दिल्ली तक महाराष्ट्र का दंगल, कोर्ट का फैसला मंगल तक
महाराष्ट्र में 3 दिनों से जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी दलों (शिवसेना, राकांपा-कांग्रेस) की याचिका पर डेढ़ घंटे सुनवाई हुई। शिवसेना की तरफ से कपिल सिब्बल, राकांपा-कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, देवेंद्र फडणवीस की तरफ से मुकुल रोहतगी, अजित पवार की तरफ से मनिंदर सिंह और केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। मेहता ने कहा कि अजित पवार के गवर्नर को दिए पत्र में 54 विधायकों के हस्ताक्षर थे। फ्लोर टेस्ट सबसे बेहतर है, लेकिन कोई पार्टी यह नहीं कह सकती कि यह 24 घंटे में ही हो। सिंघवी ने कहा कि जब दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट चाहते हैं तो इसमें देरी क्यों हो रही है? सबकी दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत मंगलवार सुबह 10.30 बजे निर्णय सुनाएगी।
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच मामले की सुनवाई की। जस्टिस संजीव खन्ना ने पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में फ्लोर टेस्ट 24 घंटे में हुआ है। कुछ मामलों में फ्लोर टेस्ट के लिए 48 घंटे दिए गए। क्या पार्टियां फ्लोर टेस्ट के मुद्दे पर कुछ कहना चाहेंगी? इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता और रोहतगी ने कोर्ट को कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से बचने के लिए कहा।
सॉलिसिटर जनरल की दलीलें
सबसे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र गवर्नर और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का पत्र सुप्रीम कोर्ट को सौंपा।
मेहता ने पूछा कि क्या अनुच्छेद 32 के तहत किसी याचिका में राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी जा सकती है? राज्यपाल ने 9 नवंबर तक इंतजार किया। 10 तारीख को शिवसेना से पूछा तो उसने सरकार बनाने से मना कर दिया। 11 नवंबर को राकांपा ने भी मना किया। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
‘‘अजित पवार के गवर्नर को दिए पत्र में 54 विधायकों के हस्ताक्षर थे। अजित ने चिट्ठी में खुद को राकांपा विधायक दल का नेता बताया था। गवर्नर को खुद को मिले पत्र की जांच करने की जरूरत नहीं थी। देवेंद्र फडणवीस को सरकार गठन के लिए बुलाने का फैसला उन्होंने सामने रखे गए दस्तावेजों के आधार पर लिया।’’
‘‘बेशक फ्लोर टेस्ट ही सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन कोई पार्टी यह नहीं कह सकती कि फ्लोर टेस्ट 24 घंटे में ही होना चाहिए। हमें दो-तीन दिन का वक्त दें। जवाब दाखिल करने दें। महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास 23 नवंबर को सबसे बड़े दल को न्योता देने का विशेषाधिकार था।’’
‘‘प्रो-टेम स्पीकर के चुनाव जैसी विधानसभा की प्रक्रियाओं में दखलंदाजी नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के गवर्नर को 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करवाने को नहीं कह सकते। फ्लोर टेस्ट कल नहीं हो सकता। राज्यपाल ने 14 दिन का समय दिया है। न्यायसंगत समय 7 दिन का होना चाहिए।’’
मुकुल रोहतगी की दलीलें
‘‘चुनाव से पहले गठबंधन में भाजपा के साथ रही शिवसेना ने नतीजों के बाद साथ छोड़ दिया। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया। फडणवीस को बाद में राकांपा से समर्थन पत्र मिला। इसलिए वे 170 विधायकों के समर्थन के साथ राज्यपाल के पास गए। राष्ट्रपति शासन हटाया गया और फडणवीस का शपथग्रहण हुआ।’’
‘‘एक पवार हमारे साथ थे, एक विपक्ष के साथ। उनके बीच कोई पारिवारिक विवाद रहा होगा। यह हमारे लिए चिंता की बात नहीं थी। वे हॉर्स ट्रेडिंग में शामिल रहे, हम नहीं।’’
‘‘मौजूदा मामला 2018 के कर्नाटक मामले से अलग है। यहां राज्यपाल के सामने बहुमत दिखाने वाले सभी दस्तावेज मौजूद थे। कोई यह नहीं कह रहा कि विधायकों के हस्ताक्षरों के साथ गड़बड़ी हुई। राज्यपाल ने सभी पार्टियों को मौका दिया। उन्होंने अपने सामने मौजूद दस्तावेजों के जरिए समझदारी से फैसले लिए।’’
जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या फडणवीस आज बहुमत सिद्ध कर सकते हैं। इस पर रोहतगी ने कहा, ‘‘सवाल यह है कि क्या कोर्ट इस मामले में कोई अंतरिम आदेश दे सकता है। क्या कोर्ट किसी निश्चित अवधि में फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कह सकता है। मेरे हिसाब से नहीं।’’
रोहतगी ने कोर्ट से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले की न्यायिक समीक्षा न करने के लिए कहा।
कपिल सिब्बल की दलीलें
‘‘सुबह 5:17 बजे राष्ट्रपति शासन हटाने और सुबह 8 बजे शपथ दिलवाने की नेशनल इमरजेंसी क्या थी? सुबह 5:17 बजे राष्ट्रपति शासन हटा। इसके ये मायने हैं कि सुबह 5:17 बजे से पहले सब कुछ तय हो चुका था।’’
‘‘फ्लोर टेस्ट 24 घंटे में होना चाहिए। सदन का कोई वरिष्ठ सदस्य इसे सिंगल बैलेट और वीडियोग्राफी के साथ पूरा कराए। सब रात के अंधेरे में हुआ। नए अवसर दरवाजा खटखटा रहे हैं। दिन के उजाले में फ्लोर टेस्ट होने दें।’’
अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें
‘‘जब दोनों ही समूह फ्लोर टेस्ट चाहते हैं तो इसमें देरी क्यों हो रही हैं? क्या राकांपा का कोई भी विधायक भाजपा गठबंधन में शामिल हुआ? क्या इस तरह के संकेत देता कोई भी पत्र मौजूद है? लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी की जा रही है।’’
‘‘भाजपा गठबंधन ने इस अदालत को बताया कि उनके पास राकांपा के 54 विधायकों के पत्र हैं, जिनमें अजित पवार को विधायक दल का नेता चुना गया है। इन पत्रों पर भाजपा को समर्थन देने के मकसद से दस्तखत नहीं लिए गए थे। राज्यपाल इसे नजरअंदाज कैसे कर सकते हैं?’’
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि वे 154 विधायकों के हलफनामों के साथ दाखिल नई अर्जी को वापस लें, क्योंकि इसे भाजपा के सुपुर्द नहीं किया गया। आप कोर्ट में जो भी दाखिल करें, उसकी एक प्रति आपको दूसरे पक्ष को भी देनी चाहिए। आप याचिका का दायरा ऐसे नहीं बढ़ा सकते। इसके बाद सिंघवी ने नई अर्जी वापस ले ली।
मनिंदर सिंह की दलील
‘‘अजित ही राकांपा का नेतृत्व करते हैं और महाराष्ट्र के राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए फडणवीस को न्योता देकर सही किया।’’
आज मीडिया के सामने आ सकते हैं अजित
इस बीच, उपमुख्यमंत्री अजित पवार के भी आज मीडिया के सामने आने की अटकले हैं। वह मीडिया के सामने आकर राकांपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने अपना पक्ष रख सकते हैं। उधर, रविवार को राकांपा विधायकों से मुलाकात के बाद सोमवार को उद्धव ठाकरे कांग्रेस विधायकों से मुलाकात कर सकते हैं।
बयान और सोमवार के अपडेट्स...
राकांपा के 3 विधायक जो अजित पवार के शपथ ग्रहण के बाद से गायब थे, सोमवार सुबह मुंबई लौट आए। कहा जा रहा है कि वे गुड़गांव के होटल में रुके थे। इनमें विधायक दौलत दरौडा, नितिन पवार और अनिल पाटिल शामिल हैं। राकांपा की छात्र इकाई सोनिया दुहान का आरोप है कि विधायकों को होटल में बंधक बनाकर रखा गया था। वे एनसीपी यूथ कांग्रेस के कुछ नेताओं के साथ यहां पहुंची और उन्हें छुड़ाकर मुंबई भेजा। सोनिया के मुताबिक, हरियाणा के मुख्यमंत्री के पीए समेत 150 कार्यकर्ता इनकी सुरक्षा में तैनात थे।
शरद पवार सोमवार को महाराष्ट्र के कराड में पूर्व मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा- पार्टी में कोई एक व्यक्ति तय चीजें नहीं करता, पूरी पार्टी तय करती है कि किसके साथ जाना है किसके साथ नहीं। कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा मिलकर सरकार बनाने वाली थी। अजित के फैसले से पार्टी का कोई कोई लेना-देना नहीं। उनसे कोई बातचीत नहीं हुई। हमें 5 साल सरकार चलानी थी। दो अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टियों को एक साथ लाना था, इसलिए इतना समय लगा। जॉर्ज फर्नांडीस जैसे लोगों के साथ भी अटल जी ने सरकार बनाई, तब भी हमने देखा उस समय वाजपेयी साहब ने सबको इकट्ठा बैठाया। भाजपा के जितने भी विवादित इश्यू थे, उनको किनारे रखा और एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय करके सरकार चलाई।
राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा- गुड़गांव से राकांपा के 2 और विधायकों के लौटने के बाद हमारे साथ 52 विधायक हो गए हैं। एक संपर्क में है। अजित पवार ने गलती की, उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। राकांपा-कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन के पास 165 विधायकों का बहुमत है। देवेंद्र फडणवीस को भी मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहिए, क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं है। अगर वे इस्तीफा नहीं देते हैं तो हम उनकी सरकार को फ्लोर टेस्ट में हरा देंगे।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार शपथ लेने के बाद सोमवार को पहली बार आधिकारिक रूप से एक दूसरे के साथ मीटिंग करेंगे। इसमें बारिश से बर्बाद हुई फसलों पर किसानों को राहत देने के लिए उठाए जाने वाले कदम पर चर्चा होगी।
एक बार फिर शिवसेना, कांग्रेस-राकांपा नेता मीटिंग कर सकते हैं। माना जा रहा है कि राज्य में फ्लोर टेस्ट जल्द हो सकता है। इसलिए तीनों विपक्षी दलों ने अपने विधायकों को मुंबई से बाहर नहीं भेजा है।