@अमरीश राय की फेसबुक वॉल से #Amarnath यात्रियों से भरी बस पर जब गोली चल रही थी तो ड्राइवर सलीम जान पर खेल बस को भगाए जा रहा था। ड्राइवर...
@अमरीश राय की फेसबुक वॉल से
#Amarnath यात्रियों से भरी बस पर जब गोली चल रही थी तो ड्राइवर सलीम जान पर खेल बस को भगाए जा रहा था। ड्राइवर की सूझ बूझ और साहस से कई जाने बच गईं।
मैं बस पर हमले में दिख रहे साजिश के एंगल नहीं बताऊंगा। आप खुद से पढ़ कर जान लीजिए। बस इतना बताऊंगा कि ड्राइवर का नाम सलीम था और ये सैकड़ों बार बताऊंगा।
क्योंकि एक सशक्त भारत के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि ड्राइवर का नाम सलीम था। घृणा फैला कर देश बांटने की कोशिश में लगे आतंकियों और दंगाइयों के लिए यह जानना जरूरी है कि ड्राइवर का नाम सलीम था।
@ मोहम्मद आमिल
सुबह सुबह आपके पोस्टों को पढ़ रहा हूँ। अमरनाथ यात्रियों पर हमले और सात श्रद्धालुओं की मौत के बाद भी आप वैसे के वैसे हैं। आपमें से कुछ मुस्लिम हेटर्स हैं, तो कुछ मोदी हेटर्स। एक आतंकी हमला हुआ है, इसमें जाहिर सी बात है विदेशी एजेंसियों की भूमिका रही होगी। कुछ लोग मारे गए हैं, वे अपने ही हैं। इसे संवेदना और आत्मावलोकन का मौका बनाईये।
एकजुट होकर सोचना होगा कि इससे कैसे उबरें, कैसे इन खूंखार लोगों से अपने मुल्क को बचाएं। मगर नहीं। हमें अभी भी अपने एजेंडे की पड़ी है, अपनी राजनीति की पड़ी है। कोई मुसलमानों, कम्यूनिस्टों, लिबरलों को निबटाने में जुटा है, तो कोई मोदी पर काउंटर अटैक कर रहा है।
माफ कीजियेगा, मगर यह बहुत बुरा वक्त है। देश इस कदर बंट गया है कि देश की किसी को फिक्र ही नहीं रही। और यह बड़ा खतरनाक वक़्त होता है, हमारा देश बार-बार ऐसे हालात से गुजरा है और इसकी कीमत सदियों ने चुकाई है। अगर हम आपदाओं में, मौतों के वक़्त, हमलों के दौरान भी एक तरह से नहीं सोच पा रहे। अपनी दुश्मनी सेटल करने में जुटे हैं तो हम बर्बादी की तरफ ही बढ़ रहे और यह बड़ा अफसोसनाक है।