मुहम्मद जाहिद रविवार को फेसबुक कि एक आईडी "रसराज दास" से एक पोस्ट की गयी जिसमें इस्लाम , हमारे पैगम्बर इत्यादि पर अश्लील और अ...
मुहम्मद जाहिद
रविवार को फेसबुक कि एक आईडी "रसराज दास" से एक पोस्ट की गयी जिसमें इस्लाम , हमारे पैगम्बर इत्यादि पर अश्लील और अभद्र टिप्पणी की गयी।
यह बेहद आपत्तिजनक पोस्ट थी , पर उसके बाद जो मुसलमानों ने किया वह और भी आपत्तिजनक और निंदनीय घटना थी। भीड़ के द्वारा एक समुदाय के विरुद्ध हिंसा , ना तो इस्लामिक है ना संवैधानिक है।
इसका विरोध किया जाना चाहिए और किया जाता रहेगा।
परन्तु केवल ऐसी हिंसा के विरोध से ही काम नहीं चलेगा , सवाल यह है कि फेसबुक की हज़ारों ऐसी ही आईडी जिसमें केवल और केवल इस्लाम , कुरान और हमारे पैगम्बरों , और सहाबाओं पर झूठी , अभद्र और अश्लील टिप्पणियाँ जो धड़ल्ले से पोस्ट की जातीं हैं वह किस कारण से हैं ? कौन से लोग हैं ? क्युँ ऐसा करते हैं ? क्या इन पर कभी कार्रवाई होगी , क्या कभी इनकी देश में निन्दा होगी ?
फेसबुक और सरकारें जो किसी नेता पर व्यक्तिगत और अभद्र टिप्पणी होने पर यूजर को ब्लाक या गिरफ्तार करके जेल भेज देती हैं वह ऐसी हजारों फेसबुक आईडी द्वारा किए जा रहे घृणित कृत्य पर खामोश क्युँ रहतीं हैं ? यह तमाम आईडी एक धर्म को बदनाम करने का अभियान छेड़े हुए हैं , धार्मिक महापुरुषों पर की जाने वाली अभद्र टिप्पणी की ज़िम्मेदारी कौन लेगा ? और इस सबसे आहत होने वाली भावनाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा ?
मुसलमानों के संयम की कितनी परिक्षा ली जाएगी इस देश में ? कहीं ना कहीं तो मुसलमानों में भी एक उग्र , असंयमित , अशिक्षित और नासमझ लोग होंगे ही जो हिंसक प्रतिक्रिया देंगे। यद्यपि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।
और दरअसल इन हजारों आईडी से यह सब इसीलिए कराया भी जाता है कि मुसलमान उग्र प्रतिक्रिया दें और संघ और भाजपा उसका फायदा उठाए।
यहीं , 24 परगना की घटना देखिए , जिस "रसराज दास" की आईडी से इस्लाम , हमारी कुरान और हमारे पैगम्बर के ऊपर अभद्र टिप्पणी की गयी , फोटोशाप चित्र पोस्ट किए गये वह रसराज दास मात्र 5 वीं कक्षा तक ही पढ़ा एक अर्धशिक्षित व्यक्ति है जिसका कहना है कि उसकी आईडी हैक कर के किसी ने ऐसा किया , फिर पुलिस ने ऐसा करने वाले "शौविक सरकार" को गिरफ्तार किया।
समझिए इस खेल को कि किसी और नाम से आईडी बनाकर हजारों आईडी से यह खेल कैसे खेला जाता है। इस पर भी नज़र रखनी चाहिए , इनपर भी किसी हिंसक घटना के होने के पूर्व कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।
खैर , इस पोस्ट के बाद कुछ मुस्लिम लोगों ने बांग्लादेश से सटे जामुड़िया, बशीराहट और स्वरूप नगर इलाकों में हिंसा शुरू की थी , सड़कें काट दीं , थाने का घेराव करके वहाँ खड़ी कुछ गाड़ियाँ फूँक दीं। ध्यान दीजिए कि इन हिंसक घटनाओं में किसी भी मौत की कोई खबर नहीं है , सिवाय कि तोड़फोड़ और आगजनी के।
इसके बाद मंगलवार को हिन्दुओं ने भी जवाबी हमले शुरू किये इससे हालात बेकाबू हुए।
फिर हर दंगे के बाद जैसा होता है बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद नेता सामने आए और राजनैतिक फसल काटने का प्रयास करने लगे।
यह है पूरी घटना , यदि देखें तो इतनी भी नहीं जितनी की बढ़ा चढ़ा कर दिखाई जा रही है , मालदा की मामूली घटना की तरह यहाँ भी खेल शुरु हो गया है।
फिर भी कानून अपने हाथ मे लेने का अधिकार किसी को नहीं है लेकिन ये बात क्या सिर्फ़ एक वर्ग पर ही लागू होगी ? या बाकी लोगों पर भी ?
गोआतंकी भीड़ द्वारा 30 मुसलमानों के मारे जाने पर तो यही भाजपा और उनकी नाजायज़ भाई बहन निहायत घटिया और असभ्य तरीके से हत्यारी भीड़ का बचाव करते हैं।
इन हज़ारों आईडी के विरुद्ध आप आँखें बंद करके उनको समर्थन देते रहते हैं , हमने एक भी भाजपा और संघी पुत्रों को इन आईडी के विरुद्ध कार्यवाही की मांग करते ना सुना ना ही देखा। दरअसल यह विरोध क्युँ करेंगे जबकि इनका आइटी सेल और इनके लोग खुद ही ऐसी पोस्ट योजनाबद्ध तरीके से कराते हैं।
दरअसल संघ की यह सफल रणनीति है और देश के मुसलामानों को इस रणनीति में खुद को इस्तेमाल होने देने से बचना चाहिए।
संघ और भाजपा के लिए पूरे भारत में दो राज्य सबसे कठिन हैं , एक पश्चिम बंगाल और दूसरे केरल।
अपनी सभी सरकारों की सारी बुराई ढाँक कर यह सदैव से इन दोनों राज्यों की सरकारों को हिन्दू विरोधी साबित करने का खेल खेलेंगे और खेल रहे हैं , इन राज्यों में सांप्रदायिक दंगे हों इसका प्रयास यह लगातार करते रहेंगे जब तक कि यह वहाँ की सत्ता हासिल ना करलें , फिर यह लोग योगी जी की तरह सीना ठोंकते नज़र आएंगे कि उनके राज्य में दंगे नहीं हुए।
देश के मुसलामानों को समझना होगा और यह सदैव याद करते रहना होगा कि 30 मुसलमानों के इन गोगुंडों के हाथों मरने पर भी देश के लिए यह बहुत मामूली घटना है परन्तु यदि मुसलमानों के विरोध प्रदर्शन में मालदा या 24 परगना में दो चार वाहन या घर फूँक दिए गये तो यह देश के लिए राष्ट्रीय आपदा हो जाती है।
देश में दोगलापन लागू है तो मुसलमानों को खुद अपने को "दोयम दर्जे" का नागरिक समझ लेना चाहिए और खामोश रहना चाहिए , संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया अपना कर ऐसे आईडी और यूजर को जेल भेजने का प्रयास करना चाहिए।
ना कि उग्र हो कर हिंसा करने का क्युँकि यह सच है कि हम "अघोषित" रूप से दोयम दर्जे के नागरिक ही हैं।
एक महत्वपूर्ण बात , हमारा इस्लाम इतना कमजोर नहीं कि किसी "रसराज दास" की आईडी से कोई "शौविक सरकार" कुछ भी पोस्ट कर दे तो वह खतरे में आ जाए , हमें ऐसे हालात के लिए "हूज़ूर सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम" की सुन्नतों पर अमल करना होगा , हूज़ूर के ऊपर पड़ते कूड़े के बाद उनकी प्रतिक्रिया को याद करना होगा अपनाना होगा , हूज़ूर के सर पर फेके गये पखाने , मलमूत्र के बाद उनकी प्रतिक्रिया को याद करना होगा और अपनाना होगा।
और अगर यह सब याद करके भी मुसलमान हिंसा करते हैं , इस देश का कानून अपने हाथ में लेते हैं तो ऐसे मुसलमानों पर लानत।