1 लाख करोड़ नहीं, 2 लाख करोड़ नहीं, 10 लाख करोड़ भी नहीं पूरे 110 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे वह भी सिर्फ और सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर पर
श्याम मीरा सिंह
आपका ध्यान शायद इस ओर नहीं गया होगा। प्रधानमंत्री ने लाल किले के भाषण में एक घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले समय में Comprehensive Infrastructure Project पर 110 लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगे। I repeat 1 लाख करोड़ नहीं, 2 लाख करोड़ नहीं, 10 लाख करोड़ भी नहीं। 110 लाख करोड़ रुपए, वह भी केवल और केवल इंफ्रास्ट्रक्चर पर।
आपको बता दुं पूरे बजट का Total Estimated Budget Expenditure -------
साल 2019 के लिए लगभग - 28 लाख करोड़ रुपए
साल 2018 के लिए - 24 लाख " "
साल 2017 - 21 लाख " "
साल 2016 - 19 लाख " "
साल 2015- 17 लाख " "
साल 2014 - 17 लाख " " रहा है।
ये पूरे बजट के खर्चे के अनुमान है, जिसमें कि कृषि, वस्त्र, शिक्षा, रक्षा, सैलरी, आदि कितने ही खर्चे शामिल है, इंफ्रास्ट्रक्चर इसका एक हिस्सा भर है। पिछले 6 सालों का टोटल एस्टिमेटेड बजट एक्सपेंडिचर जोड़ने पर करीब करीब 130 लाख करोड़ रुपए आता है। और प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा है कि वे अकेले इंफ्रास्ट्रक्चर-इंफ्रास्ट्रक्चर पर ही 110 लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगे।
इससे बड़ा झूठ और प्रधानमंत्री से बड़ा झूठा आदमी कोई है? ये एक टेक्निक है, आम जनता को हर बार लाल किले से इतनी बड़ी रकम बता दो कि बस आंख चौड़ी हो जाएं। जनता क्रोस चेक करने से रही, जो क्रोस चेक करते हैं उनकी बातें जनता तक पहुंचने से रहीं। जो इस वक्त टीवी मीडिया है उसके टॉपिक पृथ्वी से बाहर की दुनिया के टॉपिक हैं, उन्हें राष्ट्रीय-क्षेत्रीय मसलों में अधिक रुचि ही नहीं है। उसके बारे में कहा ही क्या जाए।
इस देश में योजनाएं या तो लॉन्च होती हैं या एनाउंस होती हैं, चलते हुए मैंने कभी नहीं देखीं। जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी कोई लंबी सी रकम एनाउंस करते हैं, अगले दिन अख़बारों के पहले पन्ने पर, प्रधानमंत्री की बड़ी सी तस्वीर के साथ, घोषित की गई रकम की बड़ी बड़ी जीरो हेडलाइन बन जाती हैं।
अंदर के एडिटोरियल पेज(सम्पादकीय पेज) पर सम्पादक साहब ये बताते हैं कि कैसे इस योजना से देश का कायाकल्प होने जा रहा है। लेकिन घोषणाओं के बाद इन योजनाओं का फॉलोअप लेने का काम सम्पादक जी के द्वारा कभी नहीं किया जाता। मोदी हर बार आकर एक नया सपना बेच जाते हैं। पिछली बार के बजट में भी 100 लाख करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने की बात कही थी, उसका कोई अता-पता नहीं है।
अभी अभी पेंडेमिक टाइम में ही 20 लाख करोड़ रुपए की बात 5 दिन तक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर के बताई गई थी। उसका भी कोई अता-पता नहीं है। इससे पहले बिहार राज्य के लिए भी 1.25 लाख करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही थी, कहा गया था कि इससे बिहार की कायाकल्प बदलने जा रही है, उसका भी कोई अता-पता नहीं है।
ऐसा नहीं है कि इस देश में पहले की सरकारों ने कोई तीर मार लिया था, लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री कुछ कर नहीं रहे थे तो कम से कम झूठ नहीं बोलते थे, मोदी असल में भूखे पेटों को सपने दिखाने के अपराधी हैं। एक से एक आलसी, करप्ट, अच्छा, प्रगतिशील, ढीठ प्रधानमंत्री इस देश ने देखे हैं, लेकिन इतना बड़ा झूठा प्रधानमंत्री इस देश ने कभी नहीं देखा। ये हर साल एक हेल्थ स्कीम लॉन्च करेंगे, लेकिन हॉस्पिटल कभी लॉन्च नहीं करते। नई शिक्षा नीति लाएंगे लेकिन एक विश्विद्यालय कभी नहीं बनवाएंगे, रिसर्च के लिए स्कोलरशिप कभी नहीं देंगे। और ये हर सेक्टर के लिए इनकी यही हरकते हैं।
"करेंगे, लाएंगे, दिखाएंगे, कर सकते हैं, ये होगा, ऐसे होगा" ये इनके हर स्पीच की क्लीशे लाइनें बन चुकी हैं, सब कुछ भविष्यकाल में चल रहा है, यदि भविष्य में आकर इनकी योजनाओं का हिसाब पूछा जाए तो फिर भूतकाल में चले जाते हैं। कि नेहरू, कांग्रेस ने क्या किया? इसपर आमिर खान की एक फ़िल्म का एक डायलॉग याद आ रहा है "हमारा एक पैर पास्ट में है, एक पैर भविष्य में है, इसलिए हम वर्तमान पर मूत रहे हैं"। इस देश में सरकार के कामों के साथ यही हो रहा है।