इजरायल आज से पहले भी इजरायल था और कल भी इजरायल रहेगा, लेकिन पीएम मोदी के दौरे को लेकर भारतीय मीडिया ने जिस तरीके से एक-एक सिरे का वर्णन ...
इजरायल आज से पहले भी इजरायल था और कल भी इजरायल रहेगा, लेकिन पीएम मोदी के दौरे को लेकर भारतीय मीडिया ने जिस तरीके से एक-एक सिरे का वर्णन किया है, उसे देखकर लग रहा है कि इजरायल की असल खूबियां मोदी के कदम पड़ने के बाद उभर कर सामने आई हैं। हवा ऐसी बंध चुकी है कि अब हर वाक्य में दो-दो बार इजरायल आ रहा है… नोएडा के चौड़ा मोड़ के वरिष्ट चिंतक टुच्चन मियां को इस बात से डर लग रहा है कि कहीं इंडिया का नाम बदलकर इजरायल न रख दिया जाए, जैसे कि इजरायलन या इंडिरायल... अब आप उन बरखुरदार को ढूंढ़ने मत निकलना, क्यों कि ये आपको मिलेंगे नहीं!
सोशल मीडिया के दो-चार लोगों ने तो भारत और इजरायल के दोस्ती से चीन, पाकिस्तान, रुस, अमेरिका जैसे देशों के पेट में दर्द भी बता दिया। शायद इन्होंने खुद इस पेट दर्द के सबूत सुबह-सुबह जाकर देखे थे। बात में पुख्तापन कम और हवाबाजी इतनी ज्यादा हो चुकी है कि अब दुनिया भर की परेशानियां मोदी और नेतन्याहू की दोस्ती के आगे खत्म हो गई हैं।
मीडिया की बनाई हवा में सोशल मीडिया इजरायली थपेड़े झेल रही है। राष्ट्रभक्तों की जमात ने इसे एक उदाहरण की तरह पेश करते हुए अपील तक कर डाली है कि अब भारत जल्द इजरायल जैसा ताकतवर और अपने धर्म को लेकर कट्टर देश बन जाएगा।
यहूदी धर्म को लेकर इजरायल के अध्ययन और अप्रोच पर चर्चा करने की बजाय उसकी कट्टरता के तर्क फेंके जा रहे हैं। कुल मिलाकर ये किसी प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा से कहीं ज्यादा बताई जा रही है। ऐसा पिछली बार भी कई देशों के यात्रा के दौरान दिखा था, उसके बाद कुछ बदलाव हुआ क्या… निवेश, नौकरियां… पता नहीं क्या-क्या आने वाला था। कोई मीडिया ऐसा बतानी की जहमत नहीं उठा रही।
कुलमिलाकर पिछले तीन दिनों के अखबार और न्यूज-पोर्टल्स को खंगाल के देख लीजिए, इजरायल के महिमामंडन के अब तक के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त होते नजर आ जाएंगे। वहां का खाना, नहाना, पुलिस, पुलिया, बच्चे, महिलाएं, महिलाओं के पति, पतियों के पड़ोसियों का ऐसा विस्तृत वर्णन मिलेगा जिसका आपने अंदाजा भी नहीं लगाया होगा। अगर ये दावा किया जाए कि खुद इजरायल को उतना नहीं पता होगा जितना हमारी मीडिया ने जानकारी खोद कर निकाल डाली, तो...हो सकता है कि वो सही भी निकल जाए।