अटल से मोदी तक प्याज ने रुलाया, प्याज़ की बढ़ती कीमतों की समस्या का एक ही समाधान है?
मोहम्मद जावेद खान
बाजार जब भी जाता हूँ। महंगाई देखकर दंग हो, जाता हूँ। कुछ प्याज़ खरीद लेता हूं। इसके बदले बहुत सारे, अरमान बाजार में गिरवी रख कर आता हूँ ।। कुछ कहावतें बिल्कुल समय-समय पर सटीक बैठती है जैसे घूडे के दिन भी बदलते हैं। ऐसे ही आजकल प्याज़ के दिन पलट गए हैं ,पहले कहावत हुआ करती थी, गरीब हैं रोटी प्याज़ से खाता है । अब प्याज़ अमीरी की निशानी बन गई है , जो जितना बड़ा आदमी उसके झोले में उतनी प्याज़।
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में एक अजीबोगरीब रोचक घटना घटी एक किसान के खेत से प्याज चोरी हो गई घटना इस प्रकार है, मंदसौर के रिचा गांव के एक किसान का दावा है ,कि उसकी प्याज़ की फसल को चोरों ने खेत से उखाड़कर चोरी कर लिया. एएसपी ने कहा, “उन्होंने शिकायत दर्ज की है कि 30000 रुपये की प्याज की फसल चोरी हो गई है ।
अटल बिहारी वाजपेई की सरकार को भी खूब रुलाया था प्याज़ ने।
जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो 1998 में प्याज की कीमतों ने खूब रुलाया था । अटल जी ने कहा भी था , जब कांग्रेस सत्ता में नहीं रहती तो प्याज परेशान करने लगती है। शायद उनका इशारा था कि कीमतों का बढ़ना राजनैतिक षड्यंत्र है। उस समय दिल्ली प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और विधानसभा चुनाव सिर पर थे।
तब प्याज के असर से बचने के लिए सरकार ने कई तरह की कोशिशें की, लेकिन दिल्ली में जगह-जगह प्याज को सरकारी प्रयासों से सस्ते दर पर बिकवाने की कोशिशें ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुईं , और जब चुनाव हुआ तो मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व वाली भाजपा बुरी तरह हार गई। शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं थीं ।
राजनीति में विलेन का रोल अदा करती है प्याज़।
आज कल प्याज़ नेताओं की गले की हड्डी बनी हुई है ,प्रधानमंत्री बढ़ती हुई प्याज़ की कीमत पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं ,पर लगाम लग नहीं रही । प्याज़ की बढ़ती कीमतों की समस्याओं का एक ही समाधान है, जैसे विदेशों में सूखी प्याज़ एवम प्याज़ का पाउडर मिलता है ।
जब हमारे देश में किसी भी फसल का बंपर उत्पादन हो तो इसके दाम बिल्कुल जमीन पर आ जाते हैं और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है ,जब किसान को मंडियों में दाम नहीं मिलता तो प्याज़ को सड़कों पर फेंक कर चले जाते हैं ,सरकार चाहे तो हर क्षेत्र में जहां प्याज़ की खेती होती है ,वहां पर कुटीर उद्योग लगाकर प्याज को सुखाया जाए एवं उसका पाउडर बनाया जा सकता है।
आजकल बड़े-बड़े सुपर बाजारों में जैसे अदरक लहसुन का पेस्ट मिलता है ,वैसे ही कटी हुई सूखी प्याज़ एवं उसका पाउडर मिलता है । कुटीर उद्योग से दो फायदे होंगे एक तो किसानों को रोजगार मिलेगा दूसरा किसानों को ओने पौने भाव में अपनी फसल को बेचने की जरूरत नहीं पड़ेगी । बस अब मैं यही कहना चाहता हूं
कालाबाजारी को बंद कर दो।
महंगाई को कुछ कम कर दो ।।