रॉकस्टार बाबा ! लोगों की संवेदना जगाने के लिए संगीत का सहारा लेते हैं?
ध्रुव गुप्त
वर्षों से नेपाल के त्रिवेणी कस्बे में रह रहे वन्यप्राणियों और वनों के संरक्षण के लिए जीवन समर्पित कर देने वाले एक भारतीय बाबा के बारे में सुनता रहा था। अपनी विदेशी वेशभूषा की वजह से लोग इन्हें रॉकस्टार बाबा कहते हैं। आज त्रिवेणी यात्रा के क्रम में उन्हें खोज ही लिया।
मुझसे मिलने मेरे होटल भी आए। बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले शांतनु राय चौधरी पिछले दस साल से नेपाल के चितवन नेशनल पार्क और उससे लगे बिहार के वाल्मीकि टाइगर प्रोजेक्ट में घूम-घूमकर लोगों और स्कूली बच्चों को जंगलों और पशु-पक्षियों की रक्षा के लिए जागरूक कर रहे हैं।
लोगों की संवेदना जगाने के लिए वे संगीत का सहारा लेते हैं। वे बेहतरीन गायक होने के अलावा वॉयलिन, गिटार और हारमोनियम बजाने में निपुण हैं। बंगला, हिंदी और नेपाली के अलावा अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन और स्पेनिश भाषाओं में धाराप्रवाह बोलते हैं। रोज़ कुछ घंटे जंगल में मेडिटेशन करते हैं और संकेतों में पक्षियों से संवाद करते हैं। उनके पास रहने को कोई ठिकाना नहीं। सड़कों से लेकर जंगल तक कहीं भी सो जाते हैं।
भोजन के अलावा किसी से कोई भी अनुदान या मदद स्वीकार नहीं करते। कोई खिलाने वाला नहीं हुआ तो एक दो दिन भूखे भी रह लेते हैं। उनका सबसे बड़ा दुख यह है कि प्रकृति के प्रति लोगों में जागरूकता और संवेदना के अभाव में जंगल और वन्यप्राणी नष्ट हो रहे हैं और जीवन की परिस्थितियां बद से बदतर हो रही है।
उन्होंने घंटे भर हारमोनियम पर प्रकृति और प्रेम पर आधारित कुछ बेहतरीन गीत हमें सुनाए। इस विलक्षण रॉकस्टार बाबा को प्रणाम और उनके ज़रूरी अभियान के लिए बहुत शुभकामनाएं !