शरद पवार की बैठक में राकांपा के 54 में से 50 विधायक पहुंचे, अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं
महाराष्ट्र में शनिवार को बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। राज्य में 12 नवंबर को लगा राष्ट्रपति शासन शनिवार सुबह 5:47 बजे हट गया। इसके बाद सुबह 8 बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद और शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
शुक्रवार आधी रात को भाजपा और अजीत पवार धड़े के बीच गठबंधन हुआ था। दोनों के शपथ ग्रहण के बाद दिनभर भाजपा और अजीत पवार का पलड़ा भारी दिखा, लेकिन बाद में हालात बदल गए। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शाम को पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई। इसमें पार्टी के 54 में से 50 विधायक पहुंच गए। इनमें धनंजय मुंडे समेत 7 विधायक ऐसे थे जो सुबह राजभवन में अजित पवार के साथ थे। इससे अजित पवार का पलड़ा कमजोर होता दिखा।
अपडेट्स
राकांपा ने शरद पवार की अध्यक्षता में वाईवी चव्हाण सेंटर में बैठक बुलाई। इसमें अजित पवार समेत सिर्फ 4 विधायक नहीं पहुंचे। राकांपा ने अजित को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। राकांपा ने उनकी जगह जयंत पाटिल को अस्थाई तौर पर विधायक दल का नेता बनाया गया। पार्टी अपने सभी विधायकों को मुंबई के एक होटल में रखा है।
इससे पहले राकांपा सांसद सुनील तटकरे और दो अन्य विधायक उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मनाने के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। अजित अपने भाई श्रीनिवास के आवास पर थे। यहां सुरक्षा कड़ी है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शाम को पार्टी के विधायकों के साथ होटल ललित में बैठक की। ठाकरे ने कहा कि सरकार हमारी ही बनेगी, मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। उन्होंने अपने विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की।
कांग्रेस-शिवसेना-राकांपा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन की पैरवी अभिषेक मनु सिंघवी करेंगे। वे गुजरात में थे, जहां से दिल्ली के लिए रवाना हुए। सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- तीनों दलों ने शपथ ग्रहण के खिलाफ याचिका लगाई है। चीफ जस्टिस इस पर सुनवाई का निर्णय लेंगे। हमने उनसे इस नाजायज सरकार को भंग करने की मांग की है।
मिली जानकारी के मुताबिक, शरद पवार ने राकांपा विधायकों और कांग्रेस नेता अहमद पटेल से कह दिया कि हालात पूरी तरह उनके नियंत्रण में हैं। उन्होंने अपने जीवन में पहले भी ऐसे क्षण देखे हैं और वे इस स्थिति से भी निपट लेंगे। जल्द ही कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा की सरकार बनेगी।
अजित समर्थक 2 विधायकों को एयरपोर्ट से खींचकर लाए शिंदे
राकांपा के 9 विधायकों के रिलायंस के चार्टर्ड प्लेन से गुजरात जाने की खबर आई थी। हालांकि, इनमें से ज्यादातर विधायक शरद पवार की बैठक में शामिल हुए। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे अजित समर्थक दो विधायकों (संजय बनसोड और बाबासाहेब पाटिल) को एयरपोर्ट से खींचकर राकांपा की बैठक में ले गए। कांग्रेस भी विधायकों को अपनी सरकार वाले किसी राज्य में शिफ्ट कर सकती है। कांग्रेस के सभी विधायक जयपुर भेजे जा सकते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पार्टी के विधायकों को स्वागत है। उनकी सुरक्षा करना हमारा फर्ज है।
पवार ने कहा- हमें नहीं पता था कि अजित ऐसा कदम उठाएंगे
इससे पहले शिवसेना और राकांपा ने दोपहर में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शरद पवार ने कहा कि हमारे किसी विधायक ने भाजपा को समर्थन नहीं दिया है। राजभवन गए राकांपा विधायकों को भी पता नहीं था कि अजित पवार ऐसा कदम उठाएंगे और उपमुख्यमंत्री बन जाएंगे। अजित पवार के भाजपा के साथ जाने पर शरद पवार ने कहा कि यह उनका निजी फैसला है, राकांपा का इससे कोई लेना-देना नहीं। पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने ट्वीट किया- पार्टी और परिवार दोनों टूटे।अजित का फैसला पार्टी लाइन से अलग- शरद पवार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने कहा, ‘‘कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा के नेता सरकार बनाने के लिए साथ आए। हमारे पास जरूरी नंबर थे। हमारे विधायक सरकार का समर्थन कर रहे थे। कुछ निर्दलियों के समर्थन से हमारा आंकड़ा 170 तक पहुंच गया था। अजित पवार का फैसला पार्टी लाइन से अलग है। यह अनुशासनहीनता है। राकांपा का कोई भी नेता राकांपा-भाजपा सरकार के समर्थन में नहीं है। राकांपा के जो भी विधायक भाजपा को समर्थन दे रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि वे दल-बदल कानून के प्रावधान में आ रहे हैं। इससे उनका विधायक पद खतरे में आ सकता है।’’पवार ने यह भी कहा, ‘‘कुछ विधायकों ने हमें बताया कि सुबह साढ़े छह बजे उन्हें राजभवन ले जाया गया। कुछ ही देर में वहां भाजपा के समर्थन से अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अजित पवार का यह निर्णय राकांपा की नीतियों के विरुद्ध था। हमारे पास सभी दलों (राकांपा, कांग्रेस, शिवसेना) के विधायकों के दस्तखत किए हुए पत्र थे। राकांपा विधायकों का दस्तखत किया पत्र अजित पवार के पास था। लगता है कि अजित पवार ने वही पत्र राज्यपाल को दिखाया हैं। हालांकि, अजित के साथ राजभवन गए राकांपा के विधायक अब मेरे साथ हैं। भाजपा और अजित पवार अब विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। हम दोबारा सरकार बनाने की कोशिश करेंगे, जिसका नेतृत्व शिवसेना ही करेगी।’’ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘देश में लोकतंत्र का मजाक बन गया है। ऐसे ही चलता रहा तो आगे देश में कोई चुनाव कराया ही नहीं जाना चाहिए।’’
राकांपा विधायक राजेंद्र शिंगने ने कहा, “अजित पवार ने मुझे कुछ चर्चा के लिए बुलाया था। यहीं से मुझे कुछ अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया। जब तक हम कुछ समझ पाते, शपथ ग्रहण पूरा हो चुका था। मैं तुरंत पवार साहब (अजित पवार) के पास गया और कहा कि मैं शरद पवार और राकांपा के साथ हूं।’’