भारत की पहली भुलक्कड़ यूनिवर्सिटी जिसने 8 दिनों में लगातार कीं 12 गलतियां
सूरत: वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के दौरान 8 दिनों में बीसीए का प्रश्नपत्र रिपीट होने, बीकॉम के प्रश्नपत्र पर बीए छापने जैसी 12 गलतियां लगातार हुईं। इससे छात्रों के नंबर कटने और फेल होने का डर है, लेकिन यूनिवर्सिटी इन सबके जिम्मेदार परीक्षा नियामक आरसी गढ़वी पर मेहरबान है।
केवल नोटिस दिया
इतनी भूलों के बावजूद सिर्फ पेपर छापने वाली ठेकेदार कंपनी को नोटिस दिया गया है। इसके अलावा न तो जिम्मेदारी अधिकारियों पर कार्रवाई हुई न ही गलतियां सुधारने का प्रयास। सिंडीकेट के सदस्य संजय देसाई का कहना है कि सोमवार को होने वाली परीक्षा में भी कोई न कोई गलती सामने आ सकती है, क्योंकि यूनिवर्सिटी में शिक्षा व्यवस्था सुधारने के बजाय राजनीति हो रही है।जिम्मेदार जवाब देने को तैयार नहीं
छात्रों का कहना है कि पेपर में गड़बड़ी से उनका समय खराब होता है। कभी-कभी तो ऐसे प्रश्न पूछ लिए गए कि वे कहां से आए समझ ही नहीं आ रहा था। यूनिवर्सिटी ने कोई राहत नहीं दी, तो बड़ी संख्या में छात्र फेल हो सकते हैं। आरसी गढ़वी किसी को कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। फोन भी रिसीव नहीं कर रहे हैं। कॉमर्स के डीन विजय जोशी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भूल तो कई हुई हैं। परीक्षा के बाद जांच की जाएगी।गलतियां
- लॉ का प्रश्नपत्र नहीं छपा, फिर ई-मेल से भेजा
- लॉ बैंकिंग में अंग्रेजी माध्यम में 4, गुजराती में 2 प्रश्न पूछे
- बीए एटीकेटी के छात्रों को दूसरा प्रश्नपत्र दे दिया
- बीए प्रश्नपत्र 30 मिनट देरी से आया
- बीबीए परीक्षा में दूसरा सेट भेज दिया
- एम-कॉम गुजराती माध्यम का प्रश्नपत्र नहीं छपा, अंग्रेजी का थमा दिया
- बी-कॉम अंग्रेजी और गुजराती माध्यम में अलग-अलग आंकड़े छापे गए
- बी-कॉम अंग्रेजी भाषा का प्रश्न ही गलत दे दिया
- एम-कॉम प्रश्न नं. 3 में अ और स्टेटिक मैनेजमेंट छपा ही नहीं
- बी-कॉम प्रश्नपत्र पर बीए लिख दिया
- बीसीए पुराना प्रश्नपत्र रिपीट कर दिया
परीक्षा नियामक गलती मानने को तैयार नहीं
यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में लगातार हो रही गलतियों पर परीक्षा नियामक आरसी गढ़वी यह मानने को तैयार नहीं कि उनसे कोई भूल हुई है, जबकि जिम्मेदारी उन्हीं की है। प्रश्नपत्र डीन और एक्सपर्ट तैयार करते हैं। उसके बाद उसे परीक्षा नियामक प्रिंटिंग के लिए ठेकेदार कंपनी को देते हैं। कंपनी पेपर छपने से पहले इजाजत लेती है। नियामक को प्रूफ रीडिंग भी चेक करनी होती होती है। यहां न तो ठीक से प्रश्नपत्र तैयार हो रहे हैं और न ही प्रूफ रीडिंग हो पा रही है।इन गलतियों से छात्रों को ऐसे हो सकता है नुकसान
1 परीक्षा में प्रश्नपत्र बदलकर आ गया। इससे जवाब लिखने में गलती होने और नंबर कटने का डर है।2 प्रश्नपत्र में एक ही सवाल 2 बार पूछा गया, लेकिन दोनों के अंक अलग-अलग थे।
3 प्रश्नपत्र में कई सवाल दूसरे विषयों के आए। तब हाथ से प्रश्न लिखकर दिए गए। छात्रों का समय खराब हुआ।
4 छात्रों को परीक्षा के लिए पर्याप्त समय ही नहीं मिला, क्योंकि पेपर में गड़बड़ी से 1 घंटे लेट परीक्षा शुरू हुई।