कुमार सौवीर लखनऊ : महुआ का असर नशीला होता है, जो अक्सर मारपीट तक पहुंच जाता है। फिर खून-खच्चर, थाना-हवालात, जेल-कारागार, और फिर कोर्ट...
कुमार सौवीर
लखनऊ : महुआ का असर नशीला होता है, जो अक्सर मारपीट तक पहुंच जाता है। फिर खून-खच्चर, थाना-हवालात, जेल-कारागार, और फिर कोर्ट-कचेहरी होते हुए मीडिया में छीछालेदर तक पहुंच जाता है। आज भी यही हुआ। अपने वक्त में शीर्ष तक पहुंचे महुआ न्यूज चैनल को लेकर फिर बवाल हो गया है। इस चैनल के मालिक विजय शंकर तिवारी और प्रमुख व्यवसायी रिंकू अग्रवाल(अग्रवाल रसोई) के बीच मकान को लेकर चल रहे विवाद में बुधवार की सुबह मारपीट तक की नौबत आ गई। कुर्सियां तोड़ी गयीं, और खून-खच्चर भी हो गया। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने तिवारी समेत कई लोगों को दबोच लिया और थाने पर ले गये।
आपको बता दें कि श्री तिवारी के रिश्तेदार रामपुर(देवरिया) के भाजपा विधायक कमलेश शुक्ल भी मौजूद थे। बाद में दोनों पक्ष शहर कोतवाली पर पहुंचाये गये। उसके बाद कोतवाली में दोनों पक्षों के लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर हमला करने का आरोप लगाया है। श्री तिवारी ने इस मकान पर अपना हक जताया है। जबकि मिठाई व्यवसायी का दावा है कि उसने इस मकान को विधिवत खरीद लिया है और उस पर काबिज भी है।
आपको बता दें कि महुआ न्यूज चैनल के मालिक विजय शंकर तिवारी गाजीपुर में गंगा पार युवराजपुर के रहने वाले हैं। करीब दस साल पहले उन्होंने महुआ न्यूज के नाम से एक न्यूज चैनल शुरू किया था। जल्दी ही वह लोकप्रिय हो गया। लेकिन इसी बीच तिवारी जी की अराजकताएं भी फैलने लगीं, और अपने निष्ठावान और परिश्रमी लोगों को हटा कर उन्होंने चापलूस लोगों को कुर्सियां थमा दीं। इन नये आये लोगों ने दीमक की तरह महुआ को चूस लिया। उधर जमीन और धोखाधड़ी के कई मामलों में तिवारी पर मुकदमे दर्ज हुए, और वे जेल में बंद कर दिये गये। कई बार मिला कर पिछला लम्बा समय तिवारी जी ने जेल में ही बिताया है।
तो ताजा खबर यह है कि जिस जमीन पर यह विवाद हो रहा है, तिवारी के अनुसार यह उनका पुश्तैनी मकान है। यह मकान गाजीपुर शहर में मऊ रोड पर रेलवे क्रासिंग के पास महुआबाग में है। शहर के एक बड़े मिठाई व्यवसायी रिंकू अग्रवाल का कहना है कि पिछले साल 23 फरवरी को उन्होंने विजय शंकर तिवारी के बेटे सौरभ तिवारी से इस मकान को खरीदने का एग्रीमेंट कराया। उसके एवज में वह विधिवत 15 लाख 32 हजार रुपये का स्टांप शुल्क भी जमा किए।
श्री अग्रवाल के मुताबिक मकान के मालिक विजय शंकर तिवारी तथा साझेदार पीके तिवारी ने बकायदा हलफनामा लिखा है कि उस मकान से उनका कोई वास्ता नहीं हैं। तिवारी बंधुओं के मैनेजर अरुण मिश्र को 15 लाख रुपये अलग से चुके हैं। श्री अग्रवाल ने अपनी बात की पुष्टि के लिए अपने बैंक एकाउंट से निकाली गई वह रकम का सबूत भी पेश किए। उनका कहना था कि वह जब मकान पर कब्जा लिए तब तिवारी बंधुओं की नीयत बिगड़ गई और उन्होंने सिविल कोर्ट में मकान पर मालिकाना हक जताते हुए उनके खिलाफ मुकदमा भी दायर कर दिया है।
उस मुकदमे की सुनवाई के ही दिन विजय शंकर तिवारी, भाजपा विधायक राकेश शुक्ल तथा उनके गनर सहित पांच गाड़ियों पर लोग आए और जबरिया मकान का ताला तोड़ कर उस पर कब्जा जमा लिए। जब उनका स्टाफ संजीव कुमार आपत्ति करने मौके पर पहुंचे तो उनके साथ उन लोगों ने मारपीट की। उधर विजय शंकर तिवारी का कहना है कि मकान उनके नाम से है। नगर पालिका के दस्तावेजों में भी उन्हीं का नाम दर्ज है। यहां तक पिछले साल 22 अगस्त को मकान के कैंपस का डेढ़ विस्वा भूखंड उन्होंने अपनी पत्नी को बेचा है। नगर पालिका में उस का दाखिल खारिज भी हो चुका है। श्री तिवारी ने कहा कि जहां तक उनके बेटे सौरभ की ओर से रिंकू अग्रवाल के पक्ष में मकान का एग्रीमेंट करने की बात है तो सौरभ को इसका कोई अधिकार नहीं है। उसे उन्होंने न कोई पॉवर ऑफ एटार्नी ही दी है। लिहाजा सौरभ से एग्रीमेंट की बात सरासर गलत है। इस मामले में शहर कोतवाल सुरेंद्र पांडेय ने कहा कि फिलहाल वह दोनों पक्षों की बात सुनेंगे। उनके कागजात देखेंगे। उसके बाद ही कोई कार्रवाई होगी। जहां तक मारपीट की बात है तो तहरीर मिलने पर जरूरी कार्रवाई होगी। साभार मेरी बिटिया डॉट कॉम