका वीडियो भी वायरल हुआ, लेकिन शायद दबंगई में आगे निकल गई और उपजिला अधिकारी ने चुप्पी साध ली। जिसकी काफी चर्चा है पिछले एक महीने की बात करें तो पुलिस द्वारा सरेआम घूस लेते वीडियो वायरल हुआ है, इससे ज्यादा शर्मिंदगी क्या बात हो सकती है ? पुलिस द्वारा पीड़ित को ही प्रताड़ित करना आम बात हो गई हैं। उदहारण के तौर पर बताते चलें कि बुधवार को शाम को कोतवाली क्षेत्र मुसाफिरखाना के दादरा ग्राम में दो पक्षों में हुई मारपीट में पीड़ित पक्ष को ही पुलिस द्वारा दौड़ा का पीटा गया फिर थाने लाकर लाकप में ठूस दिया गया और दूसरी तरफ आरोपियों को छुआ तक भी नहीं | बल्कि पुलिस उनके साथ मित्रता की भूमिका में दिखी।
ग्रमीणों का आरोप है को यही नहीं किया पुलिस आसपास के घरों में घुस कर टीवी मोटर साइकिल को तोड़कर थाने उठा ले गए। घंटो पुलिसिया तांडव के बाद चले गए जिससे पीड़ित का परिवार ही नहीं पूरे गांव के लोग यह नहीं समझ पाये की दबंगो ने पुलिस को क्या दे दिया जो इस तरह की घटना हुई। पुलिस इस तरह निरंकुश है कि कभी किसी को बेइज्जत कर सकती है आम जनमानस तो यही नहीं समझ पा रहा है कि आख़िरकार पुलिस किसकी मित्र है अपराधियो की या फिर पीड़ितों की यह एक पहेली बनती जा रही है इस पर सरकार और उचस्स्थ अधिकारियों को अवश्य ही विचार करना चाहिए।
रिपोर्ट शिवकेश शुक्ला