** प्रधान मंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी द्वारा काफी सुविधाएं चलाई जा रही हैं लेकिन किसी को राहत नही मिल रही। मंदिर मस्जिद के झगड़ो में लोग ...
**
प्रधान मंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी द्वारा काफी सुविधाएं चलाई जा रही हैं लेकिन किसी को राहत नही मिल रही।
मंदिर मस्जिद के झगड़ो में लोग इंसांनीयत ही भूल रहे हैं ।
रोज सोशल साइट्स पर देखने को मिलता है कि हमे बाबरी मस्जिद चाहिये, या हमे राम मंदिर चाहिए,
लेकिन कोई ये नही सोचता कि अपने देश में कितने लोग ऐसे हैं जिन्हें खाने तक को रोटी नही हैं, रहने को फर नही है।अब इन्हें क्या मतलब किसी मस्जिद से या किसी मंदिर से इन्हें जहां भी मिलता है वहां खा लेते हैं जहां रहने को मिलता है वहां रह लेते हैं।और वैसे भी पेट नही कहता कि ये दूसरे धर्म का खाना है मत खा।
देश तो छोड़ो कपङे शहर को ही देख लिया जाए तो बहुत लोग मिल जाएंगे ऐसे।ऐसा ही नजारा आज सदर थाने के एरिया में देखने को मिला जहां कंपनी गार्डेन के सामने एक परिवार सड़क किनारे अपना जीवन बसर कर रहा है, उनके मासूम बच्चे जिन्हें अभी तक ठीक से दुनिया की समझ भी नही है , चलना तक ठीक से नही जानते वो भीख मांगने के लिए मजबूर हैं।
अब गलती किसकी है इन बच्चों के भीख मांगने के पीछे, मा बाप की या किस्मत की या फिर किसी और कि।
जहां एक तरफ चाइल्ड लेबर के लिए आवाज उठाई जाती है वहीं मासूमों द्वारा भीख मांगी जा रही है।
वो अलग बात है साल 6 महीने में कभी कभार कुछ संस्थाएं इन्हें कुछ खाने को और ओढ़ने को बाट देती हैं लेकिन बाकी के दिन ये कैसे गुजारते हैं किसी का इस ओर कोई ध्यान ही नही जाता।
अब सूबे के मुखिया और आगरा की जनता से अपील है कि
ना मस्जिद की बात हो
ना शिवालों की बात हो
प्रजा भूखी है साहब
पहले निबालों की बात हो
सोनू खान
आगरा
प्रधान मंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी द्वारा काफी सुविधाएं चलाई जा रही हैं लेकिन किसी को राहत नही मिल रही।
मंदिर मस्जिद के झगड़ो में लोग इंसांनीयत ही भूल रहे हैं ।
रोज सोशल साइट्स पर देखने को मिलता है कि हमे बाबरी मस्जिद चाहिये, या हमे राम मंदिर चाहिए,
लेकिन कोई ये नही सोचता कि अपने देश में कितने लोग ऐसे हैं जिन्हें खाने तक को रोटी नही हैं, रहने को फर नही है।अब इन्हें क्या मतलब किसी मस्जिद से या किसी मंदिर से इन्हें जहां भी मिलता है वहां खा लेते हैं जहां रहने को मिलता है वहां रह लेते हैं।और वैसे भी पेट नही कहता कि ये दूसरे धर्म का खाना है मत खा।
देश तो छोड़ो कपङे शहर को ही देख लिया जाए तो बहुत लोग मिल जाएंगे ऐसे।ऐसा ही नजारा आज सदर थाने के एरिया में देखने को मिला जहां कंपनी गार्डेन के सामने एक परिवार सड़क किनारे अपना जीवन बसर कर रहा है, उनके मासूम बच्चे जिन्हें अभी तक ठीक से दुनिया की समझ भी नही है , चलना तक ठीक से नही जानते वो भीख मांगने के लिए मजबूर हैं।
जहां एक तरफ चाइल्ड लेबर के लिए आवाज उठाई जाती है वहीं मासूमों द्वारा भीख मांगी जा रही है।
वो अलग बात है साल 6 महीने में कभी कभार कुछ संस्थाएं इन्हें कुछ खाने को और ओढ़ने को बाट देती हैं लेकिन बाकी के दिन ये कैसे गुजारते हैं किसी का इस ओर कोई ध्यान ही नही जाता।
अब सूबे के मुखिया और आगरा की जनता से अपील है कि
ना मस्जिद की बात हो
ना शिवालों की बात हो
प्रजा भूखी है साहब
पहले निबालों की बात हो
सोनू खान
आगरा