वो नेता ही क्या जो झूठ न बोले लेकिन मारहरा के शक्तिमान से ये उम्मीद नही थी, न नाव मिली न...
अमन पठान | मारहरा (एटा)
बीते 27 अगस्त 2019 को एटा जिले की मारहरा नगर पालिका परिषद में बोर्ड की बैठक हुई थी जिसमें पालिकाध्यक्ष ने सभासदों से विकास कार्यों के प्रस्ताव मांगे थे तो दो सभासदों ने जलभराव की विकराल समस्या से निपटने के लिए नाव की मांग की थी। पालिकाध्यक्ष ने जलभराव की समस्या के समाधान के लिए दो माह का समय मांगा था। पालिकाध्यक्ष के लिए गए वादे की समय सीमा पूरी हो गई तो सोचा पालिकाध्यक्ष और उनके चिन्टूओं को याद दिला दें कि कब तक झूठे वायदों से दिल बहलाए जाएंगे, क्या ऐसे ही सुनहरी ख्याब दिखाए जाएंगे?
एक कहावत है 'न खुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम' अर्थात जिन दो सभासदों ने जलभराव की समस्या से परेशान होकर पालिकाध्यक्ष परवेज ज़ुबैरी से नाव की मांग की थी उन्हें न तो नाव मिली और न जलभराव की समस्या का समाधान हुआ। केयर ऑफ मीडिया ने मारहरा के हैदरी चौक (मोहल्ला शीशग्रान) की जलभराव की समस्या को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो पालिकाध्यक्ष ने तत्काल मौका मुआयना किया और जलभराव की समस्या के लिए दो महीने का समय मांगा।
आपको बता दें कि 27 अगस्त 2019 को पालिका की बोर्ड बैठक में दो सभासदों ने जलभराव की समस्या से परेशान होकर नाव की मांग की थी क्योंकि वो जानते थे कि जलभराव की समस्या का समाधान नही हो सकता है। जब जलभराव की समस्या का समाधान नही हो सकता है तो पालिकाध्यक्ष ने जलभराव की समस्या के समाधान के लिए दो महीने का समय क्यों मांगा?
बात आईने की तरह साफ है कि वक़्त का मरहम बड़े से बड़े जख्म हो भर देता है और हां वो नेता ही क्या जो झूठ न बोले? मारहरा के शक्तिमान ने भी वही किया जो एक नेता को करना चाहिए। दो महीने का समय मांग लिया क्योंकि शक्तिमान को मालूम था दो महीने बाद सर्दियों का मौसम आ जायेगा और जलभराव की समस्या इतनी ज्यादा नही होगी। जब बरसात का मौसम आएगा फिर कोई नया अड़ंगा फंसा दिया जाएगा। कुल मिलाकर समस्या का समाधान नही होगा। खैर हमें क्या उस इलाके के बाशिंदे जानें उन्हें किस हाल में रहना है?