शिवाकान्त अवस्थी मुम्बई: संयोग मुम्बई की एक सच्ची प्रेम कथा है। अपने सपनों को सच कर दिखाने के लिए, एक छोटे से गांव का रहने वाला यश, सपनो...
शिवाकान्त अवस्थी
मुम्बई: संयोग मुम्बई की एक सच्ची प्रेम कथा है। अपने सपनों को सच कर दिखाने के लिए, एक छोटे से गांव का रहने वाला यश, सपनों की मायानगरी मुंबई पहुंचा। हकीकत की दुनिया से रुबरू हुआ तो उसे यह एहसास हुआ कि, इस अनजान शहर में दौलत, शोहरत और रुतबा कमाना इतना आसान नहीं है।
कई दिन भूखे पेट सोने के बाद उसे एक सपनों के सौदागर का साथ मिला। राह उसने बताई और सफ़र वह खुद अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से तय किया। इसी बीच उसे एक काॅलेज में पढ़ने वाली हसीन और बेहद ही खूबसूरत लड़की प्रतिमा से प्यार हो गया। यह न सिर्फ यश के, बल्कि प्रतिमा के भी जीवन का पहला प्यार था। कहते हैं दीवानगी की कोई हद नहीं होती! क्योंकि यह बेहद खूबसूरत होती है और अगर किसी को पाने की सच्ची चाहत हो तो, उसे मिलाने को पूरी कायनात साज़िश भी रचती है, लेकिन संयोग तो कुछ और ही था।
दिल को छू लेने वाली, कभी भी न भूलने वाली, इस मोहब्बत की यादगार दास्तान में एक दिन अचानक ऐसा क्या हो जाता है कि, जिसकी उन दोनों ने कभी कल्पना भी नही की थी। रहस्य, रोमांच से भरपूर यह प्रेम कहानी।
मुम्बई: संयोग मुम्बई की एक सच्ची प्रेम कथा है। अपने सपनों को सच कर दिखाने के लिए, एक छोटे से गांव का रहने वाला यश, सपनों की मायानगरी मुंबई पहुंचा। हकीकत की दुनिया से रुबरू हुआ तो उसे यह एहसास हुआ कि, इस अनजान शहर में दौलत, शोहरत और रुतबा कमाना इतना आसान नहीं है।
कई दिन भूखे पेट सोने के बाद उसे एक सपनों के सौदागर का साथ मिला। राह उसने बताई और सफ़र वह खुद अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से तय किया। इसी बीच उसे एक काॅलेज में पढ़ने वाली हसीन और बेहद ही खूबसूरत लड़की प्रतिमा से प्यार हो गया। यह न सिर्फ यश के, बल्कि प्रतिमा के भी जीवन का पहला प्यार था। कहते हैं दीवानगी की कोई हद नहीं होती! क्योंकि यह बेहद खूबसूरत होती है और अगर किसी को पाने की सच्ची चाहत हो तो, उसे मिलाने को पूरी कायनात साज़िश भी रचती है, लेकिन संयोग तो कुछ और ही था।
दिल को छू लेने वाली, कभी भी न भूलने वाली, इस मोहब्बत की यादगार दास्तान में एक दिन अचानक ऐसा क्या हो जाता है कि, जिसकी उन दोनों ने कभी कल्पना भी नही की थी। रहस्य, रोमांच से भरपूर यह प्रेम कहानी।