एसपी मित्तल 7 जुलाई को जब भ्रष्टाचार के संगीन आरोप में सीबीआई ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिजन के खिलाफ छा...
एसपी मित्तल
7 जुलाई को जब भ्रष्टाचार के संगीन आरोप में सीबीआई ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिजन के खिलाफ छापामार कार्यवाही की तो लालू ने कहा कि यह कार्यवाही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के इशारे पर हो रही है। चूंकि मैंने 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव मेंभाजपा को हराने का संकल्प लिया है, इसलिए मुझे फंसाया जा रहा है।
यह पहला अवसर नहीं है, जब लालू पर कोई एफआईआर दर्ज हुई हे। इससे पहले चारा घोटाले में लालू जेल जा चुके हैं। ताजा मामला तब का है, जब लालू रेलमंत्री थे। रांची और पटना में रेलवे की जिन होटलों में नीलाम किया गया, उन्हें बाद में लालू के परिवार के सदस्यों ने खरीद लिया। भले ही यह सब नियमों के अनुरूप हुआ हो, लेकिन सब जानते हैं कि जब कोई राजनेता सत्ता में होता है तो सरकारी सम्पत्तियों की नीलामी किस तरह से कोडिय़ों के भाव होती है।
इस मामले में तो नीलामी के बाद लालू के परिवार ने ही इन बेशकिमती होटलों पर कब्जा कर लिया। लालू और राबड़ी देवी के कुल मिलाकर 9 बच्चे हैं। 7 लड़कियां और 2 लड़के। आज सभी 9 बच्चे करोड़पति नहीं अरबपति हैं। आखिर लालू के पास इतनी सम्पत्ति कहां से आई? इसे राजनीति का चरित्र ही कहा जाएगा कि पूरा परिवार माला माल होने के बाद भी लालू गरीबों के मसीहा बने हुए हैं। लालू और उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री रहे चुके हैं और वर्तमान में लालू के दोनों पुत्र नितिश कुमार की सरकार में ताकतवर मंत्री हैं। लालू की एक बेटी राज्यसभा की सांसद भी हैं। सवाल यह भी उठता है कि आखिर लालू को संकल्प पूरा करने से कौन रोक रहा है?
लालू भ्रष्टाचार के मुद्दे को राजनीति से जोड़ रहे हैं। अच्छा हो कि भ्रष्टाचार के जो आरोप लगे हैं, उनका जवाब लालू दें। 2019 के चुनाव में भाजपा को हराने का जो संकल्प लिया है, उस पर लालू को अडिग रहना चाहिए। सीबीआई के छापों से घबराए बिना लालू को भाजपा के खिलाफ खड़ा रहना चाहिए। यदि लालू में राजनीतिक नैतिकता है तो उन्हें इसी वक्त नीतीश कुमार की सरकार से अपनी पार्टी का समर्थन वापस ले लेना चाहिए।
लालू 2019 में भाजपा को हराने का दावा कर रहे हैं और इधर नितीश कुमार की पार्टी जेडीयू राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन कर रही हैं। लालू अपने भ्रष्टाचार से बचने के लिए मोदी और शाह को तो कोस रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार की सरकार से समर्थन वापस नहीं ले रहे। लालू को पता है कि समर्थन वापस लेने से उनके दोनों बेटों का मंत्री पद भी छिन जाएगा। जबकि नीतीश तो भाजपा का समर्थन लेकर मुख्यमंत्री बने रहेंगे।