कल बंगाल की घटना की तुरंत निंदा करी गयी और होनी भी चाहिए थी किसी भी भीड़ को कानून अपने हाथ में लेनी इजाज़त नहीं है इस घटना पर Banojyotsna ...
कल बंगाल की घटना की तुरंत निंदा करी गयी और होनी भी चाहिए थी किसी भी भीड़ को कानून अपने हाथ में लेनी इजाज़त नहीं है इस घटना पर Banojyotsna Lahiri ने तफ्सील से एक लेख लिखा था उनकी इजाज़त के बगैर मै उसे हिंदी में अनुवाद कर के पोस्ट कर रहा हु पढ़े और अपनी राय रखे ।
बंगाल के बदुरिया में हुए दंगे को गौ रक्षक हत्याओं के सामान नहीं मानती ,नहीं मै ये नहीं कर सकती वो सिर्फ इसलिए क्योकि गाय आतंकवाद की हत्याओं में कोई उकसावा नहीं था . पहलु खान ,अख़लाक़ ,जुनैद ,ज़फर ,मिन्हाज और बाक़ी सब सिर्फ इसलिए क़त्ल कर दिए की वो मुसलमान थे जिनका वजूद ही हिन्दू राष्ट्र की कल्पना को पूर्ण नहीं होने देता
बंगाल में लोगो ने अपना गुस्सा एक घृणित फेसबुक पोस्टजो पूरी तरह से इस्लाम के खिलाफ थी उसपे यु उतरा की उन्होंने राज्य की सम्पति को तहस नहस किया और एक ऐसा माहौल बनाया जिसके द्वारा दूसरे समुदाय को परेशान किया जा सके
एक आदमी भी घायल नहीं हुआ है मै मानती हु की ये जो विरोध प्रदर्शन हुआ वो हिंसा होने के कारण शर्मनाक है लेकिन शर्म उस फेसबुक पोस्ट से शुरू होनी चाहिए
मै उसे सिर्फ सरसरी निगाह से नहीं देख सकती या लोगो से ये नहीं कह सकती की नज़रअंदाज़ करे इस बात पे की ये एक जाहिल नौजवानो का काम था या फिर उस से भी ज़्याद खराब बात की ये की ये अभिव्यक्ति की आज़ादी का सवाल है
बात सिर्फ इतनी नहीं की उस लड़के ने सिर्फ अपनी टाइम लाइन पे ये पोस्ट डाली और मामला ख़त्म हो गया साफ़ साफ़ नज़र आता है वो किस उद्देश्य से के तहत डाला गया फिर virul किया गया जिसने भी ये फोटो शेयर किया उसने खूब इस्लाम का मज़ाक उड़ाया और उसपे भद्दे कँनेट कर के अपनी कुंठा बाहर निकाली और मुस्लिमसमाज का मज़ाक उड़ाया जो पहले से ही इस देश में बुरी हालत में है
अब मई आपके सामने तस्वीर का दूसरा रुख रखती हु अगर मामला उलट होता अगर कोई मुस्लिम बच्चा हिन्दू भगवानो के अश्लील कार्टून बनाने की हिम्मत करता ?मै सोचते हुए भी कांपती हु और वो लोग जो अभ्व्यक्ति की आज़ादी नाम पर सहानुभूति में लिख रहे है उनममे ज़्यादातर अगर सभी नहीं फिर ये बहस करते की धार्मिक भावनाओ को इस कठोर तरहसे ठेस नहीं पहुचानी चाहिए
एक ऐसे राष्ट्र में जहा हर संस्था बहुमत से हिंदुत्व का गान गा रहे है जहा गाये के नाम पर लिंचिंग करने को रुटीन समझा जाए जहा हर मुसलमान अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है ऐसे हालात में मै बदुरिया बंगाल की घटना को को गाय आतंकवाद से मरे लोगो की घटना के हमपल्ला नहीं रख सकती
इन घटनाओ में राज्य की सजगता को ही देख लीजिये कुछ सम्पति जला दी गयी और एक ही दिन में केंद्रीय बल बदरिया पहुंच गयी कोई केंद्रीय बल नहीं आया था जब २००२ में गुजरात में खुला कत्लेआम हुआ था और पुलिस उसमे सहभागी थी फिर ये एक सिक्के के दो पहलू कैसे हो सकते है ऐसे समय में जब कम्युनल फ़ासिस्ट सरकार सरो पर हो और गरीब मुसलमान सिर्फ अल्लाह और उसके रसूल से इन्साफ की आस कर रहे हो तो आपको मुसलमानो के खिलाफ इतना उत्तेजित नहीं होना चाहिए।
Nadeem Khan की फेसबुक वॉल से