एसपी मित्तल माना तो यही जा रहा था कि 30 नवम्बर को जब अजीत सिंह डीजीपी के पद से रिटायर होंगे, तब उनकी नियुक्ति राजस्थान लोकसेवा आयोग क...
एसपी मित्तल
माना तो यही जा रहा था कि 30 नवम्बर को जब अजीत सिंह डीजीपी के पद से रिटायर होंगे, तब उनकी नियुक्ति राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर कर दी जाएगी।
अजीत सिंह की सेवानिवृति के इंतजार में ही गत दो माह से आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त रखा गाया। लेकिन सेवानिवृति के बाद चार दिन गुजर जाने पर भी अजीत सिंह के नाम की घोषणा नहीं हुई है। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि आयोग अध्यक्ष के लिए अजीत सिंह का नाम खारिज हो गया है, लेकिन घोषणा में जिस तरह विलम्ब हो रहा है उससे प्रतीत होता है कि इस मामले में पंक्चर हो गया है।
असल में आनंदपाल के प्रकरण को जिस तरह से अजीत सिंह ने हैंडिल किया उससे प्रदेश की सीएम राजे अजीत सिंह को उपकृत करना चाहती हैं। जो अफसर नौकरी में रहते हुए सरकार का इशारा समझते हैं उन्हें सेवानिवृति के बाद किसी ना किसी लाभ के पद पर बैठा ही दिया जाता है। हालांकि अजीत सिंह की गिनती पुलिस के काबिल और ईमानदार अफसरों में होती हैं, लेकिन सेवानिवृति के बाद इस काबिलियत का तभी महत्व होता है जब सरकार की मेहरबानी हो।
श्याम सुंदर शर्मा की राजस्थान लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष के पद से गत 28 सितम्बर को सेवानिवृति हो गई थी, तभी से आयोग के अध्यक्ष का पद खाली चल रहा है। सीएम वसुंधरा राजे भी जानती हैं कि अध्यक्ष के नहीं होने से आयोग का काम काज पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। लेकिन अजीत सिंह की नियुक्ति को लेकर आयोग की दुर्दशा को स्वीकार किया गया।
जानकारों की माने तो यदि सिर्फ सीएम राजे को ही घोषणा करनी होती तो अब तक अजीत सिंह आयोग के अध्यक्ष बन जाते। चूंकि आयोग अध्यक्ष के लिए दिल्ली में बैठे भाजपा हाईकमान से भी हरी झंडी लेनी हैं, इसलिए विलम्ब हो रहा है और जब विलम्ब होता है तो मामले में पंक्चर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
भाजपा का दिल्ली वाला हाईकमान इन दिनों गुजरात चुनाव में व्यस्त है। यदि यह कहा जाए कि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त करने में सीएम राजे ही पूरी तरह समर्थ हैं तो फिर आयोग के अध्यक्ष का पद अभी तक रिक्त क्यों पड़ा है?
जबकि अध्यक्ष के नहीं होने से द्वितीय श्रेणी शिक्षक जैसी अनेक महत्वपूर्ण परीक्षाओं के परिणाम रुके पड़े हैं। प्रदेश भर में बेरोजगार युवाओं में त्राहि-त्राहि मची हुई है। गंभीर बात यह है कि आयोग में कोई कार्यवाहक अध्यक्ष भी नहीं बनाया गया है।