BJP को समर्थन देते ही ‘क्लीन’ हो गए अजित पवार, 48 घंटे में 9 मामलों में मिली ‘क्लीनचिट’
नई दिल्लीः महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के तकरीबन 48 घंटे बाद ही भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार को बड़ी राहत दी है। एसीबी ने 70,000 करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में अजित पवार को क्लीनचिट दी है। महाराष्ट्र सरकार के सूत्रों की मानें तो जिन मामलों में अजित पवार को क्लीनचिट दी गई हैं इनमें उनका संबंध नहीं है। बताया जा रहा है बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अजित पवार को क्लीन चिट दी गई है।
वहीं एसीबी के डीजी ने कहा है कि महाराष्ट्र के सिंचाई घोटाले के नो मामलों में अजित पवार की कोई भूमिका नहीं थी, इन मामलों को बंद करने के लिए तीन महीने पहले ही अनुशंसा कर दी थी। एसीबी के डीजी का यह भी कहना है कि सिंचाई घोटाले से जुड़े मामले में लगभग 3000 अनियमितताओं की जांच की जा रही है जिनमें से 9 मामलों में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
शनिवार को ली थी शपथ
जानकारी के लिये बता दें महाराष्ट्र में शनिवार को भाजपा के देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में हुआ जब कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस और राकंपा ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनने की घोषणा की थी।
इसके बाद शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने की महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की ‘‘मनमानी और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई/फैसले’’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका याचिका दायर की थी।
2018 में ठहराए गए थे जिम्मेदार
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में हुए करीब 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो एसीबी ने नवंबर 2018 में पूर्व उप मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को जिम्मेदार ठहराया था। एसीबी ने बंबई हाईकोर्ट को बताया था कि करोड़ों रुपये के कथित सिंचाई घोटाला मामले में उसकी जांच में महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार तथा कई सरकारी अधिकारियों की ओर से भारी चूक की बात सामने आई है।
एसीबी ने बताया था कि यह घोटाला करीब 70,000 करोड़ रुपए का है, जो कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शासन के दौरान अनेक सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें शुरू करने में कथित भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। अजित पवार के पास महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी थी।