रोज़ाना 50 कि.मी. दौड़ता है सादिक़, लेकिन आर्थिक तंगी है रास्ते की रुकावट, अगर आप मदद करें तो बन जाएगा चैंपियन
सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती पर ज़िला प्रशासन स्कूली छात्रों की दौड़ की तैयारी कर रहा था. ऐलान लग रहा था कि जीतने वाले को ईनाम दिया जाएगा. रास्ते से गुज़र रहे अमरोहा ज़िले के फ़तेहपुर गांव के मोहम्मद सादिक़ ने सुन लिया. ईनाम की आस में उसने दौड़ लगा दी. ‘एक्सीलेंट रेस मारी’. सबसे पहले रेखा पार की. लेकिन स्कोरर ने पक्षपात कर दिया. बीच रास्ते मोटरसाइकिल से उतरकर रेस में शामिल हुए अपने पसंदीदा छात्र को नंबर एक बना दिया.
सादिक़ उदास हो गया. विरोध किया. क़िस्मत अच्छी थी कि अमरोहा के ज़िलाधिकारी वहां थे. उसने उनसे गुहार लगाई. सादिक़ को नंबर दो घोषित कर दिया गया. ये सादिक़ के पास अपने टेलेंट को साबित करने का पहला मौका था. ज़िलाधिकारी ने उसकी दौड़ में दिलचस्पी दिखाई. अब वो एक दिन के अंतराल पर रोज़ाना पचास किलोमीटर की रेस लगा रहा है. देश के लिए दौड़ना चाहता है. लेकिन परिवार की आर्थिक हालत रास्ते में आ गई है. एथलीट को जो खुराक चाहिए उसे नहीं मिल पा रही है. पांव में जूता नहीं है.
अमरोहा के ज़िलाधिकारी ने उसे मिलने के लिए बुलाया था. शाबाशी भी दी. पर्ची पर लिखकर ज़िला खेल अधिकारी का नंबर दे दिया है. प्रशासनिक सहायता का भरोसा दिया है. यूपी के खेलमंत्री चेतन चौहान ने भी उसे मिलने के लिए बुलाया है. सादिक़ दौड़ना चाहता है. अवॉर्ड लाना चाहता है. लेकिन उसे आगे का रास्ता साफ़ दिखाई नहीं दे रहा. बेहतर प्रशिक्षण की ज़रूरत है. कोई सही रास्ता बता दे तो गांव का ये लड़का अपने इलाक़े का नाम देशभर में रोशन कर सकता है.
कैसे लगेंगे सादिक़ के सपनो को पंख
सादिक़ के गांव के ही पड़ोसी दिलनवाज़ पाशा बीबीसी में पत्रकार हैं, उन्होंने सादिक़ की एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। दिलनवाज़ ने ही सादिक़ की दास्तां सोशल मीडिया पर प्रकाशित की है। उन्होंने सादिक़ की सहायता भी की है, लेकिन यह मदद नाकाफी है। दिलनवाज़ ने सादिक़ का मोबाईल नंबर जारी किया है। और अपील भी की है कि जो लोग सादिक़ की मदद करना चाहते हैं वो इस नंबर पर 9837418870 कॉल करके, आर्थिक सहायता दे सकते हैं।