शिवाकांत अवस्थी महराजगंज/रायबरेली: अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए ...
शिवाकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली: अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए भूमि पूजन को इतिहास में 21वीं सदी की सबसे चमत्कारिक घटना के रूप में आगे याद किया जाएगा। क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जिस तरह से न्यायपालिका के अप्रतिम निर्णय को कार्यपालिका द्वारा व्यवस्थित ढंग से प्रारंभ कराया गया है। वह अविस्मरणीय घटना सारे विश्व ने देखा है, और सबने सराहना की है। यह उद्गार भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय परिषद सदस्य और पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह ने पत्रकारों के समक्ष व्यक्त किए हैं।
आपको बता दें कि, पूर्व एमएलसी ने कहा कि, जिस प्रकार 500 से अधिक वर्षों से चल रहे विश्व के दो बड़े धर्मावलंबियों के मध्य यह विवाद अब तक नहीं निपटा था, आधुनिक भारत के शिल्पकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूझ भुझ के और भारतीय न्यायिक प्रक्रिया की सक्रियता के साथ-साथ हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बुद्धिजीवियों की पहल पर यह विवाद ऐसे निपटा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। सही अर्थों में इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि, इस देश में आम जनता ने लोकतांत्रिक मूल्यों को अपने जीवन में उतार लिया है, और लोग राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रीय एकता और अखंडता तथा भारत की संप्रभुता के बारे में बेहद सतर्क हैं।
पूर्व एमएलसी ने आगे कहा कि, वैसे भी यह विचारणीय विषय है कि, जिस अयोध्या में कनक भवन, श्री हनुमान गढ़ी, दशरथ महल, जानकी भवन जैसे भव्य भवन स्थित है, उन सबके बीच श्री राम जन्म भूमि का होना तो स्वाभाविक लगता है। किंतु त्रेता के दशरथ जी के पारिवारिक सदस्यों के भवनों के बीच बाबरी मस्जिद का होना यह समीचीन नहीं लगता और न ही कहीं से तर्कसंगत भी नहीं दिखता है। यही कारण है कि, हिंदू मंदिरों के मध्य किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल का होना अस्वाभाविक प्रतीत होता था।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय की भी खुले दिल से सराहना की है। उन्होंने बाबरी मस्जिद का दावा करने वालों के लिए भी अयोध्या जनपद के अंदर ही सरकारी मदद से मस्जिद निर्माण हेतु भूमि स्वीकृत करने के निर्देश देकर सर्वधर्म समभाव का आदर ही किया है। पूर्व एमएलसी ने कहा कि, अयोध्या प्रकरण में अब उन लोगों के लिए राजनीतिक रोटियां सेकना अथवा अपनी राजनीति की दुकान चलाना लगभग समाप्त होता दिख रहा है। जो अब तक इस भाव को, इस मामले को लेकर लोगों की भावनाओं का शोषण किया करते थे।
उन्होंने कहा कि, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश के कई ज्वलंत मुद्दे समाप्त हो गए हैं। जिनको लेकर अक्सर संशय की स्थिति बनी रहती थी, और पूरे देश में इस समय राम मंदिर को राष्ट्र मंदिर मानकर प्रत्येक भारतवासी के हृदय में राष्ट्रभक्ति की बयार बह रही है। उन्होंने भारत के उन मनीषियों को भी याद किया, जिनमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार वल्लभभाई पटेल, संघ के आदि सरसंघचालक पूज्य केशव राम बलिराम हेडगेवार, गुरु गोलवलकर, बाला साहब देवराज प्रोफेसर, राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया, मोहन भागवत, के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, दिवंगत रामचंद्र परमहंस, गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी रितंभरा समेत देश के अन्य तमाम विभूतियों द्वारा अपने जीवन काल के महत्वपूर्ण कालखंड का समय मंदिर निर्माण आंदोलन के लिए दिया था, इनको इतिहास सदैव ही याद रखेगा।
पूर्व एमएलसी ने श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में अपने जीवन को न्यौछावर करने वाले लाखों लाख ज्ञात और अज्ञात सभी कारसेवकों को भी नमन करते हुए कहा कि, उनके त्याग और समर्पण को संसार ने स्वीकार किया है, साथ ही श्री सिंह ने मंदिर निर्माण समिति के उस निर्णय की सराहना भी की है, जिसमें मंदिर निर्माण के लिए एकमुश्त बड़ी रकम देने वाले बड़े लोगों से सहायता न लेकर आम हिंदू जनमानस से थोड़ी थोड़ी मदद लेकर मंदिर निर्माण करने का निर्णय लिया गया है, जो स्वागत योग्य है।