रायबरेली वन विभाग ने वन महोत्सव कर खाना पूर्ती कर ली कागजो पर लाखो पेड़ प्रतिवर्ष लगाये जाते है और उनकी देख रेख में भी लाखों का बजट मिलता है ...
रायबरेली वन विभाग ने वन महोत्सव कर खाना पूर्ती कर ली
कागजो पर लाखो पेड़ प्रतिवर्ष लगाये जाते है और उनकी देख रेख में भी लाखों का बजट मिलता है साथ ही पेड़ो की सुरक्षा के लिए ब्रिक गार्ड बनाये जाते है ।
यह सब केवल सासन को दिखाने के लिए ।सच्चाई तो यह है की पेड़ो की सुरक्षा के लिए बनाये गए ब्रिक गार्ड में घटिया ईंट का प्रयोग और बालू से जुड़ाई नतीजा आगे बनते गए पीछे गिरते गए ।पेड़ो की देख रेख में लाखों का बजट सब केवल कागजों में पेड़ लाखों में लगाये जाते है बचते सैकड़ो ही है। रही पेड़ कटान की तो हरे पेड़ों पर आज भी मोटी रकम लेकर रातो रात पेड़ कटाये जा रहे हैं
l जिले में सबसे अधिक थाना डलमऊ और थाना सरेनी में पेड़ काटे जाते हैं जिसमे स्थानीय वन कर्मी को मोटी रकम दी जाती है ।आरा मशीने सरकार बदलते ही बंद की गयी और कुछ दिन बाद धूस के नाम पर पिछली सरकार से कई गुना ज्यादा रकम लेकर फिर चला दी गयी ।कोयले की भट्ठियां जितनी दर्ज है उससे कई गुना ज्यादा संख्या में चल रही है ।
यही वजह थी की वन महोत्सव कार्यक्रम की जानकारी वन विभाग द्वारा नही दी गयी ।क्यों की मालूम था मिडिया कर्मी सवाल जवाब करेंगे जरूर ।
जरुरत है रायबरेली में पिछले सत्र में हुए वन विभाग के कार्यों की जांच जांच कराई जाये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके
कागजो पर लाखो पेड़ प्रतिवर्ष लगाये जाते है और उनकी देख रेख में भी लाखों का बजट मिलता है साथ ही पेड़ो की सुरक्षा के लिए ब्रिक गार्ड बनाये जाते है ।
यह सब केवल सासन को दिखाने के लिए ।सच्चाई तो यह है की पेड़ो की सुरक्षा के लिए बनाये गए ब्रिक गार्ड में घटिया ईंट का प्रयोग और बालू से जुड़ाई नतीजा आगे बनते गए पीछे गिरते गए ।पेड़ो की देख रेख में लाखों का बजट सब केवल कागजों में पेड़ लाखों में लगाये जाते है बचते सैकड़ो ही है। रही पेड़ कटान की तो हरे पेड़ों पर आज भी मोटी रकम लेकर रातो रात पेड़ कटाये जा रहे हैं
l जिले में सबसे अधिक थाना डलमऊ और थाना सरेनी में पेड़ काटे जाते हैं जिसमे स्थानीय वन कर्मी को मोटी रकम दी जाती है ।आरा मशीने सरकार बदलते ही बंद की गयी और कुछ दिन बाद धूस के नाम पर पिछली सरकार से कई गुना ज्यादा रकम लेकर फिर चला दी गयी ।कोयले की भट्ठियां जितनी दर्ज है उससे कई गुना ज्यादा संख्या में चल रही है ।
यही वजह थी की वन महोत्सव कार्यक्रम की जानकारी वन विभाग द्वारा नही दी गयी ।क्यों की मालूम था मिडिया कर्मी सवाल जवाब करेंगे जरूर ।
जरुरत है रायबरेली में पिछले सत्र में हुए वन विभाग के कार्यों की जांच जांच कराई जाये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके