एसपी मित्तल राजस्थान में भ्रष्ट अधिकारियों व राजनेताओं को बचाने तथा मीडिया को फंसाने वाले अध्यादेश का प्रभाव 4 दिसम्बर को अपने आप खत्...
एसपी मित्तल
राजस्थान में भ्रष्ट अधिकारियों व राजनेताओं को बचाने तथा मीडिया को फंसाने वाले अध्यादेश का प्रभाव 4 दिसम्बर को अपने आप खत्म हो जाएगा।
राज्य की भाजपा सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल कल्याण सिंह ने 6 माह पूर्व सीआरपीसी में संशोधन वाले अध्यादेश को जारी किया था। इसके अंतर्गत सरकार की अनुमति के बिना किसी भी अधिकारी अथवा राजनेता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती है।
भले ही अदालत ने एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हों। इस अध्यादेश के जरिए जहां अदालतों के अधिारों में कटौती की गई वहीं आरोपों के आधार पर खबर छापने वाले मीडिया कर्मी को भी तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया। प्रदेशभर में इस अध्यादेश का विरोध हुआ।
इसे काले कानून की संज्ञा दी गई। लेकिन सरकार अपनी जिद पर कायम थी, इसलिए विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार ने बिल भी प्रस्तुत कर दिया। लेकिन बाद में चैतरफा विरोध को देखते हुए सरकार ने इस बिल को विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया।
इस बीच इस अध्यादेश को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका प्रस्तुत की गई। सरकार ने इन याचिकाओं के जवाब में कहा कि चार दिसम्बर को अध्यादेश अपने आप समाप्त हो जाएगा। हालांकि सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं कहा है कि प्रवर समिति की रिपोर्ट के बाद क्या इस बिल को पुनः विधानसभा में रखा जाएगा?
इसीलिए अभी यह आशंका बना हुई है कि सरकार इस बिल को कुछ संशोधनों के साथ विधानसभा से मंजूर करवा सकती है। पिछले छह माह में किसी भी अदालत के आदेश से भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
अब चूंकि 4 दिसम्बर को इस अध्यादेश का प्रभाव खत्म हो जाएगा तो 5 दिसम्बर से अदालतें भी एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे सकती हैं। आमतौर पर अदालत में प्रस्तुत इस्तगासे पर जब एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए जाते हैं तो फिर मीडिया में भी खबरें प्रसारित हो जाती हैं।
भले ही पुलिस की रिपोर्ट में संबंधित अधिकारी और राजनेता निर्दोष साबित हो जाए। चूंकि मीडिया कर्मियों को भी इस अध्यादेश में तीन वर्ष की सजा रखी गई थी, इसलिए राजस्थान के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में इसे काला कानून मानते हुए सीएम वसुंधरा राजे की खबरों के बहिष्कार की घोषणा की।
पिछले एक माह से सीएम राजे की कोई खबर राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित नहीं हो रही है। भले ही सीएम कितने भी बड़े कार्यक्रम में उपस्थित हांे लेकिन पत्रिका में फोटो और खबर दोनों ही नहीं छपते हैं। इतना ही नहीं प्रतिदिन एक बाॅक्स में इस आशय की घोषणा भी पत्रिका में प्रकाशित की जाती है।
अब चूंकि 4 दिसम्बर को यह अध्यादेश अपने आप समाप्त हो जाएगा इसलिए यह सवाल उठा है कि क्या 5 दिसम्बर से पत्रिका में सीएम की खबरें प्रकाशित होंगी? यह बात अलग है कि इस अध्यादेश के आधार पर ही सरकार ने विधानसभा में बिल प्रस्तुत कर दिया है।