वसीम अकरम त्यागी बंगाल मे सत्तारूढ टीएमसी का नारा था 'मां माटी मानुष' इसी नारे के दम पर टीएमसी ने बंगाल मे 34 साल राज करने वाले...
वसीम अकरम त्यागी
बंगाल मे सत्तारूढ टीएमसी का नारा था 'मां माटी मानुष' इसी नारे के दम पर टीएमसी ने बंगाल मे 34 साल राज करने वाले कम्यूनिस्टो को उखाड़ फेंका था। ममता बनर्जी का पहला कार्यकाल ठीक ठाक रहा उसकी सबसे बड़ी खूबी थी बंगाल सांप्रदायिक दंगो से मुक्त रहा। लेकिन दूसरे कार्यकाल मे बंगाल को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाने की कोशिशें लगातार जारी हैं।
मालदा की घटना से लेकर टीपू सुल्तान मस्जिद के इमाम बरकाती तक टीवी वालो और भाजपा नेताओ ने खूब स्यापा किया है। ताजा मामला फेसबुक टिप्पणी को लेकर हुई हिंसा का है। किसी सरफिरे ने फेसबुक पर पैगंबर ऐ इस्लाम के बारे मे उल्टी सीधी पोस्ट डाली जिससे नाराज मुस्लिम समुदाय के कुछ सरफिरो ने उसका घर फूंक दिया। गनीमत है कि इस घटना मे किसी की जान नही गई। इस मामले मे फेसबुक पोस्ट डालने वाले और प्रतिक्रिया स्वरूप घर फूंक देने वालो पर कठोर कार्रावाई होनी चाहिये।
जिसने पोस्ट डाली उससे मालूम किया जाये कि एक समुदाय की भावनाऐं भड़काने के लिये उसे किसने प्रेरित किया था ? जिन्होने आग लगाई उनसे भी पूछ ताछ की जाये कि आग लगाने की सलाह किसने दी थी ? भारत मे एक नया फैशन चला है जिसे नेता बनना होता है वह इस्लाम और मुसलमानो को गालियां देकर आसानी से नेता बन जाता है। अब टीवी पर बंगाल की घटना को प्राथमिकता दी जा रही है। जी न्यूज समेत कई चैनल 'मां माटी मानुष' को 'मां माटी मुसलमान' के नाम से चला रहे हैं। ट्वीटर पर भी मां माटी मुसलमान ट्रेंड कर रहा है।
कई चैनल इस घटना को 'हिन्दुओ पर सीरियल हमले' का नाम देकर चला रहे हैं। यह सिर्फ टीआरपी के लिये नही हो रहा है बल्कि यह देश मे मुसलमानो के खिलाफ होने वाली नफरत मे इजाफा करने के लिये हो रहा है। यही वो चैनल हैं जो नजीब के लिये आवाज उठाने वालो को कहते हैं कि देश में और लोग भी तो गायब हैं फिर नजीब के लिये ही आंदोलन क्यों ? स्टूडियो मे बैठकर जिस भी शहर में आग लगवानी है वहां टीवी वाले आसानी से आग लगाने मे सक्षम हैं।