प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्थिति बिल्कुल अंधे व्यक्ति द्वारा रस्सी बंटने और भैंस के पढ़वा द्वारा उसे चबाने जैसी होती जा रह...
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्थिति बिल्कुल अंधे व्यक्ति द्वारा रस्सी बंटने और भैंस के पढ़वा द्वारा उसे चबाने जैसी होती जा रही है।योगी जी जबसे सत्तारूढ़ हुये हैं तबसे उन्होंने जितने निर्देश दिये या अभियान चलाये सभी अधिकारियों की मनमानी व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गये हैं ।योगी जी की नियत में भले ही कोई खोट न हो लेकिन उनके अधिकारियों कर्मचारियों की नियत निश्चित तौर पर खोटी है।
न तो एन्टी रोमियो अभियान को लक्ष्य मिल सका और न ही घटतौली करने वाले पेट्रोल पम्पों का ही कोई खास बाल बांका नहीं हो पाया है।अतिक्रमण हटाओ अभियान भी भ्रष्टाचार की बलिवेदी पर बलिदान हो गया और योगी जी जैसा चाहते थे वैसा नहीं हो सका।योगी जी शुरू से ही चाहते हैं कि लोगों की समस्याओं का न्यायोचित निस्तारण समयवद्ध ढंग से हो जाय और लोगों को भाग दौड़ न करना पड़े।इसी उद्देश्य से तहसील दिवस थाना दिवस शक्ति दिवस जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।इसके बावजूद समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है और लोगों को अपनी समस्या के निदान के लिये मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक दौड़ लगानी पड़ रही है।
मुख्यमंत्री ने इस समस्या पर भी कठोर रूख अख्तियार करके खुद समस्याओं की समीक्षा करने का निर्णय दो दिन पहले लिया है और स्पष्ट कर दिया गया है कि समस्याओं का समाधान तत्काल या फिर तीन दिन के अंदर अवश्य हो जाना चाहिए।मुख्यमंत्री उन शिकायतों की बात कर रहे हैं जो उन्हें आनलाइन दिख रही हैं। सिर्फ आनलाइन शिकायतों को देखकर मुख्यमंत्री जी आगबबूला हो गये हैं उन्हें शायद यह नहीं पता है कि जितनी शिकायतें आती हैं उनकी चौथाई भी आनलाइन नहीं हो पाती हैं।शिकायत करने वालों को नियमानुसार प्रार्थना पत्र की रसीद मिलनी चाहिए क्योंकि जिन शिकायतों की रसीद कट जाती है उन्हें आनलाइन करके कार्यवाही करना जरूरी हो जाता है।
रसीद सिर्फ जिलाधिकारी मंडलायुक्त जैसे बड़े अधिकारियों के आने पर ही कुछ लोगों को दी जाती है।अभी पिछले दिनों जिलाधिकारी के तहसील दिवस के मौके पर उनके जाने के बाद रसीद के लिये फरियादियों को एक डीडीसी की अगुवाई में रोडजाम तक करना पड़ चुका है।रोडजाम इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि विशेष दिवसों पर आने सभी शिकायतों को आनलाइन नहीं किया जाता है।अभी तो मुख्यमंत्री ने सिर्फ दस से बीस फीसदी ही आनलाइन शिकायतों को देखा है जिस दिन शतप्रतिशत शिकायतें आनलाइन हो जायेगी उस दिन होश उड़ जायेगें।मुख्यमंत्री का मानना है कि विशेष दिवसों पर आने वाली अधिकांश शिकायतें थाना तहसील ब्लाक व नगर पंचायतों से जुड़ी होती हैं जिनका समाधान अधिकारी कर सकते हैं।
अगर लोगों की शिकायतों का निवारण हो जाय तो उन्हें इधर उधर भटकना और परेशान न होना पड़े।जिस तरह लोग तहसील दिवसों पर आने वाली शिकायतों की निगरानी लाइन के बगल खड़े होकर कर लेते हैं वहीं निगरानी अगर पहले करके उनका समाधान कर दे तो लोगों को उन शिकायत के लिये तहसील ब्लाक दौड़ना ही न पड़े।मुख्यमंत्री चाहते हैं कि कुछ समस्याओं का समाधान उसी दिन तथा शेष समस्याओं का समाधान तीन दिन में अवश्य हो जाना चाहिए।मुख्यमंत्री की सोच सही है लेकिन उनकी सोच को मूर्ति रूप प्रदान करने वाले सरकारी लोगों की सोच उनके विपरीत है।यहीं कारण है कि तमाम निस्तारित होने वाली शिकायतों का भी निस्तारण समयवद्ध ढंग से नहीं हो पाता है।
अधिकारी शिकायतों के प्रति जवाबदेही से बचने के सरकार को धोखा देकर शिकायतों का पंजीकरण ही नहीं करवाते हैं और दो तरह के पंजीकरण रजिस्ट्रर बनाकर जनता और सरकार दोनों के साथ धोखाधड़ी की जाती है।इस बात का पता शायद मुख्यमंत्री योगी जी को कहीं से चल गया है इसीलिए अब उन्होंने शिकायतों की समीक्षा खुद करने का निर्णय लिया है।मुख्यमंत्री योगीजी को अपनी सोच को मूर्ति रूप प्रदान करने के लिये अपने अधिकारियों कर्मचारियों की कार्यशैली में बदलाव लाना होगा।जहाँ पर भ्रष्टाचार शिष्टाचार के रूप में अबतक फलफूल रहा था वहाँ पर यकायक बदलाव लाना आसान नहीं है और जो बदलाव लाने की कोशिश करता है व्यवस्था से जुड़े अधिकारी कर्मचारी उसे ही बदलने की ओर अग्रसर कर देते हैं।बदलाव की जो बयार योगीजी के शपथ लेने के साथ बही थी वह अब धीमी हो गयी है।
भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट,बाराबंकी यूपी