भोपाल। गुलामी के दौर में कई सूरमाओं ने अपनी शक्ति, बुद्धि और क्षमता के लिहाज से अंग्रेजों को अपने फैसले बदलने पर मजबूर किया है। इनमें स...
भोपाल। गुलामी के दौर में कई सूरमाओं ने अपनी शक्ति, बुद्धि और क्षमता के लिहाज से अंग्रेजों को अपने फैसले बदलने पर मजबूर किया है। इनमें से कई इतिहास के पन्नों पर अपना खास मुकाम रखते हैं तो कुछ सुर्खियों से दूर रहकर अपनी कुर्बानी को कहीं दफना चुके।
बुंदेलखंड के एक योद्धा हिरदेशाह के जीवन के कई उतार-चढ़ाव को दर्शाती एक प्रस्तुति द रिफ्लेक्शन सोसायटी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट एवं कल्चर, भोपाल ने मंच पर साकार हुई। स्वराज संचालनालय के इस आयोजन में विधायक जालम सिंह पटेल मेहमान-ए-खास बनकर मौजूद थे।
हीरानगर की वादियों में हुए इस मंचन को लोगों ने तल्लीनता से देखा और कलाकारों की आत्मीयता को दिल से सराहा। सन 1842 के बुन्देलखण्ड विद्रोह पर आधारित इस कहानी में विद्रोही बने राजा हिरदेशाह की देश की आजादी के लिए दी गर्इं कुर्बानियों को दिखाया गया था। इस दौरान उनके प्रयासों से अंग्रेजों के पस्त होते हौसले और अपनों के बीच कमजोर होती ताकत को दर्शाया गया। देर रात तक मंच पर चली इस प्रस्तुति को देखने के लिए दूर-दराज के लोग जमा थे।
इनके किरदार से बनी कहानी पुख्ता
लेखक वसीम खान की कहानी पर कलाकारों से बेहतर परफार्मेंस लेने की जिम्मेदारी तनवीर अहमद के शानदार निर्देशन पर थी। उनके निर्देशन में योगेश तिवारी ने हिरदेशाह के किरदार को जीवंत किया।
उनके सहभागी बने शिवांगी सिंह भदौरिया, नरेन्द्र सिंह राजपूत, फैज अहमद, ब्रणाली मजूमदार, अनूप शर्मा, परवेज खान, दिव्यांश सिंह सेंगर, अभिषेक विश्वकर्मा, अदनान खान, मिथुन धूरिया, शुभम चौरसिया, अतुल अग्निहोत्री, राहुल खरेटे, प्रिया साहू, यश तिवारी, देवन्द्र नायक, अभिषेक शास्त्री, उमेश राय ने अपने अभिनय से साकार किया। कार्यक्रम को आकर्षकता बढ़ाने का काम बेहतर मंच व्यवस्था से हुआ, जिसका जिम्मा अब्दुल हक ने संभाला था। प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन दिनेश नायर ने की थी। इसके अलावा वस्त्र विन्यास वसीम खान, मैकअप नरेन्द्र सिंह राजपूत, मंच परिकल्पना डॉ. नाहिद तनवीर, मंच सामग्री श्रद्धा शर्मा, शेख साबिर, पोस्टर ब्रोशर मुजीब उर रहमान ने किया।