महाराष्ट्र पर बीजेपी राज करेगी तो करेगी वरना बेकार है केंद्र में सत्ता पाना
नदीम अख्तर
शरद पवार पे मेरा संदेह तब तक बना रहेगा जब तक मुझे मुकम्मल यकीन ना हो जाए कि वाकई भतीजे अजीत पवार ने उनको धोखा दिया। राजनीति में जो दिखता है, धरातल पे दरअसल वैसा होता नहीं है। सो इंतज़ार कीजिए।
दूसरी बात। अजीत पवार ही पूरी #NCP संभाल रहे थे, सो अगर वह बीजेपी के साथ गए हैं तो बहुत सोचकर गए होंगे। मुझे अजीत, शरद पवार से ज्यादा प्रैक्टिकल आदमी लगते हैं। सोचिए, कांग्रेस और शिव सेना के साथ मिलकर एनसीपी सरकार बना भी लेती तो एनसीपी और अजीत को क्या मिलता?! कबाब में हड्डी कांग्रेस हमेशा बनी रहती, ब्लैकमेल करती।
सरकार में एनसीपी का दबदबा नहीं रहता। सो अजीत पवार ने बिहार का नीतीश बाबू मॉडल चुना। बीजेपी के साथ चले गए। इसका फायदा ये होगा कि बीजेपी हमेशा एनसीपी पर निर्भर रहेगी और वह वक़्त-बेवक़्त बीजेपी को वैसे ही आंख दिखा सकते हैं, जैसे अब तक शिव सेना, बीजेपी को दिखाती रही है। साथ ही डिप्टी सीएम बनकर निर्बाध राज भोगेंगे, मलाईदार विभाग लेंगे जो शिवसेना और कांग्रेस वाले गठबंधन में संभव नहीं था।
इसके अलावा सबसे बड़ा फायदा ये है कि अजीत पवार को अभयदान मिल जाएगा। वह भ्रष्टाचार के भयंकर मामलों में फंसे हैं और शरद पवार का हाथ सिर पे नहीं होता तो अब तक चिदम्बरम की तरह जेल में होते। सो कब तक चाचा की बैसाखी पे चलेंगे? ( अभी भी इनकार नहीं है कि ये शरद पवार का डबल गेम है) इसलिए हो जाओ बीजेपी के साथ। जेल भी नहीं जाना होगा और राजसत्ता भी भोगेंगे। यानी आम के आम और गुठली समेत मिट्टी के भी दाम। और क्या चाहिए?
यही वजह है कि शरद पवार के आज दिनभर मान-मनौव्वल ( ये राजनीति का नाटक भी हो सकता है, सम्भव है कि दोनों अंदर से मिले हों) के बाद भी अजीत वापिस एनसीपी खेमे में नहीं आए। चचा ने कहा होगा- " जा अजीत, जी ले अपनी ज़िंदगी। अगले चुनाव में फिर घर वापिस आ जाना, बीजेपी को गरियाना और जनता से माफी मांग लेना। बस!! वैसे भी जनता की यादाश्त कमज़ोर होती है। हरियाणा में दुष्यंत चौटाला ने भी तो यही किया।
चुनाव से पहले बीजेपी को गाली देते थे, चुनाव बाद डिप्टी सीएम बन गए। बीजेपी के साथ मिल गए। तू भी जा। बन जा डिप्टी सीएम। घी कहाँ गिरेगा? खिचड़ी में ही ना! और अपनी एनसीपी तो ज़िंदा ही रहेगी। अगले चुनाव में फिर नए विधायक मिल जाएंगे। अभी जो एनसीपी के विधायक बीजेपी के साथ जाएंगे, उनको भी टिकट दे सकते हैं। क्या हर्ज है। जनता भी विधायक को देखकर वोट देती है, कई दफा पार्टी बाद में देखती है। सो जा अजीत, बन जा डिप्टी सीएम!"
अब आपको कुछ समझ आया। महाराष्ट्र में चल रही नौटंकी के पीछे असल कहानी ऐसी भी हो सकती है। वरना आप बड़े भोले होंगे जो ये मान लेंगे कि NCP को अपने खून-पसीने से सींचने वाले अजित पवार बस यूं ही बीजेपी के साथ जा मिलेंगे और फिर सारे एनसीपी विधायक शरद पवार के साथ जा खड़े होंगे। और अजीत पवार अकेले रह जाएंगे...अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आपको ख्याली पुलाव पकाने की पूरी आजादी है।
फ्लोर टेस्ट होने दीजिए विधानसभा में। पता चल जाएगा कि मुम्बई का किंग कौन है? वही अपने होम मिनिस्टर अमित शाह। महाराष्ट्र में सरकार तो बीजेपी की ही बनेगी। शिव सेना के हाथ से ट्रेन निकल चुकी है और कांग्रेस वालों को पार्टी दफ्तर में ताला लगाकर हिमालय पर्वत की ओर प्रस्थान कर जाना चाहिए।
राजा राहुल गांधी और राजमाता सोनिया गांधी अगर इस पूरे प्रकरण में आपको कुछ बोलते दिखे हों तो मुझे भी सुनाइएगा। कर्नाटक में अपना हश्र देखकर अब वे भी मजे में हैं। जो शाश्वत सत्य है उसे क्या चैलेंज करना? महाराष्ट्र पर बीजेपी राज करेगी तो करेगी। वरना बेकार है केंद्र में सत्ता पाना। वो याद है ना पुराना जुमला कि India is Indira and Indira is India. ये तो हर काल में होता आया है। इसमें आश्चर्य क्या है यक्ष? प्रश्न मत पूछो अब। जाओ हल्दी का दूध पीकर सो जाओ। नींद अच्छी आएगी। तथास्तु!!