40 हजार करोड़ रुपए केन्द्र सरकार को लौटाने का सबूत क्यों नहीं देते मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
एसपी मित्तल
इन दिनों मीडिया में राजनेताओं के हवाले से खबर चल रही है कि 27 नवम्बर को महाराष्ट्र में भाजपा के देवेन्द्र फणनवीस ने सुबह सुबह इसलिए मुख्यमंत्री पद की शपथ इसलिए ली ताकि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार को 40 हजार करोड़ रुपए की राशि लौटाई जा सके। यह राशि महाराष्ट्र सरकार को मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए पूर्व में केन्द्र सरकार ने दी थी।
राजनेताओं के हवाले से मीडिया में ऐसी खबरें प्रसारित हो रही हैं जैसे मुंबई में किसी बैग में 40 हजार करोड़ रुपए भरे पड़े थे और फडऩवीस ने दो दिन के लिए मुख्यमंत्री बन कर नोटों से भरा बैग नरेन्द्र मोदी को ले जाकर दे दिया। चूंकि महाराष्ट्र के सचिवालय में रखा बैग मुख्यमंत्री ही उठा सकते थे, इसलिए एनसीपी के अजीत पवार का सहयोग लेकर फडऩवीस दो दिन के लिए मुख्यमंत्री बन गए। ऐसा बोलने वाले नेताओं और खबर चलाने वाले मीडिया की अक्ल पर तरस आता है।
सरकारी सिस्टम में एक रुपए की राशि के स्थानांतरण के लिए भी निर्धारित प्रक्रिया है। यदि चालीस हजार करोड़ रुपए की राशि फडऩवीस ने केन्द्र को लौटाई है तो उसकी कहीं तो लिखा पढ़ी होगी। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद पर भाजपा के जानी दुश्मन शिवसेना के उद्धव ठाकरे बैठे हैं। ठाकरे को बताना चाहिए कि चालीस हजार करोड़ रुपए की राशि फडऩवीस ने केन्द्र को कैैसे लौटाई? क्या इसके लिए फडऩवीस ने मुख्यमंत्री की हैसियत से कोई आदेश जारी किया?
चालीस हजार करोड़ रुपए लौटाने पर अभी उद्धव ठाकरे ने तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके सबसे भरोसे मंद नेता संजय राउत ने कहा कि राशि लौटा कर फडऩवीस ने महाराष्ट्र के लोगों के मुंह का निवाला छीन लिया है। यानि संजय राउत भी मानते हैं कि फडऩवीस ने चालीस हजार करोड़ रुपए की राशि केन्द्र को लौटाई है। सवाल उठता है कि यह गप्प सही होती तो क्या उद्धव ठाकरे अभी तक चुप बैठते? जाहिर है कि मीडिया में तथ्यहीन खबरें प्रसारित हो रही हैं। किसी के पास भी राशि लौटाने क कोई सबूत नहीं है।
खुद फडऩवीस ने दावे के साथ कहा है कि दो दिन मुख्यमंत्री रहने की अवधि में केन्द्र सरकार को किसी मद से एक रुपया भी नहीं लौटाया है। मीडिया को फडऩवीस के कथन पर भरोसा नहीं है। इसलिए राशि लौटाने की खबरें लगातार चलाई जा रही है। अच्छा होता कि ऐसी खबरों के लिए मौजूदा सीएम से सबूत मांगे जाते। मीडिया भी जानता है कि बगैर किसी आदेश के राशि नहीं लौटाई जाती, लेकिन फिर भी मीडिया में खबरें प्रसारित हो रही हैं।