अनिल मेहता अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादियों का हमला एक बहुत ही शर्मनाक कृत्य है जिसकी जितनी भी निन्दा की जाये कम है। पर कितने दु:ख की बा...
अनिल मेहता
अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादियों का हमला एक बहुत ही शर्मनाक कृत्य है जिसकी जितनी भी निन्दा की जाये कम है। पर कितने दु:ख की बात है कि आजादी के 69 वर्षों के बाद भी आज हम घरों से निकलते हुये डरते हैं हम आज भी हिन्दू और भारतीय मुस्लिमों में अलग-अलग नजरिया रखते हैं क्यों,
अमरनाथ के तीर्थ यात्रियों पर हमला पाकिस्तान के आतंकवादियों ने किया इसमे भारतीय मुस्लिम दोषी कहाँ से हो गये? मैं एक टीवी न्यूज चैनल पर देख रहा था उo प्रo के मुरादाबाद जिले के एक गाँव में तमाम मुस्लिमों ने मिल कर गढ्ढे मे गिरी एक गाय को बड़ी मुश्किलों से निकाला मेरी समझ से गोकशी के नाम पर मुस्लिमों पर अत्याचार क्यों। टीवी चैनल पर ही देखा हरियाणा में कुछ हिन्दू लोग एक मौलाना को प्रताड़ित कर रहे थे और कह रहे थे भारत माता की जय बोलो क्यों?
बेहतर होता किसी मुस्लिम से वन्दे मातरम या भारत माता की जय जबरदस्ती बुलवाने के बजाये मुस्लिमों के दिल में वो जज्बा पैदा किया जाता कि वह लोग वन्दे मातरम या भारत माता कि जय बोलने पर मजबूर हो जाते। पर क्या कहा जाये भारत की राजनीति को किसी राजनीतिक पार्टी ने मुस्लिमों को विशेष दर्जा दे कर समाज से अलग करने का काम किया तो किसी राजनीतिक पार्टी ने मुस्लिम समुदाय को भारत का अंग माना। और यही सही है।भारत में रहने वाले सभी मुस्लिम भारतीय समाज का अंग हैं।
आज जब मन्दिरों प्रात: मुo रफी के गाये भजन बजते हैं तो कौन कहेगा मुo रफी भारत के अंग नही थे।वीर अब्दुल हमीद पाकिस्तान के लिये नहीं भारत के लिये शहीद हुये थे। इस लिये भारतीय मुस्लिमों को शक की निगाह से देखना कहाँ तक उचित है।अमरनाथ यात्रियों पर हमला पाकिस्तान के आतंकवादियों ने किया था न कि भारतीय मुस्लिमों ने।इस हमले के बाद भारतीय मुस्लिमों ने जो एक जुटता दिखा कर इस हमले की निन्दा की है वह काबिले तारीफ है।