मेरी जेब ने दुनिया वालों की पहचान करवाई और खाली जेब ने इंसान की
मोहम्मद जावेद खान
"थक गया हूँ मैं तेरी नौकरी से ऐ जिंदगी। मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे, मेरी जेब ने दुनिया वालों की पहचान, करवाई और खाली जेब ने इंसान की" यह पंक्तियां गरीबों पर बिल्कुल सटीक बैठती है , किस तरह अपने जीवन यापन करते हैं, किसी गरीब से पूछो गर्मी , सर्दी , बारिश का मौसम । यह सब मौसम गरीबों पर कहर ढाते हैं ।
सबसे ज्यादा सर्दी का मौसम गरीबों पर कहर ढाता हैं , आए दिन सर्दी के मौसम में यह खबरें पढ़ने को मिलती है । सर्दी के कारण फुटपाथ पर सो रहे गरीब बेसहारा कि ज्यादा सर्दी के कारण मौत हो गई । दिन तो सूरज की गर्मी से निकल जाता है पर सर्दी की रात कयामत लेकर आती है ।
मगर भोपाल एक ऐसा शहर है जहां सर्दियों के मौसम में गरीबों के लिए एक बाजार भरता है जिसको लोग इज्तिमा का मेला बोलते हैं । इस मेले की खासियत यह होती है ,यहां हर वर्ग के लोगों को अपना मनपसंद गर्म कपड़े खासतौर से गरीबों के लिए उपलब्ध रहते हैं ,10 रुपए से लेकर 500 रुपए तक । एक से बढ़कर एक स्वेटर , कोर्ट ओवरकोट एवं कंबल उपलब्ध रहते हैं ।
भोपाल शहर में यह शब्द मेला भरते ही सुनने को मिल जाते हैं , क्यों मियां मरहूम (स्वर्गीय) साइज़ के थे । जब जब इज्तिमा का बाजार सजने लगता है ,और कोई गरम कपड़ा बाहर पहनकर निकलता है ,तो दोस्त एक दूसरे से अक्सर यह बोलते सुने जा सकते हैं , मियां मरहूम साइज का था । माशा अल्लाह कपड़ों की फिटिंग बिल्कुल ठीक आई है। ऐसा लगता है ,मरहूम बिल्कुल आपकी कार्बन कॉपी था ।
बाजार है गरीबों का पर अमीर लोग भी बढ़-चढ़कर खरीदारी करते हैं । यह अमीर ऐसे लोग है, जो बातें करते हैं , बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कपड़ों की एवं मॉल में खरीदारी से नीचे की बात नहीं करते । ऐसे लोग अक्सर मुंह छुपाते हुए i
इज्तिमा के बाजार में दाखिल होते हैं ,और जम के खरीदारी करते हैं ,कपड़े खरीदने के बाद उनको ड्राई क्लीन करवाकर बड़ी शान से पहन कर बाहर निकलते हैं ,और दोस्तों को बताते हैं मुंबई गया था ,वहां के मॉल से खरीद कर लाया हूं ,पूरे दस हजार का है पर सच्चाई यह होती है ,जो कोट बताते हैं, मुंबई के मॉल का वह कोट होता है इज्तिमा मेला का और उसकी कीमत होती है मात्र सो रुपए । वाह रे वाह अमीरों की झूठी शान।
बहुत दिलचस्प किस्से जुड़े हैं इस इज्तिमा के बाजार से बहुत सारे लोगों की किस्मत खुली है । पुराने कोट की जेबों से कई लोगों को मिले हैं डॉलर एवं सोने के बटन । डॉलर बदलवा के हजारों रुपए एवं सोने के बटन बेचकर कुछ लोगों ने अपने छोटे छोटे कारोबार भी शुरू करें थे बहुत सारे लोग पुराने कोट, ओवरकोट को इसलिए खरीदते हैं शायद उनकी भी किस्मत खुल जाए कोई अंग्रेज कोट की जेब में सोने हीरे की अंगूठियां या ढेर सारे डॉलर रखकर भूल जाए और उसके घर वाले उस कोट को पुराने कपड़ों में बेच दे ।
अमीरी का दिखावा करने वाले लोगों के लिए चंद लाइनें । सच्चाई को आज हर इन्सा बहुत छुपाता हैं। अपनी झूठी शान की खातिर झूठ ही बताता हैं । कमाता हैं चार तो आठ बताता हैं । दूजे की नजर मे खुद को खुद से बड़ा दिखाता हैं ।।