नई दिल्ली। GST को लेकर रोज नई-नई अफवाहें फैलती ही जा रही हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे ही मैसेज से अफावह फैलाई जा रही है कि GST में मंदिर पर ट...
नई दिल्ली। GST को लेकर रोज नई-नई अफवाहें फैलती ही जा रही हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे ही मैसेज से अफावह फैलाई जा रही है कि GST में मंदिर पर टैक्स लगाया गया है, लेकिन चर्च और मस्जिद को इससे बाहर रखा गया है। तो हम आपको इसी वायरल मैसेज कि सच्चाई बताने जा रहे हैं।
GST को लेकर क्या फैलाई जा रही है अफवाह :
सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज खुब फैलाएं जा रहे हैं जिनसे GST को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के भ्रम पैदा हो रहे हैं। ऐसा ही एक मैसेज ये भी है जिसमें कहा जा रहा है कि, GST के नाम मंदिर और मस्जिद के बीच भेदभाव किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस मैसेज में लिखा गया है – “पहले तो मुगल ही हिंदुओं से जजिया वसूलते थे या मोदी भी वसूलेंगे।”
मैसेज में आगे लिखा गया है – “जितने भी देवस्थान बोर्ड हैं वहां जो कोई एक हजार रुपए से ज्यादा का दान देगा सरकार उस मंदिर से टैक्स वसूलेगी। इस तरह देश के दो बड़े मंदिर तिरुपति बालाजी और वैष्णोदेवी मंदिर जीएसटी के दायरे में आ गए हैं।” ये मैसेज इतने ज्यादा फैलाये गए कि वित्त मंत्रालय की तरफ से इसको नकारने के लिए तीन ट्वीट करने पड़े।
क्या है वायरल हो रहे इस मैसेज का सच :
सरकार ट्वीट के जरिए लोगों से ऐसी अफवाहों पर ध्यान ना देने की अपील की है। सरकार ने कहा है – “जनता सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाहें ना फैलाएं और न ही इन अफवाहों को सही माने। ये पूरी तरह गलत है। सरकार ने धर्म के आधार पर GST में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया है।” गौरतलब है कि देश के सभी धार्मिक संस्थानों को GST से बाहर रखा गया है।
GST में सभी धार्मिक संस्थानों को मिलने वाले चंदे को आय न मानते हुए उसपर आयकर, सेल्स टैक्स या सर्विस टैक्स कुछ भी नही लगाया गया है। हालांकि, धार्मिक संस्थान अपने उपयोग के लिए अगर कोई सामान खरीदते हैं तो उन्हें उसपर किसी आम खरीददार की तरह ही GST देना होगा। इसलिए, मंदिर, मस्जिद और चर्च के नाम पर जो अफवाह फैलाई जा रही है वो बिल्कुल गलत है।