एसपी मित्तल माना जा रहा है कि 18 दिसम्बर को गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम के तुरंत बाद राजस्थान में अजमेर और अलवर में होने वाले लो...
एसपी मित्तल
माना जा रहा है कि 18 दिसम्बर को गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम के तुरंत बाद राजस्थान में अजमेर और अलवर में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव की घोषणा हो जाएगी।
इसमें कोई दो राय नहीं कि संगठन की दृष्टि से अजमेर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा आगे है। अजमेर शहर में 7 दिसम्बर को कांग्रेस बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन करने जा रही है, जबकि भाजपा ने संसदीय क्षेत्र के आठों विधानसभा क्षेत्रों के 1847 मतदान केन्द्रों के प्रभारियों तथा उनके 20 सहायकों का होमवर्क पूरा कर लिया है। यानि 38 हजार 787 बूथ कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद हो चुका है।
इसके साथ मतदाता सूची के एक पन्ने के 60 मतदाताओं पर एक पन्ना प्रमुख की नियुक्ति भी कर दी गई है। ऐसा नहीं कि यह सब कागजों में हुआ है, हकीकत में एक-एक कार्यकर्ता के नाम, पता, फोन नम्बर आदि तैयार किए गए हैं। मंडल स्तर से लेकर लोकसभा स्तर तक बनाए गए प्रभारी प्रतिदिन निगरानी का काम कर रहे हैं।
हालांकि भाजपा का अपना संगठन है, लेकिन चुनाव की दृष्टि से अलग ही नेटवर्क तैयार किया गया है। सीएम वसुंधरा राजे ने पहले ही भाजपा विधायकों पर जीत की जिम्मेदारी डाल दी है। साफ कहा गया है कि यदि उपचुनाव में हार मिलती है तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकिट नहीं मिलेगा।
अजमेर संसदीय क्षेत्र के नसीराबाद को छोड़ कर शेष सात विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के ही विधायक हैं। ऐसे में भाजपा विधायक भी इन दिनों पूरी मुस्तैदी से जुटे हुए हैं। अजमेर उत्तर के विधायक और प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी अपने विधानसभा क्षेत्र के स्कूलों में विद्यार्थियों से सीधा संवाद कर रहे हैं तो पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत प्रतिदिन जन संवाद कर समस्याओं का सामधान कर रहे हैं।
भाजपाइयों का मानना है कि उपचुनाव में उम्मीदवार कोई भी हो, जीत भाजपा की ही होगी। एक-एक मतदाता पर निगरानी के लिए की गई तैयारियों से भाजपा के बड़े नेता भी उत्साहित हैं।
पर रघु शर्मा की उम्मीदवारी से परेशानीः
मजबूत संगठन के साथ ही भाजपा में कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर भी मंथन हो रहा है। माना जा रहा है कि केकड़ी के पूर्व विधायक रघु शर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार होते हैं तो जातीय समीकरण बदल जाएंगे, जिससे भाजपा उम्मीदवार को परेशानी हो सकती है।
यदि भाजपा अपने पूर्व सांसद स्वर्गीय सांवरलाल जाट को ध्यान में रखते हुए किसी को उम्मीदवार बनाती है तो गुर्जर, राजपूत, रावणा राजपूत जैसी बड़ी जातियांे पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। रघु शर्मा की उम्मीदवारी से ब्राह्मण मतदाता लामबंद होंगे तो मुसलमान वोट परपंरा गत तौर पर कांग्रेस के साथ हैं ही।
पिछड़े वर्ग के वोट भी कांग्रेस को मिलते हैं। राजपूत और रावणा राजपूत की नाराजगी को दूर करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। श्री राजपूत करणी सेना ने आगामी 21 दिसम्बर को अजमेर में चेतावनी सभा भी रखी है। भाजपा के नेता माने या नहीं, लेकिन कांग्रेस को राज्य सरकार के प्रति नाराजगी का लाभ भी मिलेगा।
कांग्रेस का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने अजमेर के संासद रहते हुए जो कार्य करवाए उसका लाभ भी उपचुनाव में मिलेगा। साथ ही पायलट की जाति के गुर्जर मतदाता एकजुट होंगे। हालांकि अभी रघु शर्मा ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया हैं, लेकिन माना जा रहा है कि सचिन पायलट के इंकार करने के बाद रघु शर्मा ही सबसे मजबूत उम्मीदवार होंगे।
यहां भी उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा के चुनाव में जहां कांग्रेस के उम्मीदवार 40 हजार तक मतों से पराजित हुए, वहीं रघु शर्मा मात्र 6 हजार मतों से ही हारे। अब केकड़ी में भी हालात बदल रहे हैं। रावत बाहुल्य ब्यावर विधानसभा क्षेत्र अजमेर संसदीय क्षेत्र में शामिल नहीं होने का लाभ भी कांग्रेस को मिलेगा। कांग्रेस भले ही संगठन की दृष्टि से अजमेर में पीछे हो, लेकिन जातीय समीकरण और सत्तारुढ़ पार्टी से लोगों में नाराजगी से कांग्रेस उत्साहित है।