गांधी का हत्यारा ‘देशभक्त’ है! जिसने यह सर्टिफिकेट दिया है वह खुद मालेगांव में बम ब्लास्ट की आरोपी है?
वसीम अकरम त्यागी
गांधी का हत्यारा ‘देशभक्त’ है! जिसने उसे यह सर्टिफिकेट दिया है वह खुद मालेगांव में बम फोड़कर मासूम इंसानों की जान लेने की आरोपी है। लेकिन उसके बावजूद भाजपा आतंकवाद की आरोपी को टिकट देती है, और भोपाल की जनता उसे जिताकर संसद में भेज देती है। जब साध्वी को टिकट दिया गया तब भी हमारे जैसे लोगो ने कहा कि देश किस रास्ते पर जाएगा इसका फैसला भोपाल सीट का चुनाव करेगा।
आज गांधी के हत्यारे का महिमामंडन किया जा रहा है। जब जब कोई ऐसा फैसला आया है जिसमें संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं हों तब अक्सर कहा जाता है कि यह भारतीय लोकतंत्र के लिये काला दिन है। नहीं सिर्फ वही काला दिन नहीं है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिये हर वह दिन काला दिन है, जिस दिन गांधी के हत्यारे को महिमामंडित करने वाले ‘माननीय’ संसद में आते हैं।
आज साध्वी गांधी के हत्यारे को ‘देशभक्त’ बता रही है, कल गोडसे को भारत रत्न देने की भी मांग की जाएगी। यह ऐसे समय मे हो रहा है जब पूरी दुनिया ने गांधी की 150 वीं जयंती मनाकर गांधी के बताए रास्ते पर चलने का प्रण लिया है। साध्वी अकेली नही है, बल्कि ऐसे लाखों लोग आरएसएस लैब द्वारा तैयार किये जा चुके हैं, जो गांधी को राष्ट्रद्रोही और गोडसे को देशभक्त मानते हैं।
भारतीय लोकतंत्र ने ऐसे लोगों को ही चुना है, जो एक हत्यारे का महिमामंडन करते हैं। गांधीवादी लोग अब गांधी के हत्यारों के राज में जिंदगी जीने के लिये अभिशप्त हैं, यह अहिंसा पर हिंसा की जीत है, यह सेकुलरिज्म पर फांसीवाद की जीत है, यह उदारता पर कट्टरता की जीत है, यह प्रेम पर नफरत की जीत है।
वे कहानियां जिसमें ‘बुरे लोग’ हार जाया करते थे, और सच्चाई जीतती थी, वे अब किताबों तक ही सीमित हैं। अब बुरे लोगों की झांकियां निकाली जाती हैं, उनके गले में माला पहनकार उनका वीरों की तरह सम्मान किया जाता है। यह न्यू इंडिया है। जिसकी बुनियाद ‘बहुसंख्यक वर्ग’ के ‘विवेक’ ने रखी है। और इस देश का अल्पसंख्यक एंव गांधीवादी समाज आज गोडसेवादियों की सत्ता में सांस लेने के लिये अभिशप्त है।