#JusticeForPriyankaReddy : नेता मस्त हैं क्योंकि उनके घर की बहू-बेटी और बहन को आपके टैक्स के पैसे से सुरक्षा मिलती है?
नदीम अख्तर
हैदराबाद डॉक्टर रेप हत्याकांड पे आप लिखने को कह रहे हैं, पर क्या लिखूँ? कुछ चीजों के लिए शब्द नहीं होते। अगर आज अखबार का एडिटर होता तो भारत का नक्शा और संविधान की कॉपी लगाकर अखबार को खाली छोड़ देता। बगल में लिख देता कि निर्भया रेप कांड के दोषी इस महान देश में आज भी जिंदा हैं। और वहीं ये भी बता देता कि यूपी में जिस लड़की से रेप हुआ था, उसके परिवार को तथाकथित सड़क हादसे में मार दिया गया। इस देश के सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता की चिट्ठी पे संज्ञान लेकर ये पूछा था कि कोर्ट के सामने पीड़िता की गुहार देर से क्यों पहुंची? बाकी आरोपी बीजेपी से निष्काषित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का बाल भी बांका नहीं हुआ है अब तक।
ऐसे देश में आपको क्या लगता है कि बलात्कार रुक जाएंगे? ये देश और इसका समाज भयानक रूप से बीमार है। सड़ गया है। नेता मस्त हैं क्योंकि उनके घर की बहू-बेटी और बहन आपके टैक्स के पैसे से मिली सुरक्षा में चलती हैं। चिंता तो आम आदमी को है कि उनके घर की बहू-बेटी-बहन के साथ पता नहीं कब क्या अनहोनी हो जाए?
पर ना तो ये समाज सुधरेगा और ना ये देश। हमने मिलकर इस देश को नरक बना दिया है। क्या कारण है कि निर्भया और उन्नाव रेप कांड के दोषी/ आरोपी (?) अभी भी जिंदा हैं? ये सवाल आप खुद से पूछिए। आप ने वोट किस नाम पे दिया था? हिन्दू-मुसलमान करके? या फिर किसी पार्टी का भगत बनकर? या फिर किस नाम पे? कभी पूछा कि फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट किस काम का, अगर सज़ा के बाद भी ये देश जनता के टैक्स के पैसे से बलात्कारियों को रोटी खिलाकर पाल क्यों रहा है? क्या एक के बाद एक फांसी हुई?
क्या समाज के बीमार लोगों कोई भय हुआ कि वे सीधे लटका दिए जाएंगे? नहीं ना! दो दिन शोर शराबा होगा, फिर सब भूल जाएंगे। फिर कोई रेप हो जाएगा और पुलिस अपना-अपना थाना और एरिया का रोना रोकर बैठ जाएगी। उनको नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाएगा। निर्भया मामले की तरह हैदराबाद डॉक्टर रेप कांड में भी पुलिस पीड़िता के घर वालों को इस थाने से उस थाने तक दौड़ाती रही। घरवालों का कहना है कि अगर समय पर पुलिस ने एक्शन ले लिया होता, तो पीड़िता की कम से कम जान तो बच जाती!!
फिर भी इस देश को कोई शर्म है? देशवासियों को कुछ लज्जा आ रही है? नहीं ना! कल तक तो ये देश और पूरा मीडिया हमारे चुने हुए नौकर उद्धव ठाकरे को राजा और पता नहीं क्या-क्या बताकर महिमा मंडित करने में बिजी था। वैसे अखबार और न्यूज़ चैनल के पत्रकारों के लिए रेप की ऐसी जघन्य घटनाएं भी TRP बटोरने का जरिया होती हैं। लिख डालो एक इमोशनल स्क्रिप्ट कि पब्लिक रुककर तुम्हारा सड़ा चैनल देख ले और घटिया अखबार पढ़ ले। यही उनकी ट्रेनिंग होती है। नेता बयान दे देंगे। पुलिस कार्रवाई करने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेगी। और फिर जनता सब भूलकर दाल-रोटी की जुगत में लग जाएगी।
ये देश है? ये समाज है? घिन आती है। हम लोगों का ज़मीर मर चुका है। इस देश का कुछ नहीं हो सकता। इतने बीमार समाज और लोगों के बीच आपके घर की औरतें कभी महफूज़ नहीं हैं। जिन पे गुजरी है, वही जानते होंगे कि उनकी दुनिया कैसे उजड़ गयी और इस देश-समाज ने उनके साथ क्या धोखा किया। धिक्कार है। धिक्कार है।