बाबू अंसारी स्योहारा बिजनौर, गलती हर इंसान से हो सकती है जिसकी माफ़ी भी होती है। पर जाने अनजाने गलती करने के बाद उस गलती का पता चल जाने प...
बाबू अंसारी स्योहारा बिजनौर,
गलती हर इंसान से हो सकती है जिसकी माफ़ी भी होती है। पर जाने अनजाने गलती करने के बाद उस गलती का पता चल जाने पर अपनी गलती को मान लेना गलती करने वाले व्यक्ति की महानता कहलाती है। और जो सबकुछ जानने के बाद भी अपनी गलती पर खेद प्रकट ना करे वो क्या कहलाता है ये हम सभी जानते है।
बरहाल बात की सुरुआत अख़बार झुटे या चुनाव आयोग की वेबसाइट.? से हुई थी आज जब भारत डिजिटल बनने की और क़दम बढ़ा चुका है ऐसे में ख़बरों के आदान प्रदान का तरीक़ा भी बदल गया है। आज लोगों के पास न्यूज़ पेपर पढ़ने का समय नही है संचार क्रांति के युग मे ईधर घटना घटी उधर उसकी ख़बर कुछ ही मिनटों में आपतक पहुच गई। ऐसा इस लिए क्योंकि आज हर व्यक्ति के पास स्मार्ट फ़ोन है जो बातचीत करने के अलावा देश दुनिया की सभी गतिविधियों को इंटरनेट के माध्यम से अपने यूजर तक पहुचाता है। इन्ही में ख़बरों का आदान प्रदान भी एक है। आज मेन स्ट्रीम मीडिया से भी तेज रफ़्तार से शोशल मीडिया पर न्यूज़ पढ़ी और देखी जा रही है। जिसमें ऑनलाइन वेब न्यूज़ पोर्टल अपनी भूमिका बाखूबी निभा रहे है। ऑनलाइन वेब न्यूज़ चैनलों पर पाठकों की तादाद की भरमार है। ऑनलाइन न्यूज़ चैनलों द्वारा पाठको तक तीर्व गति से ख़बरे पहुचाने के चलते अनेक अख़बार जलन भी रख रहे है और ऑनलाइन चैनलों के पत्रकारों को फ़र्जी पत्रकार बताकर शासन व प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह कर रहे है। जबकि हक़ीकत ये है कि अखबारों के लिए पत्रकारिता करने वाले लोग अनेको बार आपने पाठकों तक गलत ख़बरे पहुचा रहे है। जिसका उदहारण है नगर पालिका परिषद स्योहारा के चुनावी नतीज़ों में पहले दूसरे तीसरे नम्बर पर आए प्रत्यासियो को मिले वोटों की गलत तादाद का लिखा होना, पहले नम्बर पर आये अख़्तर जलील को मिले वोटों की तादाद 6615, दिखाई गई, जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइड पर 6731, है। अख़बार ने दूसरे नम्बर पर मुकेश रस्तौगी को 4858, वोट मिले लिखा है, जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 4930, है। तीसरे नम्बर पर नईम उल हसन को मिले वोट 4771, लिखे हुए है। जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 4828, लिखा हुआ है। बात यही खत्म नही हो जाती अख़बार ने गलत ख़बर लगाते हुए चौथे नबंर पर रहे फैसल वारसी की जगह उनकी माता संजीदा वारसी को चौथे नम्बर पर आए प्रत्यासी के रूप में लिखा है और वोटो की तादाद 3802, भी गलत लिखी है।
जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार चौथे नबंर पर फैसल वारसीे रहे और उन्हें 3778, वोट मिले। सवाल ये है कि अखबारों द्वारा गलत जानकारी पाठकों तक पहुचाने के बाद उसपर खेद जताने की बजाय उनके पत्रकार उल्टा लोगों को ही धमकाते है। और खुद को असली और ऑनलाइन न्यूज़ चैनल के पत्रकारों को फर्जी बताते है।
दोनों अखबारों की कटिंग पर एक नज़र:--
गलती हर इंसान से हो सकती है जिसकी माफ़ी भी होती है। पर जाने अनजाने गलती करने के बाद उस गलती का पता चल जाने पर अपनी गलती को मान लेना गलती करने वाले व्यक्ति की महानता कहलाती है। और जो सबकुछ जानने के बाद भी अपनी गलती पर खेद प्रकट ना करे वो क्या कहलाता है ये हम सभी जानते है।
बरहाल बात की सुरुआत अख़बार झुटे या चुनाव आयोग की वेबसाइट.? से हुई थी आज जब भारत डिजिटल बनने की और क़दम बढ़ा चुका है ऐसे में ख़बरों के आदान प्रदान का तरीक़ा भी बदल गया है। आज लोगों के पास न्यूज़ पेपर पढ़ने का समय नही है संचार क्रांति के युग मे ईधर घटना घटी उधर उसकी ख़बर कुछ ही मिनटों में आपतक पहुच गई। ऐसा इस लिए क्योंकि आज हर व्यक्ति के पास स्मार्ट फ़ोन है जो बातचीत करने के अलावा देश दुनिया की सभी गतिविधियों को इंटरनेट के माध्यम से अपने यूजर तक पहुचाता है। इन्ही में ख़बरों का आदान प्रदान भी एक है। आज मेन स्ट्रीम मीडिया से भी तेज रफ़्तार से शोशल मीडिया पर न्यूज़ पढ़ी और देखी जा रही है। जिसमें ऑनलाइन वेब न्यूज़ पोर्टल अपनी भूमिका बाखूबी निभा रहे है। ऑनलाइन वेब न्यूज़ चैनलों पर पाठकों की तादाद की भरमार है। ऑनलाइन न्यूज़ चैनलों द्वारा पाठको तक तीर्व गति से ख़बरे पहुचाने के चलते अनेक अख़बार जलन भी रख रहे है और ऑनलाइन चैनलों के पत्रकारों को फ़र्जी पत्रकार बताकर शासन व प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह कर रहे है। जबकि हक़ीकत ये है कि अखबारों के लिए पत्रकारिता करने वाले लोग अनेको बार आपने पाठकों तक गलत ख़बरे पहुचा रहे है। जिसका उदहारण है नगर पालिका परिषद स्योहारा के चुनावी नतीज़ों में पहले दूसरे तीसरे नम्बर पर आए प्रत्यासियो को मिले वोटों की गलत तादाद का लिखा होना, पहले नम्बर पर आये अख़्तर जलील को मिले वोटों की तादाद 6615, दिखाई गई, जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइड पर 6731, है। अख़बार ने दूसरे नम्बर पर मुकेश रस्तौगी को 4858, वोट मिले लिखा है, जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 4930, है। तीसरे नम्बर पर नईम उल हसन को मिले वोट 4771, लिखे हुए है। जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 4828, लिखा हुआ है। बात यही खत्म नही हो जाती अख़बार ने गलत ख़बर लगाते हुए चौथे नबंर पर रहे फैसल वारसी की जगह उनकी माता संजीदा वारसी को चौथे नम्बर पर आए प्रत्यासी के रूप में लिखा है और वोटो की तादाद 3802, भी गलत लिखी है।
जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार चौथे नबंर पर फैसल वारसीे रहे और उन्हें 3778, वोट मिले। सवाल ये है कि अखबारों द्वारा गलत जानकारी पाठकों तक पहुचाने के बाद उसपर खेद जताने की बजाय उनके पत्रकार उल्टा लोगों को ही धमकाते है। और खुद को असली और ऑनलाइन न्यूज़ चैनल के पत्रकारों को फर्जी बताते है।
दोनों अखबारों की कटिंग पर एक नज़र:--