नोटों को सैनिटाइज करना पड़ा मंहगा, सैनिटाइजर ने रद्दी कर दिए 17 करोड़, जानिए कैसे?
नई दिल्ली। कोरोना काल में तो चौतरफा क्षति की बयार बह रही है। कल कारखानों से लेकर व्यापार धंधे, शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था को भारी क्षति का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना काल में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं और लोगों ने भी महामारी से फतह पाने के लिए स्वेच्छा से इन बदलावों को स्वीकार किया, लेकिन कई मौकों पर यह बदलाव भारी नुकसान का सबब भी बने हैं।
वहीं बदलाव की चपेट में आकर एक ऐसे ही नुकसान का मामला सामना आया है, जहां पर 17 करोड़ रूपए का नुकसान हो गया है। नुकसान भी ऐसा कि आप यूं समझ लीजिए 17 करोड़ रूपए अब रद्दी हो गए हैं। जिस कागज के टुकड़े को एक मूल्यवान नोट की संज्ञा दी गई है, वो कागज का टुकड़ा अब फिर से मामूली सा कागज का टुकड़ा हो गया। वजह रही, कोरोना काल में लागू किए गए सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया।
दरअसल, कोरोना से बचाव के लिए अभी हर चीज को सैनिटाइज किया जा रहा है। इस बीच नोटों को भी सैनिटाइज किया गया, फिर उसे धूप सुखाया गया, धूप में वो सूख तो गया, लेकिन सुखने के बाद वो मात्र एक कागज का टुकड़ा रह गया, जिसका अब कोई मूल्य नहीं रहा। इसके चलते आरबीआई को 17 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ।
यह अब तक का सबसे बड़ा नुकसान बताया जा रहा है। इसमें से सबसे ज्यादा 2 हजार रूपए के नोट खराब हुए हैं, जो कि पिछले साल की तुलना में 300 गुना ज्यादा है। मालूम हो कि कोरोना काल में नोटो को सैनिटाइज करने की प्रक्रिया शुरू हुई है, जिसके चलते नोटों को नुकसान पहुंचने के कई मामले सामने आ रहे हैं।