कैसे-कैसे रहबर हैं हमारे कभी इस किनारे कभी उस किनारे
मोहम्मद जावेद खान
"राजनीतिक पार्टियां अलग विचारधाराओं से हाथ मिलाती है सरकार बनाने के लिए ,कि उनके विधायक पैसा कमा सके" कहावत बिल्कुल सही हैं , राजनीति में कोई किसी का स्थाई, दोस्त या दुश्मन नहीं होता। चाहे कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी दोनों पार्टियां कुर्सी के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है ।
पहले हम बात करें भारतीय जनता पार्टी की जम्मू कश्मीर में भाजपा के घोर विरोधी महबूबा मुफ्ती की पार्टी पी डी पी से मिलकर सरकार बनाई ,जब महबूबा मुफ्ती भाजपा के समर्थन से सरकार चला रही थी तो ऐसा लगता था , *भाजपा एवं* *पीडीपी* का चोली दामन का साथ है ,भाजपा ने अपनी नीतियों के खिलाफ जाकर
महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर सरकार बनाई और बड़ी-बड़ी बातें एवं कश्मीर के लिए बड़े-बड़े वादे किए जाते थे ,महबूबा मुफ्ती जो कश्मीर के आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मशहूर है ,उसी के साथ मिलकर भाजपा ने सरकार बनाई ,तब भाजपा को आतंकवाद नहीं दिख रहा था ,ऐसी नेत्री जिसने खुलेआम पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए फिर भी भाजपा को महबूबा मुफ्ती एक सच्ची देशभक्त लगती थी ,कहां गई हमारी पार्टियों की *देशभक्ति* मुझको ऐसा लगता है , *कुर्सी भक्ति* ज्यादा बड़ी है *देशभक्ति* से ।
भाजपा का मिशन है ,पूरे देश के नक्शे पर भाजपा का झंडा दिखे इसके लिए अपनी नीतियों को भूल कर चाहे उनके घोर विरोधी क्यों ना हो अगर सरकार बनाने का मौका मिलता है, बगैर सोचे समझे बगैर देर लगाए उन पार्टियों से हाथ मिला कर सरकार बनाने की जुगत में लग जाते हैं ,चाहे उनकी एवं दूसरी पार्टियों की सोच कुछ भी हो ,यह तो वही मिसाल हुई एक *अंग्रेज लड़की* को किसी *नीग्रो लड़के* से प्यार हो जाए तो औलाद किस रंग की पैदा होंगी शायद औलाद *ब्लैक एंड वाइट* पैदा होगी ,ऐसे ही आप की विचारधारा और दूसरी पार्टी की विचारधारा बिल्कुल अलग है ,तो सरकार कैसे चलेगी ऐसी सरकार कुछ दिन तो ठीक-ठाक चलती है, जैसे किसी की नई नई *लव मैरिज* होती है ,तो दो चार महीने बहुत अच्छे से सुख शांति से परिवार चलता है बाद में लड़का लड़की अपने अपने रंग दिखाने लगते हैं ,और एक समय यह आता है, दोनों के बीच तलाक की नौबत आ जाती है ,ऐसा ही कुछ दो अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टियों में गठबंधन होता है ,कुछ समय तो सरकार ठीक चलती है ,उसके बाद सरकार गिर जाती है ,और देश के ऊपर चुनाव के खर्चे का बोझ फिर से *लाद* दिया जाता है ।
अब हम बात करते हैं कांग्रेस पार्टी की , *मुसलमान* यह सोचते हैं ,कांग्रेस पार्टी उनकी हितेषी है, मगर कांग्रेस ने भी कुर्सी के लिए अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है ,कांग्रेस की घोर विरोधी शिवसेना जिसने हमेशा कांग्रेस को बुरा ही बोला । शिवसेना की नीति है ,बिल्कुल अलग ,जैसे शिवसेना के नीति उत्तर तो ,कांग्रेस की नीतियां दक्षिण , जैसे कभी आग और पानी की दोस्ती नहीं हो सकती वैसे ही शिवसेना और कांग्रेस की कभी विचारधारा एक नहीं हो सकती ,मगर यह राजनीति है बाबू यहां सब चलता है *,कुर्सी भक्ति* , *देश भक्ति पर हावी है,* और विधायक जो गलती से चुन के आ गए हैं ,उनको डर है अगली बार चुनाव जीते या ना जीते ,मौका मिला है ,खूब माल कमाओ भाड़ में जाए जनता ,भारत की जनता तो बेवकूफ है ,ऐसा नेता सोचते हैं इनको *मंदिर मस्जिद* में उलझा कर रखो ,हिंदू मुसलमान में फूट डाल कर रखो और अपनी राजनीति की रोटियां आराम से सेकते रहो ,जब तक हिंदू मुसलमान का मुद्दा गर्म रहेगा मंदिर मस्जिद के मुद्दे गर्म रहेंगे एनआरसी का मुद्दा गर्म रहेगा ,तीन तलाक का मुद्दा गर्म रहेगा ,राजनीतिज्ञों की राजनीति की रोटी सिकती रहेंगी ।
राजनीति के दिग्गज बड़ी बड़ी होटलों में रात के अंधेरे में मीटिंग करते हैं ,हम आग लगाएंगे तुम मरहम लगाना तुम्हारी राजनीति भी चलती रहेगी और हमारी भी राजनीति चलती रहेगी ।
जागो भारत की जनता जागो कब तक कुर्सी के लोभीयो के चक्कर में अपने संबंध अपने भाइयों से खराब कर रहे हो । .
कोई कहे अल्लाह बड़ा , कोई कहे श्री राम कोई कहे ईसा सही ,कोई कहे सतनाम भाइयों इसके साथ साथ यह भी बोलो
*मेरा भारत महान ।।