नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 की वो शाम हम कैसे भूल सकते हैं, जब प्रधानमंत्री ने अचानक ऐलान कर दिया था कि हमारी जेबों में पड़े 500 और 1000 के ...
नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 की वो शाम हम कैसे भूल सकते हैं, जब प्रधानमंत्री ने अचानक ऐलान कर दिया था कि हमारी जेबों में पड़े 500 और 1000 के नोट अब नहीं चलेंगे, ये अब एक कागज का टुकड़ा मात्र हैं।
इस ऐलान के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया था। वैसे तो मोदी सरकार ने अपने अभी तक के कार्यकाल में हमें अपने फैसलों से कई बार चौकाया है, लेकिन अब सवाल ये है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद देश के पीएम क्या बड़ा फैसला लेने वाले हैं। तो इस बात का जवाब भी हम आपको आज दे रहे हैं।
चार लाख फर्जी कंपनियों पर लग जाएगा ताला :
नोटबंदी और जीएसटी के बाद मोदी सरकार का अगला बड़ा कदम देश की करीब चार लाख फर्जी कंपनियों का पंजीकरण रद्द करना है। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से यह खबर है कि मोदी सरकार इन कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने की तैयारी कर रही है। आयकर विभाग के सूत्रों ने भी इस ख़बर पर मुहर लगा दी है।
आयकर विभाग के मुताबिक – देश में इस वक्त एक तिहाई सक्रिय कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने पिछले तीन वित्तीय वर्ष (2013-14, 2014-15, 2015-16) से अपना आयकर रिटर्न नहीं भरा है। इन सारी कंपनियों को पहले ही नोटिस जारी कर 30 दिन के भीतर पिछले सभी रिटर्न भरने को कहा गया है। अगर ये कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं तो कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय (एमसीए) इनका पंजीकरण रद्द कर देगा।
क्या होगा करोड़ों लोगों की नौकरियों पर असर :
अगर ये कंपनियां निर्धारित तारीख तक आयकर रिटर्न नही भरती हैं तो कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय इन कंपनियों और इनके निदेशकों के नाम भी सार्वजनिक करेगा। इन कंपनियों के बारे में जानकारी आयकर विभाग के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक से भी साझा की जाएगी। आकड़ों के मुताबिक देश में मार्च 2015 तक करीब 14.6 लाख कंपनियां पंजीकृत थीं, जिनमें से लगभग 10.2 लाख वर्तमान में सक्रिय हैं, जबकि केवल 214 कंपनियों ने ही खुद को ‘निष्क्रिय’ बताया है।
ख़बर ये भी है कि कंपनी मामलों का मंत्रालय फाइनेंस इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) को पत्र लिखकर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के प्रावाधानों के उल्लंघन के मामलों को उजागर करने की मांग करने वाली है। गौरतबल है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अलावा एफआईयू को भी पीएमएलए के प्रावधानों को लागू करवाने का अधिकार है। ऐसा माना जा रहा है कि इन कंपनियों पर बेनामी प्रॉपर्टी ऐक्ट के तहत भी कार्रवाई हो सकती है।