प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भीम ऐप सवालों के घेरे में है. उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने इसकी एक अहम खामी को उज...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भीम ऐप सवालों के घेरे में है. उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने इसकी एक अहम खामी को उजागर करते हुए इसकी सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
यूपी एसटीएफ ने भीम ऐप में सुधार और इसकी सुरक्षा और पुख्ता करने के लिए नेशनल पेमेंट काउंसिल आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ ही आरबीआई को पत्र लिखा है.
दरअसल, यूपी एसटीएफ ने पिछले दिनों लखनऊ के गोमतीनगर से गोरखपुर के विजय पांडेय और गाजीपुर के धर्मेंद्र पाठक को गिरफ्तार किया. पता चला कि विजय पांडेय एक्सिस बैंक में कस्टमर सपोर्ट बैंक अफसर रह चुका है. विजय पांडेय ही भीम ऐप का इस्तेमाल करने वाले कस्टमर की जानकारियां धर्मेंद्र पाठक को शेयर कर देता था.
त्रिवेणी सिंह के अनुसार जांच में पता चला कि धर्मेंद्र पाठक ने पहले पैसों का लालच देकर विजय पांडेय से भीम ऐप इस्तेमाल करने वाले कस्टमर का मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियां हासिल की.
ये सारी जानकारियां बैंक से अपराधियों ने हासिल कर लीं. इसके बाद उन्होंने किसी भी थाने में जाकर उसी मोबाइल नंबर के खोने की फर्जी सूचना दे दी. पुलिस में शिकायत दर्ज करने के बाद उन्होंने मोबाइल कंपनी से उसी नंबर पर दूसरा सिमकार्ड इस्तेमाल कर लिया.
त्रिवेणी सिंह ने बताया कि इसके बाद इस नए सिमकार्ड पर फिर से भीम एप डाउनलोड किया. इस दौरान एप की तरफ से जो वन टाइम पासवर्ड जेनरेट हुआ, वह चूंकि उसी नंबर पर आता है, इसलिए नंबर वैरिफाई होते ही एकाउंट की पूरी डिटेल अपराधी के मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है.
इसके बाद वह पैसे उड़ाने का खेल शुरू कर देता है. वहीं दूसरी तरफ असली कस्टमर अपने मोबाइल नंबर ब्लॉक होने को तकनीकी फॉल्ट ही मानता रहता है. जब तक वह जागता है तब तक उसके एकाउंट से पैसा गायब हो चुका होता है.
यूपी एसटीएफ ने भीम ऐप में सुधार और इसकी सुरक्षा और पुख्ता करने के लिए नेशनल पेमेंट काउंसिल आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ ही आरबीआई को पत्र लिखा है.
दरअसल, यूपी एसटीएफ ने पिछले दिनों लखनऊ के गोमतीनगर से गोरखपुर के विजय पांडेय और गाजीपुर के धर्मेंद्र पाठक को गिरफ्तार किया. पता चला कि विजय पांडेय एक्सिस बैंक में कस्टमर सपोर्ट बैंक अफसर रह चुका है. विजय पांडेय ही भीम ऐप का इस्तेमाल करने वाले कस्टमर की जानकारियां धर्मेंद्र पाठक को शेयर कर देता था.
त्रिवेणी सिंह के अनुसार जांच में पता चला कि धर्मेंद्र पाठक ने पहले पैसों का लालच देकर विजय पांडेय से भीम ऐप इस्तेमाल करने वाले कस्टमर का मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियां हासिल की.
ये सारी जानकारियां बैंक से अपराधियों ने हासिल कर लीं. इसके बाद उन्होंने किसी भी थाने में जाकर उसी मोबाइल नंबर के खोने की फर्जी सूचना दे दी. पुलिस में शिकायत दर्ज करने के बाद उन्होंने मोबाइल कंपनी से उसी नंबर पर दूसरा सिमकार्ड इस्तेमाल कर लिया.
त्रिवेणी सिंह ने बताया कि इसके बाद इस नए सिमकार्ड पर फिर से भीम एप डाउनलोड किया. इस दौरान एप की तरफ से जो वन टाइम पासवर्ड जेनरेट हुआ, वह चूंकि उसी नंबर पर आता है, इसलिए नंबर वैरिफाई होते ही एकाउंट की पूरी डिटेल अपराधी के मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है.
इसके बाद वह पैसे उड़ाने का खेल शुरू कर देता है. वहीं दूसरी तरफ असली कस्टमर अपने मोबाइल नंबर ब्लॉक होने को तकनीकी फॉल्ट ही मानता रहता है. जब तक वह जागता है तब तक उसके एकाउंट से पैसा गायब हो चुका होता है.